‘जलीकट्टू’ के बाद अब ‘कंबाला’ चर्चा में, जानिए इसके बारें में

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एजुकेशन डेस्क: तमिलनाडु के चर्चित खेल जलीकट्टू के बाद आज मंगलुरू में ‘कंबाला’ खेल का आयोजन किया जा रहा है। इसे स्थानीय भाषा में भैंस दौड़ भी कह सकते हैं। दक्ष‍िण भारत में हर साल इसका आयोजन किया जाता है। ‘कंबाला’ से जुड़े कई रोचक तथ्य हैं। जानिये…

  • तटीय कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ और उडुपी जिलों का यह भैंस दौड़ खेल है, जो लगभग आठ दशकों से चला आ रहा है।
  • ‘कंबाला’ में दो भैंसों को बांध दिया जाता है और उन्हें कीचड़ में दौड़ाया जाता है।
  • भैंसों को 140 से 160 मीटर की दूरी 12 से 13 सेकंड में पूरी करनी होती है।
  • भैंसों को तेज भगाने के लिए किसान उन्हें कुहनी और कोड़े से मारते हैं।
  • ‘कांबला’ खेल दरअसल, नवंबर से मार्च के आखिर तक चलता है।
  • खेल में जीतने वाली भैंसों को पहले नारियल ईनाम के रूप में दिया जाता था। पर अब इसमें गोल्ड मेडल और ट्रॉफी दी जाने लगी है।
  • जानवरों के अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्थाओं द्वारा कोशि‍श किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने साल 2014 में जलीकट्टू के साथ-साथ इस खेल पर भी रोक लगा दिया था।
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