नई दिल्ली: अपनी मांगों को पूरा करवाने के लिए जाट आंदोलनकारी आज दिल्ली पहुंच गए है। बड़ी संख्या में आए आंदोलनकारियों को देख दिल्ली पुलिस भी परेशान है। जानकारी के मुताबिक जतंर-मंतर पर आज वे एक दिन का सांकेतिक धरना करेंगे अगर उनकी मांगों को नहीं माना गया तो संसद का घेराव होगा। अगर हरियाणा में आंदोलनकारियों के साथ सरकार कोई सख्ती करती है तो राजस्थान, पंजाब, यूपी, दिल्ली के जाट दिल्ली जाम करेंगे।
जाटों ने हरियाणा सरकार के साथ असहयोग आंदोलन भी शुरू कर दिया है। इसके तहत पूरे हरियाणा में जाट कहीं भी बिजली-पानी का बिल नहीं जमा करेंगे और न बैंक का लोन चुकाएंगे। आज जाट अपनी मांगों को लेकर राष्ट्रपति को ज्ञापन देने वाले हैं।
वहीं हरियाणा के सभी जिलों में भी धरने जारी हैं। कुल 38 धरने हरियाणा में चल रहे हैं। गौरतलब हो कि हरियाणा में जाटों का धरना और आंदोलन 3 दिन से चल रहा है। इससे पूर्व जाट आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष यशपाल मलिक ने ऐलान किया था कि दिल्ली पुलिस जिस जगह आंदोलनकारियों को रोकेगी वह सड़क हमारी होगी। वहीं पर आंदोलनकारी बैठ जाएंगे, इसलिए उन्हें रोकने की कोशिश न की जाए। वह सीधे जंतर-मंतर पर आएंगे।
मलिक का दावा है कि निजी वाहनों से करीब 10 हजार जाट आंदोलनकारी दिल्ली पहुंचे हैं। शुक्रवार को करीब दो सौ ट्रैक्टर-ट्राली से भी हजारों लोग आएंगे। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार उनकी मांग मानने के लिए तैयार नहीं है इसलिए उन्हें दिल्ली आना पड़ रहा है।
क्या है जाटों की मांग
फरवरी 2016 में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हरियाणा में मारे गए 18 जाट युवाओं के परिजनों को नौकरी.
जाट युवकों पर दर्ज केस वापस लेने व सांसद राजकुमार सैनी पर कार्रवाई करने की मांग.
जेलों में बंद जाट समाज के 67 युवाओं को रिहा करने की मांग.
जाट आरक्षण को संविधान की नौवीं सूची में डाला जाए.
कुरुक्षेत्र से बीजेपी सांसद राजकुमार सैनी की संसद सदस्यता रद्द की जाए.
जातीय द्वेष फैलाने वाले अधिकारियों, कर्मचारियों पर कार्रवाई हो.
दो जाट आंदोलनकारियों पर दर्ज हुआ है देशद्रोह का केस
19 फरवरी को रोहतक के जसिया में चल रहे धरने के मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने पर सोमबीर नामक युवक के खिलाफ पुलिस ने देशद्रोह का केस दर्ज किया।
21 फरवरी को रोहतक के छारा गांव निवासी चिंटू नामक युवक ने भी मंच से मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की। पुलिस ने उस पर भी देशद्रोह और लोगों की भावनाएं भड़काने का केस दर्ज किया है।
इसलिए और उलझ गया है मामला:
जाट आरक्षण के दौरान हिंसा के आरोपियों पर सीबीआई की ओर से दर्ज केस राज्य सरकार वापस नहीं ले सकेगी। सीबीआई के केस दर्ज करने के बाद तकनीकी तौर पर राज्य सरकार उसे अपने स्तर पर वापस नहीं ले सकती। ऐसे केस जांच के बाद सीबीआई के क्लोजर रिपोर्ट देने पर ही बंद हो सकते हैं।
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