दीघा में बने जगन्नाथ मंदिर पर बढ़ा विवाद, पुरी के लोग बोले- ममता माफी मांगें, जानें क्या है मामला?

138

पश्चिम बंगाल के दीघा में बने जगन्नाथ मंदिर (Digha Jagannath Mandir) के नाम को लेकर ओडिशा में विरोध शुरू हो गया है। पुरी जगन्नाथ मंदिर के पंडितों, सेवकों, विद्वानों, कलाकारों और शोधकर्ता मंदिर का नाम ‘जगन्नाथ धाम’ रखने पर आपत्ति जता रहे हैं। ओडिशा के लोगों ने मंदिर बनाने का समर्थन किया, लेकिन नाम पर एतराज जताया। उनका कहना है कि जगन्नाथ धाम सिर्फ पुरी में है, अन्य मंदिर को यह नाम देना हिन्दू मान्यताओं-परंपराओं के खिलाफ है।

दरअसल, पश्विम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 30 अप्रैल को पूर्वी मेदिनीपुर जिले के दीघा में बने जगन्नाथ मंदिर का उद्घाटन किया था। पूजा-अर्चना के बाद उन्होंने मंदिर को ‘जगन्नाथ धाम’ नाम दिया।

ये भी पढ़ें: House Arrest: एजाज खान के शो में ‘हाउस अरेस्ट’ कर के सेक्स पोज़िशन्स पूछे, कपड़े उतरवाए, देखें VIDEO

जगन्नाथ के दीघा मंदिर की खासियत

  • पुरी के जगन्नाथ मंदिर की तरह, दीघा के मंदिर भी चार मंडप (हॉल) बनाए गए हैं। इनके नाम- विमान (गर्भगृह), जगमोहन, नट मंदिर (नृत्य हॉल) और भोग मंडप हैं।
  • दीघा मंदिर में भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की मूर्तियां पुराने पुरी जगन्नाथ मंदिर की तरह ही बनाई गई हैं, लेकिन ये पत्थर से बनी हैं।
  • चारों दिशाओं में प्रवेश द्वार बने हैं। मुख्य द्वार से प्रवेश करने के बाद, अरुण स्तंभ है, फिर सिंह द्वार है और इसके ठीक सामने व्याघ्र द्वार है। हर दरवाजे के पास सीढ़ियां और छतरी बनी है।
  • हर दरवाजे को शंख, चक्र और कमल से सजाया गया है। मंदिर के गुंबद से लेकर हर दरवाजे पर रंग-बिरंगी लाइटिंग लगाई गई है।
  • पुरी मंदिर की तरह, दीघा जगन्नाथ मंदिर के ऊपर हर शाम झंडा फहराया जाएगा।

इस साल होगा रथयात्रा का आयोजन
बंगाल सरकार मंदिर के उद्घाटन के बाद सालाना रथ यात्रा आयोजित करने की योजना बना रही है। दीघा में पहली ऐसी यात्रा जून में आयोजित होने की संभावना है। यात्रा में इस्तेमाल होने वाले रथ पहले ही बनाए जा चुके हैं और उन्हें तैयार रखा गया है। दीघा पुरी से करीब 350 किलोमीटर दूर है।

आपको बता दें, 2018 में घोषणा हुई थी कि मंदिर का निर्माण 2022 में शुरू होगा। जगन्नाथधाम का विकास हाउसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (HIDCO) द्वारा किया गया है। राज्य सरकार ने इसपर करीब 250 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। इसका पूरा मैनेजमेंट इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) को सौंपी जाएगी।

ताजा अपडेट्स के लिए आप पञ्चदूत मोबाइल ऐप डाउनलोड कर सकते हैं, ऐप को इंस्टॉल करने के लिए यहां क्लिक करें.. इसके अलावा आप हमें फेसबुकट्विटरइंस्ट्राग्राम और यूट्यूब चैनल पर फॉलो कर सकते हैं।