करोड़ों के कृषि यंत्रों पर सब्सिडी उठाकर मशीनरी बेची

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– कस्टम हायरिंग सेंटर के जरिए हजारों किसानों को लाभाविन्त करने के नाम हुआ बड़ा घोटाला
– फर्जीवाड़े में सेंटर संचालकों के साथ कृषि अधिकारियों की भी मिलीभगत
– करोड़ों रुपए की जीएसटी का घपला कर सरकारी राजस्व को भी पहुंचाया नुकसान
हनुमानगढ़। 
आज एक साधारण किसान से एक जोड़ी बैल अथवा ऊंट लेना भी बड़ा मुश्किल हो रखा है। जिससे उसकी बुवाई, जुताई, खेती प्रभावित रहती हैं। खाद, बीज, सिंचाई पानी के लिए संघर्ष करना पड़ता है। जैसे-तैसे फसल हो भी जाती है तो कभी उचित भाव नहीं मिलता तो कभी प्राकृतिक आपदा से जूझना पड़ता है। ऐसे जरूरतमंद किसानों की आर्थिक व्यवस्था को सुदृढ़ और मजबूत बनाने, उन्हें लाभान्वित करने को लेकर केंद्र सरकार लगातार अपनी किसान हितैषी कृषि योजनाओं का ढिंढोरा पीटने में लगी हुई है लेकिन असली जमीनी हकीकत कुछ ओर ही बयां कर रही है। ऐसा ही एक प्रकरण राज्य के हनुमानगढ़ जिले में देखने को मिला है। जहां कस्टम हायरिंग सेंटर के नाम पर करोड़ों की सब्सिडी उठाकर कृषि उपकरण बेच दिए गए। इस संबंध में आज जिला मुख्यालय पर नारंग होटल में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, राष्ट्रीय तेजवीर सेना, कांग्रेस और किसान यूथ ब्रिगेड के पदाधिकारियों ने संयुक्त रूप से पत्रकार वार्ता का आयोजन किया। सभी पदाधिकारियों ने
कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा से राज्य भर के कृषि हायरिंग सेंटरों के जांच की मांग रखते हुए कहा कि जिस तरह से राजस्थान विशेषकर पड़ोसी जिले श्रीगंगानगर में नकली खाद और नकली बीज के खिलाफ कार्रवाई हुई है उसी तरह कृषि विभाग से मिल रही सब्सिडी पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य राहुल जाखड़ ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए बताया कि जिला मुख्यालय के निकटवर्ती गांव रोड़ावाली के चक 4 आरआरडब्लयू में श्री बालाजी कृषि उद्योग के नाम से कस्टम हायरिंग सेंटर अगस्त 2018 में सिविल लाइंस निवासी श्रीमती शीला देवी पत्नी महावीर रिणवाँ के द्वारा खोला गया। जिसके तहत करीब डेढ़ दर्जन से ऊपर कृषि यंत्र सब्सिडी से खरीदे गए। केंद्र सरकार की योजना अंतर्गत कस्टम हायरिंग सेंटर किसानों को सस्ते रेटों पर कृषि यंत्र मशीनरी कम किराए पर उपलब्ध करवाना है। सेंटर द्वारा भौतिक सत्यापन में 1000 किसानों को मशीनें किराए पर देना दर्शाया गया है। जिसमें जीएसटी लगाकार किराए के बिल प्रस्तुत करने होते है और जीएसटी विभाग में जीएसटी भरनी होती है। कृषि विभाग से सूचना के अधिकार से प्राप्त जानकारी से स्पष्ट पता चलता है कि शीला देवी द्वारा खानापूर्ति के लिए 5 मई 2018 को कृषि यंत्र किराए का एक मात्र एक ही बिल काटा गया है वो भी अपनी सास के नाम से। यानी अपनी सास को कृषि यंत्र घर में ही किराए पर देना दिखा दिया।

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