cकार्यक्रम की शुरुआत वृद्धाश्रम में रहने वाली माताओं का सम्मान करके की गई। यूथ वीरांगनाओं ने उनके चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लिया और उन्हें फूलमालाएं पहनाकर सम्मानित किया। इसके बाद वृद्ध माताओं के साथ केक काटा गया और उन्हें पौष्टिक आहार व फल वितरित किए गए। इस आयोजन में माताओं के चेहरों पर जो खुशी झलकी, वह युथ वीरांगनाओ की इस छोटी-सी पहल की बड़ी सफलता को दर्शाती है। इस अवसर पर यूथ वीरांगना मीनाक्षी ने कहा कि मातृ दिवस केवल अपनी मां के लिए नहीं, बल्कि उन सभी माताओं को सम्मान देने का दिन है जिन्होंने समाज को दिशा दी है। उन्होंने कहा कि वृद्धाश्रम में रह रही माताएं भी हमारे समाज की नींव हैं और हमें उनके साथ समय बिताकर उन्हें अपनापन देना चाहिए। यूथ वीरांगना भावना ने कहा, “मां जीवन की प्रथम गुरु होती है। उनका प्यार, स्नेह और मार्गदर्शन ही हमारे जीवन की दिशा तय करता है।
मां वह शब्द है जो हर संस्कृति और भाषा में एक जैसा भाव रखता है।” एशना ने यह भी कहा कि आज की युवा पीढ़ी अपने कर्तव्यों से विमुख होती जा रही है, ऐसे में हमारा यह प्रयास है कि हम उन्हें यह संदेश दें कि वृद्धजनों की सेवा और माताओं का सम्मान हमारी संस्कृति और कर्तव्य का हिस्सा है। यूथ वीरांगनाएं सरोज, ऐशना, रीमा, कंचन , संगीता और अन्य सदस्यों ने भी इस आयोजन में सक्रिय भूमिका निभाई और पूरे कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोग किया। यह आयोजन केवल एक उत्सव नहीं था, बल्कि समाज में संवेदनशीलता, सम्मान और प्रेम के बीज बोने का एक सुंदर प्रयास भी था। यूथ वीरांगनाये टीम की यह पहल न केवल प्रेरणादायक रही, बल्कि यह भी दिखाया कि यदि युवा चाहें तो समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। की यह पहल न केवल प्रेरणादायक रही, बल्कि यह भी दिखाया कि यदि युवा चाहें तो समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
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