भारतीय अबला नारी के कारनामे, जिनसे समाज दहला

आपराधिक दुनिया में महिलाओं की संख्या भी बड़ी तेजी से बढ़ी है। अब महिलाएं अपराध के मामले में खुले तौर पर हर काम में शामिल हैं।

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हमारे समाज में बड़ी आसानी से पुरूषों को हर अपराध का अपराधी मान लिया जाता है लेकिन कोई ये नहीं सोचता कि जब अपराध किसी भी समय हो सकता है, वैसे ही किसी अपराध को कोई भी कर सकता है। समझने की बात है अब जमाना बदल गया है। अपराध की दुनिया में अब केवल पुरुषों का ही आधिपत्य नहीं रह गया है बल्कि इसमें महिलाएं भी शामिल हो गई है। अब आप कहेंगे कि इतिहास में कई डाकू महिलाएं भी थी तो हम इस बात से नकार नहीं रहे। चंबल के बीहड़ों में फूलनदेवी, सीमा परिहार और तो दाऊद की बहन  हसीना पारकर का नाम आज भी लोगों को याद है लेकिन तब अपराध के क्षेत्र में कुछ ही गिनी-चुनी महिलाओं के नाम शामिल होते थे।

लेकिन बीते कुछ सालों का आंकड़ा देखें तो यह तस्वीर साफ नजर आती है कि आपराधिक दुनिया में महिलाओं की संख्या भी बड़ी तेजी से बढ़ी है। अब महिलाएं अपराध के मामले में खुले तौर पर हर काम में शामिल हैं। फिर प्रॉपर्टी के नाम पर अवैध धंधा हो, नकली दुल्हा बनकर ठगी करना हो  या हफ्तावसूली, स्मैक व नशीले पदार्थ बेचना हो या पॉकेटमारी करना हो। आज जब महिलाएं शिक्षा, करियर और समाजिक कानूनों से मजबूत हो गई हैं तो वह संगीन अपराध कर रही हैं। महिलाओं के लिए पुरूषों के मुकाबले बचना थोड़ा आसान भी है क्योंकि उन्हें जल्दी संदिग्ध के तौर पर नहीं देखा जाता है। महिलाओं के खिलाफ इतने अपराध होते हैं कि उन्हें हमेशा पीड़ित की नजर से ही देखा जाता है। जबकि हकीकत कुछ और ही है। साल 2016 की नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरों की रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र में सबसे अधिक महिलाओं ने अपराध किए। इनकी गिरफ्तारी की संख्या लगभग 579 बताई गई है। रिपोर्ट के अनुसार, पूरे देश भर में 1,94,867 महिलाओं को मर्डर, किडनैपिंग, लूटपाट जैसे संगीन अपराधों में गिरफ्तार किया जा चुका है। जिसमें महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश और तीसरे स्थान पर राजस्थान की महिलाएं आती हैं। राजस्थान में 16,187 महिलाओं को गिरफ्तार किया गया है।

महिलाओं द्वारा किए जाने वाले अपराधों में वे तमाम घटनाएं भी शामिल है जहां महिलाएं अपनी मर्जी के मुताबिक काम न होने पर पुरूषों को झूठे केसों में फंसा देती है। अगर वह औरत की नाजायज मांगों को पूरा नहीं करता है तो उसे सजा काटनी पड़ती है और अगर उन्हें पूरा करता है तो भी उत्पीड़न उसी का होता है। मजबूरी उस की है कि वह घर छोड़ कर जा नहीं सकता। अगर वह विरोध करता है तो पत्नी या अन्य महिला आरोप लगाती है कि वह उस पर अत्याचार कर रहा है और फिर पुलिस उसे उठाकर ले जाती है। भारतीय महिलाओं ये स्थिति काफी खतरनाक है।

