सिंगापुर, हॉन्गकॉन्ग, चीन और थाईलैंड में बढ़ा COVID19, जानिए किस वैरिएंट के मिले केस

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एशिया के सिंगापुर, हॉन्गकॉन्ग, चीन और थाईलैंड ​​​​​​में कोरोना वायरस (Covid-19) के मामले फिर से बढ़ रहे हैं। इन देशों में नए मामलों की संख्या में इजाफा हो रहा है। इस बार संक्रमण के लिए ओमिक्रोन के नए वेरिएंट JN1 और उसके सब-वेरिएंट्स LF7 और NB1.8 को जिम्मेदार माना जा रहा है।

अधिकारियों का कहना है कि अब तक ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है जिससे यह लगे कि ये नए वेरिएंट पहले से ज्यादा खतरनाक या तेजी से फैलने वाले हैं। हालांकि, उनका मानना है कि यह लहर कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों पर अपना असर दिखा सकती है।

हॉन्गकॉन्ग में जनवरी से अब तक 81 मामले सामने आए हैं। इनमें से 30 की मौत हो चुकी है। चीन और थाईलैंड में भी अलर्ट जारी किया गया है। हालांकि, यहां मरीजों की संख्या के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है।

सिंगापुर में 1 मई से 19 मई के बीच 3000 मरीज सामने आए हैं। अप्रैल के आखिरी हफ्ते तक ये संख्या 11,100 थी। यहां मामलों में 28% का इजाफा हुआ है।

कमजोर इम्यूनिटी वालों के लिए खतरा है JN1 वेरिएंट
JN1, ओमिक्रॉन के BA2.86 का एक स्ट्रेन है। जिसे अगस्त 2023 में पहली बार देखा गया था। दिसंबर 2023 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे ‘वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ घोषित किया। इसमें करीब 30 म्यूटेशन्स हैं, जो इम्यूनिटी को कमजोर करते हैं। अमेरिका के जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के अनुसार JN1 पहले के वैरिएंट्स की तुलना में ज्यादा आसानी से फैलता है, लेकिन यह बहुत गंभीर नहीं है। यह दुनिया के कई हिस्सों में सबसे आम वेरिएंट बना हुआ है।

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COVID-19 JN1 के लक्षण कुछ दिनों से लेकर हफ्तों तक कहीं भी रह सकते हैं। अगर आपके लक्षण लंबे समय तक बने रहते हैं, तो हो सकता है कि आपको लॉन्ग-COVID हो । यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें COVID-19 के कुछ लक्षण ठीक होने के बाद भी बने रहते हैं।

भारत में क्या है कोविड का असर
भारत में अभी कोरोना की कोई बड़ी लहर नहीं दिख रही है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के मुताबिक 19 मई 2025 तक देश में केवल 93 मामले सामने आए हैं। मुंबई में डॉक्टरों ने हल्के लक्षणों वाले कुछ मामले देखे हैं, खासकर युवाओं में, लेकिन नई लहर का कोई जानकारी नहीं मिली है। भारतीय हेल्थ एक्सपर्ट्स ने पड़ोसी देशों में बढ़ते मामलों को देखते हुए सावधानी बरतने और वैक्सीन्स लेने की सलाह दी है।

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क्या मौजूदा COVID-19 वैक्सीन्स JN.1 स्ट्रेन पर काम करेंगी?
कई अध्ययनों से यह संकेत मिलता है कि JN.1 वैरिएंट के लिए शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को निष्क्रिय करना कठिन है। जीवित वायरस और लैब-निर्मित प्स्योडो-वायरस के बारे में किए गए शोध से यह पता चला है कि वैक्सीनेशन या पहले संक्रमण से प्राप्त एंटीबॉडीज JN.1 को पहले के वैरिएंट्स की तुलना में कम प्रभावी तरीके से अवरुद्ध करती हैं।

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इसका मतलब है कि JN.1 शरीर की मौजूदा प्रतिरक्षा रक्षा से आंशिक रूप से बच सकता है। WHO ने कहा कि XBB.1.5 मोनोवालेंट बूस्टर, जो विशेष रूप से Omicron के XBB.1.5 उपवैरिएंट को लक्षित करने के लिए डिज़ाइन किया गया COVID-19 वैक्सीन, ने कई अध्ययनों में JN.1 वैरिएंट के खिलाफ सुरक्षा बढ़ाने में प्रभावी पाया गया है।

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