फोन या लैपटॉप की एंटीवायरस स्कैनिंग करते वक्त रखें इन 4 बातों का ध्यान

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गैजेट्स डेस्क: सिस्टम को सुरक्षित रखने के लिए एक एंटी वायरस प्रोग्राम से उसे नियमित स्कैन करना जरूरी होता है। यही वजह है कि यह आपके सिस्टम का एक महत्वपूर्ण फीचर होता है। ऐसे में यूजर के तौर पर आपको मालूम होना चाहिए कि एंटीवायरस स्कैनिंग कितनी तरह की होती है और यह एक दूसरे से कैसे अलग होती है।

आमतौर पर तीन तरह से स्कैन करता है। फुल स्कैन, कस्टम स्कैन और रैपिड या क्विक स्कैन जिसे स्मार्ट स्कैन भी कहा जाता है। जानिए कि ये स्कैन कैसे काम करते हैं और कब इस्तेमाल

फुल स्कैन: यह आपके सिस्टम के अंदर और बाहर की पूरी स्कैनिंग करता है। इसके जरिए आपके सिस्टम की हार्डड्राइव, रिमूवेबल स्टोरेज और नेटवर्क ड्राइव्स के साथ रैम, सिस्टम बैकअप, स्टार्टअप फोल्डर आदि को स्कैन किया जाता है। फुल स्कैनिंग में कुछ घंटे का समय लग सकता है जो कि सिस्टम में स्टोर डेटा पर निर्भर करता है।

कब करें- सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स का मानना है कि हर दो सप्ताह में एक बार सिस्टम को फुल स्कैन करना चाहिए। अगर ऐसा संभव न हो तो सिस्टम की सुरक्षा के लिए महीने में एक बार फुल स्कैन बेहद जरूरी है।

कस्टम स्कैन: यहां आप स्कैन की जाने वाली लोकेशन को सलेक्ट कर सकते हैं और एंटीवायरस को दूसरी ड्राइव्स को स्कैन करने से रोक सकते हैं।

कब करें- हरेक ड्राइव को तेजी से एनालाइज करने के लिए यह स्कैन करें। एक्सटरनल स्टोरेज और रिमूवेबल मीडिया को चेक करने का यह एक विश्वसनीय तरीका है।

स्मार्ट स्कैन: यह वायरस से इंफेक्टेड फाइल्स की ही स्कैनिंग करता है और इसलिए यह कम समय में पूरा हो जाता है और उन्हीं फाइल्स को स्कैन करता है जो पिछले स्कैन के बाद मॉडिफाइ हुई हों।

कब करें- स्मार्ट स्कैन रोज काम आने वाला टूल है जो कुछ मिनटों में काम पूरा कर देता है। यह आपके सिस्टम की सेहत की पूरी तस्वीर आपके सामने रख देता है। ऐसे में आप जब चाहें इसे काम ले सकते हैं।

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