नई दिल्ली: 2 अक्टूबर को पूरे देश में स्वच्छ भारत अभियान के रूप में जोर देने वाले पीएम मोदी ने शुक्रवार को एक बैठक में कहा कि देश में चलाए जा रहे स्वच्छ भारत अभियान की में प्रंशसा करता हूं लेकिन केवल बजटीय आबंटन कर देने भर से स्वच्छ भारत को हासिल नहीं किया जा सकता है। सड़कों एवं अन्य स्थानों पर कचरे की तस्वीरें जारी करके उनके द्वारा शुरू किए गए स्वच्छ भारत अभियान के विफल होने का दावा करने वालों पर मोदी ने कहा कि उन्हें इस बात से संतोष है कि कम से कम साफ-सफाई के बारे में लोगों में अब जागरूकता तो पैदा हुई है।
स्वच्छ भारत अभियान के दो वर्ष पूरे होने पर आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘स्वच्छता अभियान के बाद मुझसे सड़कों पर फैले कचरे के बारे में अक्सर सवाल पूछे जाते थे। लेकिन मुझे इससे कोई समस्या नहीं है क्योंकि कम से कम अपने आसपास साफ-सफाई के बारे में लोगों की जागरूकता स्वागत योग्य संकेत है।’ स्वच्छता की तुलना देवत्व से करते हुए उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि धार्मिक स्थलों पर कचरे को कम्पोस्ट में बदला जाना चाहिए। मोदी ने कहा कि लोग जहां कचरे के ढेर को नापसंद करते हैं, वहीं उन्होंने साफ-सफाई को अपनी आदत नहीं बनाया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वच्छता का मुद्दा राजनीतिकों के लिए आसान काम नहीं है।
मोदी ने कहा कि किसी चीज का दोबारा उपयोग और पुनर्चक्रण लंबे समय से भारतीयों की आदत बन गई है। उन्होंने कहा कि इन्हें प्रौद्योगिकी संचालित बनाए जाने की जरूरत है। उन्होंने स्टार्टअप से स्वच्छता के लिए नए उपकरण विकसित करने का आग्रह किया जो लोगों की जरूरतों के अनुरूप हों। मोदी ने कहा कि लोग अपने वाहनों की साफ-सफाई पर काफी समय देते हैं लेकिन सार्वजनिक एवं सरकारी संपत्ति के साथ अपनी संपत्ति की तरह का व्यवहार नहीं करते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि यहां उपस्थित लोगों में अधिकांश ने बसों में सफर करते हुए सीट में छेद किए होंगे। उन्होंने कहा कि मेरा सिर्फ इतना कहना है कि हमें सरकारी और सार्वजनिक संपत्ति से अपनी संपत्ति के रूप में व्यवहार करना चाहिए।
मोदी ने कहा कि उन्होंने सूचना और प्रसारण मंत्री एम वेंकैया नायडू को दूरदर्शन पर ‘स्वच्छता से संबंधित खबरें प्रसारित करने का सुझाव दिया है क्योंकि स्वच्छता का संदेश फैलाना जरूरी है। एक पुरानी घटना को याद करते हुए मोदी ने कहा कि उन्होंने दो दशक पहले गुजरात के एक गांव में बाढ़ के बाद पुनर्निर्माण कार्य में सहयोग किया था । लेकिन जब कई वर्ष बाद में उन्हें उस गांव में जाने का मौका मिला जब उन्होंने पाया कि शौचालय में बकरियां बांधी गई हैं। मोदी ने कहा कि साफ-सफाई की आदत बालपन से ही विकसित की जानी चाहिए ताकि खुले में शौच की बुराई को समाप्त किया जा सके।