मई माह में हुआ राजस्थान का चर्चित दुष्यंत मर्डर केस। महिला आरोपी प्रिया सेठ के कारण काफी सुर्खियों में रहा। पुलिस की कैद में आने के बाद प्रिया ने  एक-एक कर अपने दबे राज बड़ी बेबाकी से खोले। जिसे सुनकर खुद पुलिस भी हैरान रह गई। प्रिया ने कहा दुष्यंत का मर्डर दुनिया में पहला थोड़ी है जो इतना हंगामा हो रहा। ये ही नहीं प्रिया ने कहा लोगों को दीवाना बनाने के लिए उसकी एक हंसी ही काफी है। जिसके जरिए वो 20-25 हजार तक रूपये कमा लेती है। प्रिया दुष्यंत को मारने के पीछे उसकी गलत पहचान को जिम्मेदार ठहराती है। प्रिया बताती है कि उसने डेटिंग ऐप टिडंर की मदद से दुष्यंत को अपने प्रेम में फंसाया। चैटिंग के दौरान दुष्यंत ने उसको गलत जानकारी दी कि वह दिल्ली के एक कारोबारी का लड़का है। प्रिया ने बताया कि वह दुष्यंत के जरिए अपने ब्यॉयफ्रेंड (दीक्षांत) का कर्जा चुकाना चाहती थी और इसलिए उसने ये सारा जाल बिछाया। प्रिया के मुताबिक, जब उसे दुष्यंत के बारें में जानकारी मिली कि वह कारोबारी का लड़का ना होकर साधारण से व्यक्ति का बेटा है तो हमें उसे सलटाना पड़ा। किस्मत खराब थी हमारी कि मनमर्जी का माल नहीं मिल पाया। छोड़ना चाहते थे, लेकिन छोड़ नहीं सके। हां, हाथ-पैर बांधे। निकाला चाकू, धड़ाधड़ शुरू हो गए। जब निपट गया तो साफ-सफाई भी हमने मिलकर ही की। सूटकेस में पैक किया और फेंक आए।”

हैरत की बात ये है कि आरोपी प्रिया सेठ अपनी हंसी से हजारों लोगों को लूटने के अलावा ऐसी साइट भी बनाई जहां हुस्न के जरिए लड़को को फंसाया और उन्हें लुटा।  इस कत्ल के बाद भी उसके न चेहरे पर शिकन, न ही कोई अपराधबोध। सलाखों के पीछे से प्रिया का बेफिक्री से दिया कबूलनामा और भी डराने वाला है। उसका कहना है कि मुझे सिर्फ दौलत चाहिए। मैं पैसों के बूते वो हर चीज खरीदना चाहती हूं, जिसकी मुझे ख्वाहिश है। हां, मैंने दो साल में डेढ़ करोड़ रुपया कमाया। दीक्षांत और पैसों के लिए ही मैंने यह कत्ल किया।  दुष्यंत की हत्या और कई केसों के बाद प्रिया सेठ को अपराध जगत की लेडी डॉन कहना गलत नहीं होगा। पुलिस के मुताबिक, प्रिया ने दुष्यंत को मारने के बाद भी एक व्यक्ति को और शिकार बनाया।

