हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी  गणगौर उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया

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हनुमानगढ़। सोमवार को नगरपरिषद हनुमानगढ़ द्वारा हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी  गणगौर उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर पूर्व पार्षद अर्चित अग्रवाल, मुख्य सफाई निरीक्षक प्रेमलता पुरी, जगदीश सिराव, करणी सिंह, विक्रम कुमार, सुन्दर बंसल, प्रेम बंसल, व अन्य गणमान्य नागरिकों ने ईसर व गणगौर की विधिवत पूजा अर्चना पण्डित संजय पारीक द्वारा विधिवत पूजा अर्चना कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। इसके पश्चात् गणगौर की शोभा यात्रा निकाली गई। जगदीश सिराव ने बताया कि यह शोभायात्रा नगर परिषद कार्यालय से शुरू होकर भटनेर दुर्ग पर पहुंची जहां पर शहर की महिलाओं द्वारा पूजा कि गई । इस के पश्चात शोभा यात्रा बाजार से होती हुई रामलीला रंगमंच पर पहुची जहॉ सभी के दर्शनो के लिये रखी गई । गणगौर कि शोभा यात्रा बैण्ड बाजो के साथ ऊटों व घोड़ो पर सवार राजस्थानी वेशभूषा में सुसर्जित सवार बैठे थे ।

भटनेर दुर्ग पर भारी संख्या में महिलाओं ने ईसर गौर कि पुजा अर्चना की । पूर्व पार्षद अर्चित अग्रवाल ने बताया कि गणगौर राजस्थान एवं सीमावर्ती मध्य प्रदेश का एक त्यौहार है जो चौत्र महीने की शुक्ल पक्ष की तीज को आता है। इस दिन कुवांरी लड़कियां एवं विवाहित महिलायें शिवजी (ईसर जी) और पार्वती जी (गौरी) की पूजा करती हैं। पूजा करते हुए दूध से पानी के छांटे देते हुए गोर गोर गोमती गीत गाती हैं। गणगौर राजस्थान में आस्था, प्रेम और पारिवारिक सौहार्द का सबसे बड़ा उत्सव है। गण (शिव) तथा गौर (पार्वती) के इस पर्व में कुँवारी लड़कियां मनपसंद वर पाने की कामना करती हैं। विवाहित महिलायें चौत्र शुक्ल तृतीया को गणगौर पूजन तथा व्रत कर अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं।

होलिका दहन के दूसरे दिन चौत्र कृष्ण प्रतिपदा से चौत्र शुक्ल तृतीया तक 18 दिनों तक चलने वाला त्योहार है .गणगौर। यह माना जाता है कि माता गवरजा होली के दूसरे दिन अपने पीहर आती हैं तथा आठ दिनों के बाद ईसर ;भगवान शिव उन्हें वापस लेने के लिए आते हैं ,चौत्र शुक्ल तृतीया को उनकी विदाई होती है। गणगौर की पूजा में गाये जाने वाले लोकगीत इस अनूठे पर्व की आत्मा हैं। राजस्थान के कई प्रदेशों में गणगौर पूजन एक आवश्यक वैवाहिक रस्म के रूप में भी प्रचलित है। गणगौर पूजन में कन्याओं और महिलाएं अपने लिए अखंड सौभाग्य ,अपने पीहर और ससुराल की समृद्धि तथा गणगौर से हर वर्ष फिर से आने का आग्रह करती हैं । शोभायात्रा के बाद रंगमंच पर सम्पन्न हुई ।

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