ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अपरा एकादशी (Apara Ekadashi) इस साल 23 मई, शुक्रवार के दिन पड़ रही है। एकादशी तिथि का आरंभ 22 मई, गुरुवार के दिन रात 1 बजकर 12 मिनट से हो रहा है। वहीं, इसका समापन 23 मई, शुक्रवार के दिन रात 10 बजकर 29 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, अपरा एकादशी का व्रत 23 मई को रखा जाएगा।
अपरा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा का विशेष विधान शास्त्रों में बताया गया है। मान्यता है कि अपरा एकादशी के दिन व्रत रखने से जहां एक ओर जीवन में सुख-समृद्धि आती है तो वहीं, दूसरी ओर इस दिन व्रत का पालन करने से व्यक्ति को पापों से भी छुटकारा मिल जाता है।
अपरा एकादशी 2025 शुभ मुहूर्त
अपरा एकादशी यानी कि 23 मई को सूर्योदय सुबह 5 बजकर 46 मिनट से शुरू होगा। वहीं, सूर्यास्त शाम 7 बजे होगा। स्नान और दाना के लिए ब्रह्म मुहूर्त का समय सुबह 4 बजकर 10 मिनट से सुबह 4 बजकर 58 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा, अपरा एकादशी की पूजा के लिए अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 57 मिनट से दोपहर 12 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। अभिजीत मुहूर्त में अपरा एकादशी की पूजा हितकारी रहेगी।
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अपरा एकादशी के व्रत से कौनसे पाप होते हैं दूर?
ब्रह्म हत्या: यदि किसी व्यक्ति ने अनजाने में या जानबूझकर ब्राह्मण की हत्या की हो, तो इस व्रत के पुण्य से वह पाप भी नष्ट हो जाता है।
भूत योनि: जो लोग अपने कर्मों के कारण मृत्यु के बाद भूत-प्रेत की योनि में चले जाते हैं, वे भी इस व्रत के प्रभाव से मुक्त हो जाते हैं और उन्हें सद्गति प्राप्त होती है।
दूसरे की निंदा करना: किसी की बुराई करना या उसकी पीठ पीछे निंदा करना भी पाप माना जाता है। अपरा एकादशी का व्रत ऐसे पापों को धोने में सहायक होता है।
झूठी गवाही देना: न्यायालय या किसी भी स्थान पर झूठी गवाही देने से लगने वाला पाप भी इस व्रत के प्रभाव से दूर हो जाता है।
परस्त्री गमन: किसी पराई स्त्री के साथ संबंध रखना एक बड़ा पाप है, और अपरा एकादशी का व्रत इस पाप से भी मुक्ति दिलाता है।
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माप-तौल में धोखा: व्यापार या किसी भी लेन-देन में यदि कोई व्यक्ति माप-तौल में धोखा करता है, तो उसे इस पाप से मुक्ति मिल सकती है।
झूठे वैद्य या ज्योतिष का काम करना: जो लोग बिना ज्ञान के ज्योतिष का काम करते हैं या गलत तरीके से वैद्य बनकर लोगों को ठगते हैं, उनके पाप भी इस व्रत से नष्ट होते हैं।
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