यहां सिर्फ प्रिया सेठ का ही जिक्र नहीं होगा अब दूसरा मामला पढ़िए जहां एक महिला ने पुरूष बन दो शादियां की और दहेज के नाम पर परिवारों को लूटा। ये मामला उतराखंड के नैनीताल का है। जहां एक महिला ने पुरूष बन दो परिवारों लूटा लेकिन जब तीसरे परिवार की बारी आई तो महिला का पर्दाफाश हो गया। महिला आरोपी कृष्णा सेन, उर्फ स्वीटी सेन यूपी के बिजनौर की रहने वाली है। पुलिस के मुताबिक, कृष्णा सेन ने 2013 में फेसबुक अकाउंट बनाया था और यहां मर्दों के स्टाइल में कई वाली तस्वीरें डाली। यही से महिला ने लड़कियों का अपने जाल में फंसाना शुरू किया। कृष्णा का पहला शिकार हल्द्वानी के काठगोदाम की कारोबारी की लड़की बनी। दोनों ने प्रेम संबंध के बाद शादी रचाई और कुछ महीनों बाद कृष्णा ने उसके साथ घरेलू हिंसा शुरू कर दी। उस पर दहेज का दबाव बनाने लगा। ऐसा करते हुए उसने लड़की के परिवार से 8.5 लाख रुपये ऐंठे और एक फैक्ट्री लगाई। जिसके कुछ समय बाद कृष्णा ने जल्द ही एक दूसरी लड़की को अपने जाल में फंसाया और अप्रैल 2016 में उससे शादी कर ली। यह लड़की उसकी पहली शादी में बतौर गेस्ट मौजूद थी। लेकिन जल्द ही कृष्णा की दूसरी पत्नी को उसकी हकीकत पता चल गई। लेकिन कृष्णा उसे पैसा देकर उसका मुंह चुप करा दिया लेकिन पहली पत्नी के केस करवाते ही कृष्णा के सारे राज खुल गए। कृष्णा ने पुलिस को बताया कि उसे बचपन से ही लड़कों की तरह दिखने का शौक था। वह सिगरेट भी पीती थी और बाइक चलाती थी। पुलिस के मुताबिक शादी के बाद कृष्णा अपनी ‘पत्नियों’ को अपना शरीर नहीं देखने देती थी। पुलिस का दावा है कि कृष्णा सेक्सुअल टॉयज के जरिये अपनी पत्नियों के साथ ‘शारीरिक संबंध’ भी बनाती थी।

अब इस तरह की घटनाओं के बाद आप क्या कहना चाहेंगे कि महिला अबला है। मानते हैं कि हर महिला ऐसी नहीं लेकिन ये ही बात पुरूषों पर भी लागू होती है कि किसी पुरूष के अपराध के कारण पूरी पुरूष जात को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। उससे पहली दफा में ही आरोपी नहीं बनाया जा सकता।

प्रिया सेठ, कृष्णा सेन के अलावा भी कई चर्चित मामले है जहां मुम्बई की डीजे शिखा तिवारी, वंदना भट्ट , आकांक्षा , रवनीत कौर, शीना बोना आदि शामि है। यहां तो अभी उन ही मामलों को शामिल किया गया जो एक लूटपाट के मकसद से वारदात को अंजाम दिया। ये कहना गलत नहीं होगा कि महिलाएं भी पुरूषों के मुकाबले इस मामले में भी कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है।

आप रोज अखबारों में प्रेम प्रसंग से जुड़ी घटनाओं को पढ़ते होंगे। जहां एक महिला अपने प्रेम संबंधों के चलते अपने पति समेत बच्चों तक को मरवा डालती है। ऐसी घटनाएं शायद आपके लिए आम हो लेकिन ये समाज के लिए बढ़ता खतरा है। जो न केवल पुरूषों के समझने से दूर होगा न ही महिलाओं के। यहां जरूरत सोच और साथ की।

पुराना इतिहास भी महिलाओं की चालबाजी का गंवा-
इतिहास खुद को दोहरता है ये तो आप मानते ही होंगे। अगर राजा-महाराजाओं के दौर की बात करें तो पाएंगे कि वहां भी राजाओं को मौत के घाट उतारने के लिए महिलाओं का सहारा लिया जाता था। ये कहना भी सही है कि महिलाएं अपनी खूबसूरती का जादू किसी पर भी बिखेरकर उसे अपने वंश में कर सकती है। अपराध तब भी वहीं था और अब भी लेकिन इसमें महिलाओं की संख्या बढ़ने के साथ जुर्म करने का तरीका बदल गया है।

