क्या आप जानते हैं कि भारतीय रेल में शौचालय की व्यवस्था कब से शुरू हुई। भारतीय रेल में शौचालय की सुविधा 1909 में अोखिल चंद सेन के पत्र के मिलने के बाद शुरू हुई थी। लेकिन ओखिल बाबू की जिस चिट्ठी के बाद ट्रेन के डिब्बों में शौचालयों का निर्माण हुआ आज उसे रेल म्यूजियम से हटा स्टोर रूम में फेंक दिया गया है। बताया जा रहा है कि ओखिल बाबू ने यह पत्र 107 साल पहले रेल प्रशासन को लिखा था।
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार ओखिल चंद सेन द्वारा 107 पहले लिखा गया पत्र नई दिल्ली स्थित नेशनल रेल म्यूजियम में रखा हुआ था। जिसे आने जाने वाले लोग पढ़ते थे। बताया जाता है कि उस समय रेल प्रशासन यात्रियों की शिकायत को बहुत गंभीरता से लेता था। इसी के चलते उस समय रेल प्रशासन ने ओखिल बाबू की चिट्ठी को शिकायत के तौर पर नहीं बल्कि सुझाव के तौर पर लिया। फिलहाल इस चिट्ठी को म्यूजियम से हटा दिया गया है और स्टोर रूम का हिस्सा है।
इस चिट्ठी की रख-रखाव की जरूरी प्रक्रिया पूरी होने के बाद म्यूजियम में शायद दोबारा लगाया जाए लेकिन इस बारे में अंतिम रूप से कुछ भी नहीं कहा जा सकता। इस चिट्टी में ओखिल बाबू ने सफर के दौरान शौच को लेकर अपनी व्यथा का बतायी थी साथ ही यह इच्छा जाहिर की थी कि अगर कोई व्यक्ति शौच करने के लिए जाता है तो गार्ड को चाहिए कि वह उसका इंतजार करें।
दरअसल, सफर के दौरान ओखिल चंद सेन को शौच महसूस हुई तो ट्रेन से नीचे उतरना पड़ा था, जिसके बाद ट्रेन चली पड़ी। वह ट्रेन के पीछे दौड़े तो नीचे गिर गए और उनकी धोती भी खुल गई। चिट्ठी में अपनी व्यथा लिखने के साथ उन्होंने धमकी भी दी थी। उन्होंने रेल प्रशासन से मांग की थी गार्ड पर जनहित में जुर्माना लगाया जाए और ऐसा न होने पर इस बात को अखबार के लिए बड़ी रिपोर्ट बना देंगे।
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