रोजाना करें ये चार योग और पाएं पीरियड के दर्द से निजात…

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लाइफस्टाइल डेस्क: ज्यादातर महिलाओं में पीरियड्स के दौरान असहनीय दर्द की शिकायत रहती है। कई बार उल्टियां और जी मिचलाने की शिकायत भी रहती है। ऐसे में आप सोचती होगी कि इस दर्द से निजात पाने का कोई उपाय है भी या नहीं तो हम आपके सवाल का जवाब देते हैं। अगर अपनी दिनचर्या में योग और व्‍यायाम को शामिल किया जाए तो काफी हद तक इस तकलीफ से निजात पाई जा सकती है।

किंग्स कॉलेज लंदन में हुए एक अध्‍ययन के मुताबिक आप नियमित योग करके पीरियड्स के दौरान होने वाली तकलीफों को काफी हद कम कर सकते हैं। इस अध्‍ययन में शामिल अधिकांश महिलाओं ने यह पाया कि योग करने से उनकी तकलीफ काफी हद तक कम हो गई।

रोजाना करें ये चार योग और पीरियड के दर्द से पाएं निजात

पद्मासन – जमीन पर बैठकर अपना दायां पांव मोड़ें और दाएं पैर को बाईं जांघ के ऊपर तथा कूल्हों के पास रखें। ध्यान रहे कि दाईं एड़ी से पेट के निचले बाएं हिस्से पर दबाव पड़ना चाहिए। अब बायां पांव मोड़ें तथा बाएं पैर को दाईं जांघ के ऊपर रखें। दोनों हाथों को ज्ञानमुद्रा में घुटनों के ऊपर रखें। पद्मासन के दौरान रीढ़ की हड्डी बिलकुल सीधी रहनी चाहिए। अब धीरे धीरे सांस लें और छोड़ें। आप 1 मिनट से लेकर 15 मिनट तक यह आसन कर सकते हैं। पद्मासन करने से आपके शरीर को आराम महसूस होगा।

पद्मासन

पश्चिमोत्तानासन – सबसे पहले जमीन पर बैठ जाएं। अब दोनों पैरों को सामने फैलाएं। पीठ की मांसपेशियों को ढीला छोड़ दें। सांस लेते हुए अपने दोनों हाथों को ऊपर लेकर जाएं। फिर सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें और नाक को घुटने से सटाने की कोशिश करें। धीरे धीरे सांस लें और छोड़ें। फिर पुरानी अवस्‍था में लौट आएं और इस प्रक्रिया को फिर से दोहराएं। 3 से 5 बार यह चक्र दोहराएं।

पश्चिमोत्तानासन

वज्रासन –  पैरों को जमीन पर फैलाकर बैठ जाएं और हाथों को शरीर के बगल रखें। दाहिने पैर को घुटने से मोड़ें और दाहिने कूल्हे के नीचे रखे। इसी तरह बाएं पैर को बाएं बटक के नीचे लाएं। एड़ी को ऐसे रखें कि पैर की बड़ी उंगलियां एक दूसरे पर न चढ़ें। दोनों हाथों को घुटनों पर रखें। ध्‍यान रहे कि रीढ़ की हड्डी बिलकुल सीधी हो। अब आंखें बंद कर लें। इस अवस्‍था में पांच से दस मिनट तक बैठें। वज्रासन से कमर दर्द में आराम मिलेगा।

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जनुशीर्षासन – जमीन पर बैठकर दोनों पैरों को सीधा कर लें। अब एक पैर को मोड़ लें, जैसे आलती-पालथी मारने की मुद्रा में किया जाता है। अब दोनों हाथों से एड़ी को पकड़ें और सिर को झुकाकर घुटने को छूने का प्रयास करें। बारी-बारी से दोनों पैरों को मोड़कर यह क्रिया दोहराएं।

जनुशीर्षासन

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