Banu Mushtaq: कन्नड़ लेखिका बानू मुश्ताक के ‘हार्ट लैंप’ ने जीता अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार

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लेखिका, कार्यकर्ता और बानू मुश्ताक (Banu Mushtaq) की लघुकथा संग्रह ‘हार्ट लैंप’ मंगलवार रात लंदन में प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाली पहली कन्नड़ पुस्तक बन गई। मुश्ताक ने अपनी जीत को विविधता की जीत बताया, जब उन्होंने टेट मॉडर्न में एक समारोह में अपनी अनुवादक दीपा भास्थी के साथ पुरस्कार ग्रहण किया, जिन्होंने शीर्षक का कन्नड़ से अंग्रेजी में अनुवाद किया। पुरस्कार राशि 50,000 पाउंड है, बानू मुश्ताक और दीपा भास्थी पुरस्कार राशि साझा करेंगी।

“हार्ट लैंप” में 12 कहानियाँ शामिल हैं, जो 1990 से 2023 के बीच लिखी गई हैं। इन कहानियों का अंग्रेजी में अनुवाद दीपा भस्थी ने किया है। यह संग्रह दक्षिण भारत की पितृसत्तात्मक मुस्लिम और दलित समुदायों में महिलाओं के जीवन, संघर्ष और साहस को दर्शाता है। इस संग्रह को 2025 में अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जो इस पुरस्कार को प्राप्त करने वाला पहला कन्नड़ भाषा में लिखा गया और पहला लघु कहानी संग्रह है।

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बानू मुश्ताक का साहित्यिक सफर 1970 के दशक में शुरू हुआ, जब उन्होंने कर्नाटक के प्रगतिशील साहित्यिक आंदोलन ‘बांदा साहित्य’ से जुड़कर जाति, वर्ग और लैंगिक असमानताओं के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने छह लघु कहानी संग्रह, एक उपन्यास, एक निबंध संग्रह और एक कविता संग्रह प्रकाशित किए हैं। उनकी कहानियाँ महिलाओं के अधिकारों, धर्म, वर्ग और सामाजिक मुद्दों पर केंद्रित हैं।

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बानू मुश्ताक के पुरस्कार

  • कर्नाटक साहित्य अकादमी पुरस्कार

  • दाना चिंतामणि अत्तिमब्बे पुरस्कार

  • 2025 अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार

  • 2024 PEN इंग्लिश ट्रांसलेट पुरस्कार (दीपा भस्थी के अनुवाद के लिए)

 

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