दुनियाभर में 2016 में 122 पत्रकार मारे गए, भारत का स्थान आठवां

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नई दिल्ली: दुनियाभर में नए साल की खुशियां मनाई जा रही है लेकिन 2016 में कुछ ऐसी घटनाएं हुई जिनसे शायद ही कुछ लोग वाकिफ हो। दरअसल इंटरनेशनल फेडरेशन आॅफ जर्नलिस्ट्स रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि साल 2016 में 122 पत्रकार और मीडियाकर्मी मारे गए। जिनमें से पांच भारत में मारे गए हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक 93 मीडियाकर्मी विभिन्न वजहों से की गई हत्या, बम विस्फोट और गोलीबारी जैसी घटनाओं में मारे गए जबकि बाकी की मौत दुर्घटनाओं में हुई। बता दें मारे गए पत्रकारों की सूची में भारत का स्थान आठवां है और इराक इस सूची में सबसे ऊपर है।

IFJ ने कहा कि 2015 में हत्या, बम हमला और गोलीबारी जैसी घटनाओं में 112 पत्रकार मारे गए थे और 2016 में यह संख्या घटकर 93 हुई है। इराक अभी भी मीडियाकर्मियों के मारे जाने के मामले में (15 पत्रकारों के मारे जाने) के साथ इस सूची में सबसे ऊपर है । इराक के बाद अफगानिस्तान (13) और मेक्सिको (11) का स्थान है।

पत्रकार ट्रेड यूनियनों के सबसे बड़े वैश्विक संघ के प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार मेक्सिको के बाद यमन में आठ, ग्वाटेमाला में छह, सीरिया में छह और भारत तथा पाकिस्तान में पांच…पांच पत्रकार मारे गए। हत्या, बम विस्फोट और गोलीबारी जैसी घटनाओं में 93 पत्रकारों के मारे जाने के अलावा ब्राजील के 20 खेल पत्रकारों की मौत कोलंबिया के मेडेलीन शहर के ऊपर विमान दुर्घटना में हो गई। नौ रूसी पत्रकारों की मौत सैन्य विमान दुर्घटना में हो गई।

हालांकि 2016 में हत्या, बम विस्फोट और गोलीबारी जैसी घटनाओं में मारे गए पत्रकारों की संख्या 2015 के मुकाबले कम है। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में 14 फरवरी को जन संदेश टाइम्स के ब्यूरो चीफ तरुण मिश्रा की हत्या कर दी गई । एक स्थानीय चैनल के पत्रकार इंद्रदेव यादव की 16 मई को हत्या कर दी गई ।

दैनिक हिंदुस्तान के ब्यूरो चीफ राजदेव रंजन की 13 मई को, जय हिंद के ब्यूरो चीफ किशोर दवे की 22 अगस्त को और दैनिक भास्कर के पत्रकार धर्मेंद्र सिंह की हत्या 12 नवंबर को हुई। भारत में वर्ष 2015 में निशाना बनाकर किए गए हमलों में छह मीडियाकर्मी मारे गए थे । इनमें ‘आज तक’ चैनल और दैनिक जागरण के पत्रकार भी शामिल थे।

IFJ के अध्यक्ष फिलिप लेरच्च्थ ने कहा, ‘‘पत्रकारों और मीडिया कर्मचारियों के खिलाफ हिंसा में कमी हमेशा ही स्वागत योग्य है लेकिन इन आंकड़ों और मीडिया कर्मचारियों को निशाना बनाकर लगातार होने वाले हमलों के चलते मौजूदा मीडिया सुरक्षा संकट के खत्म होने की कोई आशा नहीं दिखती है। IFJ का दावा है कि वह 140 देशों के छह लाख से ज्यादा पत्रकारों का प्रतिनिधित्व करता है । संगठन ने 2015 तक हत्याओं, गोलीबारी और बम हमलों की घटनाओं में 2,297 मीडियाकर्मियों की मौत दर्ज कर चुका है ।

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