पहलाम हमले के बाद अमेरिका-पाकिस्तान में हुई थी सीक्रेट डील, शर्तें जानकर उड़ जाएंगे आपके होश

22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर में पहलगाम आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद भारत ने पाकिस्तान पर कई प्रतिबंध लगाए थे। इस बीच 27 अप्रैल को पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल ने ट्रंप के परिवार से जुड़ी क्रिप्टोकरेंसी कंपनी वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल के साथ समझौता किया।

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भारत-पाकिस्तान के बीच हुए सीजफायर के बाद से ही अमेरिका को लेकर हर भारतीय के मन में अलग-अलग सवाल उठ रहे हैं कि आखिर पाकिस्तान पर अमेरिका इतना मेहरबान क्यों हुआ कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध रुकवा दिया और सारा क्रेडिट खुद डोनाल्ड ट्रंप ले गए। इस बीच एक ऐसी खबर सामने आई है, जिसके बाद तस्वीर साफ होती दिख रही है।

पाकिस्तान पर अमेरिका की बड़ी मेहरबानी की वजह पाक आर्मी चीफ असीम मुनीर (crypto deal pakistan ) और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से जुड़ी एक सीक्रेट डील है। अब इस सीक्रेट डील से पर्दा उठ गया है। इस डील के बारे में जानकर आप भी चौंक जाएंगे।

दरअसल, टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका की एक निजी क्रिप्टोकरेंसी कंपनी और पाकिस्तान की सिर्फ एक महीने पुरानी गठित क्रिप्टो काउंसिल के बीच एक बड़ा सौदा हुआ है। पाकिस्तान में हुआ यह नया सौदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के परिवार और पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर से जुड़ा हुआ है, जो कि अब जांच के घेरे में आ गया है। इस सौदे में कई उच्च-प्रोफ़ाइल व्यक्तियों की संलिप्तता देखी गई है। यह कंपनी “वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल” है जो कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के परिवार से जुड़ी हुई है।

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असीम मुनीर का सबसे ज्यादा हाथ
बताया जा रहा है कि इस अहम सौदे पर हस्ताक्षर करने के लिए अमेरिका से एक उच्च-स्तरीय टीम इस्लामाबाद पहुंची थी, जिसका नेतृत्व कंपनी के संस्थापक ज़ैकरी विटकॉफ़ ने किया, जो डोनाल्ड ट्रंप के लंबे समय से व्यवसायिक साझेदार और वर्तमान में अमेरिका के मध्य पूर्व के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ़ के बेटे हैं। इस टीम का व्यक्तिगत स्वागत पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर ने किया और एक बंद कमरे में बैठक आयोजित हुई, जिसमें प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और असीम मुनीर दोनों मौजूद थे। उसके बाद यह डील फाइनल हुई।

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डील के पीछे क्या थी शर्ते
पाकिस्तान की क्रिप्टो काउंसिल और वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल द्वारा जारी एक संयुक्त बयान के अनुसार, इस समझौते के तहत वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल को पाकिस्तान के वित्तीय संस्थानों में ब्लॉकचेन तकनीक को एकीकृत करने की अनुमति दी गई है। इसमें संपत्तियों का टोकनाइजेशन, विभिन्न प्रकार की स्टेबलकॉइन का विकास और विकेंद्रीकृत वित्त (DeFi) परियोजनाओं के लिए रेगुलेटरी सैंडबॉक्स की सुविधा शामिल है। सौदे का उद्देश्य पाकिस्तान में “वित्तीय समावेशन और डिजिटल परिवर्तन” को बढ़ावा देना बताया गया है।

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27 अप्रैल को हुआ था समझौता
22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर में पहलगाम आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद भारत ने पाकिस्तान पर कई प्रतिबंध लगाए थे। इस बीच 27 अप्रैल को पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल ने ट्रंप के परिवार से जुड़ी क्रिप्टोकरेंसी कंपनी वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल के साथ समझौता किया। इस कार्यक्रम में वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल की टीम ने शिरकत की थी। इस टीम का नेतृत्व में डोनाल्ड ट्रंप के करीबी सहयोग स्टीव विटकॉफ के बेटे जैकेरी विटकॉफ ने किया था। उन्होंने यहां पर प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर से मुलाकात की थी।

माना जा रहा है कि अमेरिका की पाकिस्तान पर मेहरबानी शायद इसी लिए है। क्योंकि इससे पहले ट्रंप के पहले कार्यकाल में अमेरिकी प्रशासन पाकिस्तान पर काफी सख्त था। इतना ही नहीं, अमेरिका ने पाकिस्तान को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स(एफएटीएफ) की ग्रे लिस्ट में डाल दिया था। इससे पाकिस्तान को मिलनी वाली आतंकी फंडिंग और मनी लांड्रिंग पर रोक लग गई थी। फलस्वरूप पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था की कमर टूट गई। हालत ये हो गई कि पाकिस्तान दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गया। पाकिस्तान के लोगों को खाने-पीने के लाले पड़ने लगे। पाकिस्तान को कई देशों से भीख तक मांगनी पड़ गई। अभी भी पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था ढीली चल रही है।

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