इसलिए नहीं होता महिलाओं पर जल्दी से शक-
औरत को कुदरत ने अनोखी सुदंरता दी। जिसमें उनका मासूम चेहरा काफी कमाल का है। अपराध जगत में महिलाओं की भागीदारी बढ़ने का कारण उनका ये ही मासूम चेहरा है। पुलिस भी कई बार उनके इस मासूम चेहरे से चख्मा खा जाती है। कई बार पुलिस के सामने भी ये ही चुनौति होती है कि वह महिला अपराधी से जुर्म कैसे कबूल करवाएं। दरअसल, महिलाओं से पूछताछ करना आसान नहीं होता। उनके साथ पुरूषों के मुकाबले सख्ती नहीं बरती जा सकती है।

क्या आपको याद गैंगस्टर आनंदपाल का मामला जी हां वहीं जिसने राजस्थान पुलिस के साथ-साथ सरकार की भी नाक में दम कर दिया था। कहा जाता है कि आनंदपाल इतने समय तक पुलिस के हत्थे केवल इसलिए नहीं चढ़ा क्योंकि उसके साथ लेडी डॉन अनुराधा चौधरी का साथ था। खैर जो भी रहा हो लेकिन महिलाएं अपराध के क्षेत्र में काफी तेजी के साथ सक्रिय हो रही है। कुछ समाजशास्त्रीयों का मानना है कि महिलाओं की आजादी के नारे के साथ ही उनमें आक्रामकता आई है यही, महिलाओं के हाथों बढ़ते जुर्म की वजह है।

आजादी आ गई हाथों में-
समय ने जिस तेजी से करवट ली है उतनी ही तेजी से औरत ने अपनी उड़ान भरी है। महिलाओं की उड़ान अब इतनी तेज हो गई है कि अब वह हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा कर ही चैन लेना चाहती है। प्रिया सेठ के केस में भी ये ही निकलकर आया। प्रिया ने कहा कि वह राजस्थान की अनुराधा चौधरी की तरह बनना चाहती है। आप इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि अब महिलाएं पुरूषों के बराबर कंधे से कंधा मिलाकर नहीं बल्कि उसे ही पीछे छोड़ कई कदम आगे निकल चुकी है। यहां अपराध क्षेत्र की बात हो रही जिसमें पुरूषों के खिलाफ झूठे केस, उत्पीड़न, आत्महत्या के लिए मजबूर करना आदि मामले भी इसी में आते हैं। इन मामलों में भी महिलाओं की भागीदारी अधिक है। फिर चाहें पुलिस केस कुछ भी दायर करें। तो ये सब देखकर कहना ठीक होगा कि महिलाओं ने अब आजादी को अपने हाथों में ले लिया है। अगर किसी ने उसे रोकने का प्रयास किया तो आप किसी भी तरह के जुर्म में फंस सकते हैं।

साल 2014 में हत्या के मामलों में महिलाओं की गिरफ्तारी

महाराष्ट्र- 579

उत्तरप्रदेश- 472

कर्नाटक- 330

पश्चिम बंगाल- 317

मध्यप्रदेश- 316

अपराध जगत में शामिल इन महिलाओं ने देश की पुलिस ही नही बल्कि इंटरपोल तक को परेशान कर रखा है। भारत की ऐसी अनेक महिला डॉन है जिनको पकडऩे के लिए इंटरपोल ने दुनियाभर में नोटिस जारी किए हुए है। इनके खिलाफ जालसाजी,धोखाधड़ी और अपराध के कई संगीन मामले दर्ज है। अपराध में कोई भी शामिल हो गलत ही है लेकिन महिलाओं की तेजी देखकर कहना भी गलत नहीं होगा कि अब अपराध की दुनिया में भी महिलाएं पुरूषों का वर्चस्व नहीं रखना चाहती। बहरहाल नारी जगत का अपराध में पैर पसारना बड़े ही चिंता का सबब बनते जा रहा है। वक्त रहते शासन-प्रशासन और महिला संगठनों को इस पर ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि हमारी अबला नारी के कारनामे बढ़ रहे हैं।  ध्यान नही दिया तो यह स्थिति भयावह होकर भारतीय समाज के लिए घातक साबित होगी।

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