किसान संघर्ष समिति ने की प्रेस वार्ता, कोहला औद्योगिक क्षेत्र हेतु भूमि अधिग्रहण निरस्त करने की मांग

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– 16 सालों से लंबित भूमि अधिग्रहण विवाद पर समिति ने प्रशासन से जल्द समाधान की अपील की
हनुमानगढ़। 
किसान संघर्ष समिति ने मंगलवार को एक प्रेस वार्ता आयोजित कर 16 वर्षों से विवादित हनुमानगढ़ के चक 14 एसएसडब्ल्यू में प्रस्तावित कोहला औद्योगिक क्षेत्र हेतु कृषि भूमि अधिग्रहण को निरस्त करने की मांग की। समिति के सदस्य और स्थानीय किसान ने भूमि अधिग्रहण से उत्पन्न हो रही समस्याओं का जिक्र करते हुए प्रशासन से जल्द समाधान की अपील की।
किसान संघर्ष समिति के महेन्द्र बिजारणियां ने बताया कि 2009 में कोहला औद्योगिक क्षेत्र के लिए चक 14 एसएसडब्ल्यू में 109.86 हैक्टेयर (434 बीघा) कृषि भूमि के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हुई थी, और अंततः 5 जुलाई 2012 को अंतिम अवार्ड जारी किया गया था। इस भूमि अधिग्रहण में किसानों को 2.61 लाख रुपये प्रति बीघा की अवार्ड राशि दी गई, जो कि अन्यत्र भूमियों के मुकाबले बहुत ही कम थी। किसानों का कहना है कि इस भूमि को सिंचित और नगरीय क्षेत्र के करीब होने के बावजूद इसे असिचिंत माना गया और अवार्ड राशि बेहद कम तय की गई।
किसान नेता सुरेन्द्र शर्मा ने बताया कि 7 मार्च 2011 को राज्य सरकार ने इस क्षेत्र को नगरीय विकास क्षेत्र में शामिल कर लिया था, लेकिन इसके बावजूद किसानों को उचित मुआवजा नहीं मिला। उन्होंने यह भी बताया कि भूमि अवाप्ति अधिकारी ने 9 जनवरी 2015 को स्पष्ट रूप से लिखा था कि इस भूमि का बाजार मूल्य 50 से 70 लाख रुपये प्रति बीघा था, जो अब और बढ़ चुका है। इसके बावजूद किसानों को मात्र 2.61 लाख रुपये प्रति बीघा का मुआवजा दिया गया।
किसान नेता गोपाल बिश्नोई, बहादुर सिंह चौहान, रघुवीर वर्मा, ओमप्रकाश सुथार ने यह भी बताया कि प्रस्तावित औद्योगिक क्षेत्र के पास स्थित वनरक्षित क्षेत्र और निकटवर्ती फतेहगढ़ माइनर नहर के कारण पर्यावरणीय संकट भी उत्पन्न हो सकता है। इस क्षेत्र में रहने वाले दुर्लभ पशु-पक्षियों पर प्रदूषण का नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, और नहर का पानी भी प्रदूषित हो सकता है, जिससे मानव जीवन और स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ेगा।
किसान संघर्ष समिति ने प्रशासन से आग्रह किया कि इस भूमि अधिग्रहण को निरस्त किया जाए और किसानों को उनके हक का मुआवजा दिया जाए। समिति ने यह भी बताया कि पिछले 14 वर्षों में किसान न तो केसीसी लोन ले पाए हैं और न ही अपनी भूमि का उचित उपयोग कर सके हैं। उनका कहना है कि इस लंबे समय से लंबित मामले के कारण किसान मानसिक और आर्थिक रूप से परेशान हैं, और उनके लिए इस स्थिति से उबर पाना मुश्किल हो गया है।
समिति ने बताया कि नगर परिषद् हनुमानगढ़ ने पहले ही यह अनुशंसा की थी कि प्रस्तावित औद्योगिक क्षेत्र कोहला को शहर के बाहरी इलाके में स्थानांतरित किया जाए। इस संबंध में 9 अगस्त 2018 को नगर परिषद् ने स्वायत शासन विभाग और रिको मुख्यालय को पत्र लिखा था। समिति ने जोर देकर कहा कि इस समस्या का समाधान तत्काल किया जाए, ताकि किसानों और स्थानीय समुदाय को राहत मिल सके।
समिति के सदस्यों ने प्रैस वार्ता के बाद जिला कलक्टर को ज्ञापन देकर मांग की कि किसानों को उचित मुआवजा दिया जाए और यह भूमि अधिग्रहण निरस्त किया जाए, ताकि किसानों का शोषण रोका जा सके।

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