बिहार तेजाब कांड: खारिज की शहाबुद्दीन की याचिका, उम्रकैद बरकरार

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पटना: बिहार के बहुचर्चित तेजाब कांड तो आपको याद होगा। आज हाईकोर्ट ने स्पेशल कोर्ट के फैसले पर बयान देते हुए कहा कि शहाबुद्दीन की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी जाएगी। पटना हाई कोर्ट ने शहाबुद्दीन की याचिका को खारिज करते हुए निचली अदालत के फैसले को सही माना है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, 30 जून 2017 को ही शहाबुद्दीन की सजा पर फैसला सुरक्षित कर लिया था।

क्या है तेजाब कांड
साल 2004 में बिहार के सिवान जिले में चंद्रेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू अपनी पत्नी, बेटी और चार बेटों के साथ रहा करते थे। उनकी मुख्य बाजार में दो दुकानें थीं। 16 अगस्त, 2004 कुछ लोग उनकी दुकान पर पैसे मांगने पहुंचे तो उन्होंने मना कर दिया। इसके बाद वे दुबारा गए तब दुकान पर उनका बेटा सतीश था। बेटे से 2 लाख रूपये देने की मांग रखी तो बेटे ने 30-40 हजार रूपये देने की बात कही।

पैसे वसूलने आए लोग ज्यादा थे लोगों ने सतीश को पीटा और दुकान में रखें सभी पैसे ले लिए। पिटने के बाद सतीश घर में गया और बाथरूम साफ करने वाला तेजाब एक मग में डालकर लाया। सारा तेजाब उसने पैसे वसूलने आए बदमाशों पर फेंक दिया।

तेजाब के छीटें उसके भाई राजीव पर भी पड़े। इसके बाद वहां भगदड़ मच गई। इसके बाद बदमाशों ने चंदा बाबू के तीनों बेटो को जेब में डालकर ले गए। और सरेआम सतीश और गिरीश के ऊपर तेजाब से भरी बाल्टी उड़ेल दी गई। इसके बाद उन दोनों की लाश के टुकड़े टुकड़े करके बोरे में भरकर फेंक दिए गए।

मामला यही नहीं थमा था शहाबुद्दीन चंदबाबू के दो बेटो की हत्या में भले ही जेल में था लेकिन 16 जून, 2014 को डीएवी मोड़ के पास हमलावरों ने राजीव रोशन को भी गोली मार कर हत्या कर दी। चंदा बाबू के यह तीसरे बेटे की हत्या थी, जो भाइयों में सबसे बड़ा था। इस पूरे घटना का परिवार पर क्या असर पड़ा इसका अंदाजा हम नहीं लगा सकते लेकिन बिहार की इस हत्याकांड के बाद खौफ में जीने को मजबूर हो गया।

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 कोर्ट ने इस जघण्य हत्याकांड में मोहम्मद शहाबुद्दीन के साथ-साथ राजकुमार साह, मुन्ना मियां एवं शेख असलम को भी उम्रकैद की सजा सुनाई थी। शहाबुद्दीन के पक्ष ने इस सजा के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। लेकिन अब वहां से भी फैसला आ चुका है।

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