बंगाल में सैकड़ों साल से दुर्गा पूजा हो रही है. कहा जाता है कि बंगाल से ही देश के दूसरे हिस्सों में दुर्गा पूजा आयोजित करने का चलन फैला.

आज भी पश्चिम बंगाल जैसी दुर्गा पूजा कहीं नहीं होती. पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा आयोजित करने की शुरुआत को लेकर कई कहानियां हैं

पहली बार दुर्गा पूजा कैसे हुई, क्यों आयोजित की गई, इसको लेकर दिलचस्प किस्सा है.

एक कहानी ये है कि पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा का आयोजन 1757 के प्लासी के युद्ध के बाद शुरू हुआ

कहा जाता है कि प्लासी के युद्ध में अंग्रेजों की जीत पर भगवान को धन्यवाद देने के लिए पहली बार दुर्गा पूजा का आयोजन हुआ था. प्लासी के युद्ध में बंगाल के शासक नवाब सिराजुद्दौला की हार हुई थी.

बंगाल में मुर्शिदाबाद के दक्षिण में 22 मील दूर गंगा किनारे प्लासी नाम की जगह है. यहीं पर 23 जून 1757 को नवाब की सेना और अंग्रेजों के बीच युद्ध हुआ.

ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने रॉबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में युद्ध लड़ा और नवाब सिराजुद्दौला को शिकस्त दी.

उस वक्त अंग्रेजों के हिमायती राजा नव कृष्णदेव सामने आए. उन्होंने रॉबर्ट क्लाइव के सामने भव्य दुर्गा पूजा आयोजित करने का प्रस्ताव रखा. इस प्रस्ताव पर रॉबर्ट क्लाइव भी तैयार हो गया.

पूरे कोलकाता को शानदार तरीके से सजाया गया. कोलकाता के शोभा बाजार के पुरातन बाड़ी में दुर्गा पूजा का आयोजन हुआ. इसमें कृष्णनगर के महान चित्रकारों और मूर्तिकारों को बुलाया गया.