पाकिस्तान से तनाव के बीच केंद्र सरकार ने कई राज्यों से 7 मई को मॉक ड्रिल (Mock Drill) करने के लिए कहा है। इसमें नागरिकों को हमले के दौरान खुद को बचाने की ट्रेनिंग दी जाएगी। यह इसलिए किया जा रहा है ताकि युद्ध की स्थिति में लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इससे पहले, पंजाब के कई इलाकों में ब्लैकआउट एक्सरसाइज करवाई गई थी।
बता दें कि मॉक ड्रिल युद्ध या आपदा जैसी किसी बड़ी आपात स्थिति से पहले की जाने वाली तैयारी होती है। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में बड़ा आतंकी हमला हुआ, जिसमें 26 लोगों की मौत हुई। इसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है। सरकार किसी भी संभावित खतरे से पहले तैयारी करना चाहती है।
आखिरी बार, ऐसा अभ्यास 1971 के युद्ध के दौरान हुआ था. कारगिल के दौरान ऐसा कोई मॉक ड्रिल कहीं पर भी नहीं हुआ। क्योंकि हम उसको एक लिमिटेड सेक्टर में ही सिमित रखना चाहते है. इस तरह का मॉक ड्रिल 1999 के युद्ध में भी नहीं हुआ।
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मॉक ड्रिल में बातों पर सीखाया जाएगा
1. हवाई हमले के सायरन की जांच और उसके प्रति जागरूकता।
2. हमले की स्थिति में नागरिकों और छात्रों को अलर्ट करना।
3. हवाई हमले के दौरान ब्लैकआउट यानी लाइट बंद करने का अभ्यास।
4. दुश्मन के विमानों से बचाव के लिए संयंत्रों को ढंकने और छुपाने की ट्रेनिंग।
5. हमले के संभावित स्थानों को खाली कराने का रिहर्सल।
फर्क समझिए मॉक ड्रिल और ब्लैकआउट एक्सरसाइज क्या है…
- मॉक ड्रिल यानी एक तरह की “प्रैक्टिस” जिसमें हम यह देखते हैं कि अगर कोई इमरजेंसी (जैसे एयर स्ट्राइक या बम हमला) हो जाए, तो आम लोग और प्रशासन कैसे और कितनी जल्दी रिएक्ट करता है
- ब्लैकआउट एक्सरसाइज का मतलब है कि एक तय समय के लिए पूरे इलाके की लाइटें बंद कर देना। इसका मकसद यह दिखाना होता है कि अगर दुश्मन देश हमला करे, तो इलाके को अंधेरे में कैसे सुरक्षित रखा जा सकता है। इससे दुश्मन को निशाना साधने में मुश्किल होती है।
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