इस मसाज सेंटर में आदमी नहीं बल्कि हाथी आते है..ये हैं भारत की 5 अजूबी चीजें

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विदेशी धरती पर ही अलबेली चीचें नहीं है बल्कि भारत में भी कई चीचे ऐसी है जिनके बारें में बहुत कम लोग जानते है। अाइए आज हम आपको ऐसी कई चीजे बताते हैं…

सभी जानते हैं कि भारत क्रिकेट का दीवाना मुल्क है। लेकिन शायद कम ही लोग जानते होंगे कि दुनिया की सबसे ऊंचा क्रिकेट मैदान भारत में है। 2,444 मीटर ऊंचाई पर स्थित चैल क्रिकेट ग्राउंड हिमाचल प्रदेश में स्थित है। इस क्रिकेट ग्राउंड का निर्माण 1893 में चैल मिलिट्री स्कूल के हिस्से के तौर पर किया गया था।

भारत को हाथियों का देश कहा जाता है। हाथी को महत्वपूर्ण हिंदू देवता गणेश के प्रतीक भी माने जाते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार गणेश के पिता शिव ने नवजात हाथी का सिर काटकर नवजात गणेश के सिर पर लगा दिया था। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार ऐरावत नाम का सफेद हाथी देवताओं के राजा इंद्र का वाहन था। जिस देश में हाथी का इतना महत्व अगर उस देश में हाथियों के लिए दुनिया का अपनी तरह का पहला स्पा और मसाज सेंटर खोला जाना कोई बड़ी बात नहीं। जी हां, आपने सही सुना। केरल के पुन्नाथूर कोट्टा एलीफैंड यार्ड रिजुवेनेशन सेंटर में केवल हाथियों के लिए स्पा और मसाज सेंटर खोला गया है।  यहां हाथी न केवल स्पा और मसाज का आनंद लेते हैं बल्कि उन्हें मनपसंद खाना भी परोसा जाता है।

आपने बचपन में किस्से-कहानियों में पढ़ा-सुना होगा कि एक वक्त था कि भारत में दूध-दही की नदियां बहती थीं। हो सकता है कि आपको ये बातें तब हैरत भरी और अभ अतिश्योक्ति लगती हों लेकिन ये पूरी तरह कपोल-कल्पना भर नहीं है। आपको बता दें कि आज भी भारत में दूध का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। यानी दूध-दही की नदियों की बात भले ही किसी कवि की कल्पना की उड़ान हो लेकिन हमारे देश में इन अवयवों की प्रचुरता निर्विवाद है। दूध उत्पादन के मामले में भारत अमेरिका, चीन, पाकिस्तान, ब्राजील जैसे देशों से आगे है। 2015 में भारत में 14 करोड़ टन से ज्यादा दूध उत्पादन किया था। इस मामले में दूसरे नंबर पर अमेरिका (करीब नौ करोड़ टन) रहा। जाहिर है इस मामले में भारत अमेरिका से काफी आगे है। बाकी देशों की तो बात ही क्या।

अरब सागर से बंटे मुंबई के दो हिस्सों को जोड़ने वाले इस सी लिंक को बनाने में लगे स्टील के तारों की कुल लंबाई पृथ्वी की परिधि के बराबर है। इसका आधिकारिक नाम राजीव गांधी सी लिंक है।  इसे बनाने में 16 अरब रुपये लगा था। 5.6 किलोमीटर लंबे इस सी लिंक को महाराष्ट्र स्टेट रोड डेवलपमेंट कार्पोरेशन (एमएसआरडीसी) ने बनवाया है। इसका निर्माण हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी ने किया है।

आठ लेन वाले इस पुल की पहली चार लेन जनता के लिए जून, 2009 में खोल दी गई थी। जबकि बाकी चार लेन मार्च 2010 में आम लोगों के लिए खोली गईं। इसे बनाने में 2,57,00,000 घंटे का मानवीय श्रम लगा। इसका वजन 50 हजार अफ्रीकी हाथियों के वजन के बराबर होगा। इस सी लिंक को देखकर आपको भारतीयों की निर्माण क्षमता पर आपको भी यकीन हो जाएगा।

क्या आपको पता है जिस चीनी को हम सबसे ज्यादा पसंद करते है उसे बनाने के लिए विदेशों से लोग सीखने भारत आए थे।