पाकिस्तानी आर्मी चीफ आसिम मुनीर (asim munir) अब फील्ड मार्शल होंगे। पाकिस्तान की शहबाज़ शरीफ सरकार ने आर्मी चीफ आसिम मुनीर के प्रमोशन का फैसला किया है और उन्हें फील्ड मार्शल बना दिया है। मुनीर का यह प्रमोशन भारत के खिलाफ ऑपरेशन बुनयान-उम-मार्सूस के दौरान आर्मी को लीड करने की वजह से किया गया।
बताया जाता है कि, मुनीर परंपरागत सैनिक नहीं होते भी आर्मी चीफ बन गए। वह साल 1986 में जियाउल हक के दौर में आर्मी में भर्ती हुआ था और अपने रिटायरमेंट से दो दिन पहले ही मुनीर आर्मी चीफ बना था। ऑफिसर्स ट्रेनिंग स्कूल के जरिए मुनीर की सेना में भर्ती हुई थी वह पाकिस्तान मिलिट्री एकेडमी के जरिए सेना में नहीं आया था।
मुनीर के पिता रावलपिंडी की मस्जिद में इमाम थे और मुनीर की शुरुआती पढ़ाई मदरसे में हुई थी। मुनीर के पास हाफ़िज़-ए-क़ुरान की डिग्री है और वह अपने गुरु जियाउल को फॉलो करता है और ‘ब्लीड इंडिया विद अ थाउजेंड कट्स’ की नीति पर यकीन करता है। भारत में पुलवामा हमले के समय आसिम मुनीर ISI का चीफ हुआ करता था।
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मुनीर 2014 में मेजर जनरल बने थे
25 अप्रैल 1986 को मुनीर पाकिस्तान की आर्मी में शामिल हुए। उन्हें फ्रंटियर फोर्स रेजिमेंट की 23वीं बटालियन में कमीशन मिला। जब सेना में मुनीर का ओहदा बढ़कर लेफ्टिनेंट कर्नल का हुआ तब मुनीर को सऊदी अरब में पाकिस्तानी दूतावास में तैनाती मिली।
उनका काफी वक्त पाकिस्तान के कब्जाए कश्मीर यानी PoK में भी गुजरा है। ब्रिगेडियर रहते हुए उन्हें पाकिस्तान की ‘आई स्ट्राइक कोर मंगला’ का चीफ ऑफ स्टाफ बनाया गया। इसके बाद 2014 में मेजर जनरल बना दिया गया। 2016 में मुनीर पाकिस्तान के मिलिट्री इंटेलिजेंस के डायरेक्टर जनरल बने और सितंबर 2018 में लेफ्टिनेंट जनरल की पोस्ट तक पहुंचे।
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क्या होता पाकिस्तान में फील्ड मार्शल का मतलब
फील्ड मार्शल पाकिस्तान सेना में सर्वोच्च सैन्य रैंक है, जो एक फाइव स्टार रैंक के रूप में माना जाता है। यह रैंक जनरल (फोर स्टार) से ऊपर है। पाकिस्तान में फील्ड मार्शल का पद सेना, नौसेना और वायुसेना में सबसे ऊंचा होता है।पाकिस्तान के इतिहास में आसिम मुनीर से पहले 1959 में अयूब खान को फील्ड मार्शल बनाया गया था।
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