Vat Savitri 2025: वट सावित्री के दिन किस शुभ मुहूर्त में करें बरगद के पेड़ की पूजा?

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वट सावित्री (Vat Savitri 2025) का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए खास होता है। मान्यता है कि जो भी सुहागिन महिला इस व्रत का पालन करती है उसके पति की आयु लंबी होती है और व्रती महिला को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। वहीं, अगर यह व्रत किसी भी कारण से खंडित हो जाए तो इससे वैवाहिक जीवन पर संकट आ सकता है।

इस पूजन को करने के लिए 26 मई को दोपहर 12 बजे के बाद व्रत का सही मुहूर्त बताया जा रहा है, जो अगले दिन 27 मई को सुबह 9 बजे तक रहने वाला है। इस समय आप बरगद के पेड़ की पूजा कर सकती हैं। साथ ही, अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत को संपन्न कर सकती हैं। इसके लिए बस आपको सही समय पर बरगद के पेड़ की पूजा करनी होगी।

व्रत की पूजन विधि

  1. सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प लें।

  2. सुहाग सामग्री (लाल चुनरी, कुमकुम, बिंदिया, चूड़ी आदि) से सजी महिलाएं वट वृक्ष के पास जाती हैं।

  3. वट वृक्ष को कच्चा सूत (सावित्री धागा) लपेटते हुए उसकी परिक्रमा करती हैं – आमतौर पर 7 बार।

  4. व्रक्ष पर जल, दूध, चना, फल, फूल चढ़ाकर पूजा की जाती है।

  5. वट सावित्री व्रत कथा का श्रवण या पाठ किया जाता है।

  6. महिलाओं को व्रत के बाद बड़ों का आशीर्वाद लेना चाहिए और ब्राह्मणों को दान देना चाहिए।

इस व्रत के मुख्य लाभ

  • पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना

  • दांपत्य जीवन में प्रेम और समर्पण की भावना

  • परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है

  • यह व्रत आत्मबल, संयम और श्रद्धा की मिसाल है

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क्या न करें इस दिन

  • काले या सफेद कपड़े पहनने से बचें

  • झूठ बोलना, कटु वचन और क्रोध से परहेज़ करें

  • व्रत के दौरान फलाहार करें, अन्न से परहेज़ करें

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