दिल्ली: खादी विलेज इंडस्ट्रीज कमीशन (KVIC) की डायरी और कैलेंडर में गांधी के बजाए मोदी की तस्वीर ने सियासी रंग ले लिया है। कांग्रेस का कहना है कि मोदी इस मामले में देश से माफी मांगें। तो दूसरी तरफ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल महात्मा गांधी की तस्वीर हटाए जाने पर आपत्ति जताई है।
दरअसल, कैलेंडर के कवर फोटो और डायरी में बड़े से चरखे पर खादी कातते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर है। मोदी की तस्वीर गांधी के सूत कातने वाले क्लासिक पोज में है। जहां एक साधारण से चरखे पर अपने ट्रेडमार्क पहनावे में खादी बुनते गांधी की ऐतिहासिक तस्वीर थी, वहां अब कुर्ता-पायजामा-वेस्टकोट पहने मोदी नया चरखा चलाते दिखते हैं।
इस कदम से क्षुब्ध KVIC कर्मचारियों ने गुरुवार को विले-पार्ले मुख्यालय में शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने का फैसला किया और भोजनावकाश के समय मुंह पर काली पट्टी बांधी। सोशल मीडिया पर इसे लेकर यूजर्स की तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली है। लोगों ने शुक्रवार को #चरखा_चोर_मोदी हैशटैग के तहत पीएम पर ‘चरखा हाईजैक करने’ का आरोप मढ़ा।
केजरीवाल का ट्वीट यूजर्स का तकड़ा जवाब-
इस पर केजरीवाल ने ट्वीट पर मोदी को ‘उपहास का पात्र’ हुए कहा, ”गांधी बनने के लिए कई जन्मों की तपस्या करनी पड़ती है। चरख़ा कातने की ऐक्टिंग करने से कोई गांधी नहीं बन जाता, बल्कि उपहास का पात्र बनता है।’ अरविंद केजरीवाल ने मोदी पर निशाना साधने की कोशिश की, मगर लोगों ने उन्हें जवाब में एक तस्वीर दिखाई। ठंड के दिनों में चरखा चलाते केजरीवाल की यह तस्वीर करीब दो साल पुरानी है। यूजर्स ने फोटो शेयर कर पूछा कि ‘अगर मोदी एक्टिंग कर रहे हैं, तो आप क्या कर रहे हैं।’ एक यूजर ने लिखा, ”जनता के साथ धोखाधड़ी करना/उल्लू बनाना/लूटना/PM से अधिक salary/झूठ बोलने में आपकी कितने जन्मो की तपस्या है?”
इससे पहले ट्विटर यूजर्स ने मोदी को भी निशाने पर लिया था। एक यूजर ने गांधी और मोदी की तस्वीरें शेयर करते हुए पहले को ‘राष्ट्रपिता’ तो दूसरे को ‘भाषण का बाप’ बताया। कई यूजर्स ने खादी और गांधी को अलग-अलग करने पर गुस्सा जाहिर किया है। सैयद मकबूल लिखते हैं, ”गांधी और गांधी अलग नहीं किए जा सकते। बाप की एक भी तस्वीर के बगैर कैलेंडर और डायरी छापने का फैसला गांधीवादियों को तकलीफ देगा।” इसी तरह कई प्रतिक्रिया देखने को मिली।
युगपुरुष केजरीवाल बनने के लिए कई रंगबदलु गिरगिटों की मौत होनी पड़ती है।सिर्फ दोहरे मापदंड और बेबुनियाद आरोप करनेसे कोई केजरीवाल नहीं बन जाता pic.twitter.com/V9NHWzgj23
— Sickcular Fiberal (@SickularLibtard) 13 January 2017
People of India will never ‘Bare’ you nautanki man they will throw you out of the PM post you ” Hitller” #चरखा_चोर_मोदी pic.twitter.com/3dGiv2STtt
— manju jadhav (@manjujadhav_) 13 January 2017
चेयरमैन की सफाई:
KVIC के चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना की मानें तो मसले पर विवाद बेबुनियाद है। सक्सेना का दावा है कि कमीशन की डायरी और कैलेंडर पहले भी गांधीजी की तस्वीर के बिना छपते रहे हैं और सिर्फ गांधीजी की तस्वीर छापने का कोई नियम नहीं है। सक्सेना की दलील है कि मोदी की तस्वीर का इस्तेमाल खादी को बढ़ावा देने के लिए किया गया है। उन्होंने मोदी को युवाओं का आदर्श बताया और दावा किया कि उनकी बदौलत पिछले 2 सालों में खादी का इस्तेमाल 34 फीसदी तक बढ़ा है। KVIC सूत्रों की मानें तो कैलेंडर और टेबल डायरी में गांधीजी की तस्वीर ना छपना कोई नई बात नहीं है. के 1996 , 2002 , 2005 , 2011 , 2012 , 2013 , 2016 में भी ऐसा ही हुआ था।