क्या है हायर एजुकेशन कमीशन और UGC के खत्म करने पर क्या होंगे फायदें

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एजुकेशन डेस्क: उच्च शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए केंद्र सरकार ने बुधवार को यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन यानी यूजीसी को खत्म करने का ऐलान कर दिया। उच्चतर शिक्षा संस्थानों के रेगुलेशन के लिए अब एचईसीआई यानी हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया बनेगा।

इसके लिए साल 1951 का यूजीसी एक्ट खत्म करके एचईसीआई एक्ट, 2018 लागू किया जाएगा। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को नए एक्ट का ड्राफ्ट जारी किया। नए आयोग को दाेयम दर्जे के और फर्जी शिक्षण संस्थान बंद करवाने की शक्तियां भी दी जाएंगी।

इसका आदेश नहीं मानने वाले संस्थानों के प्रबंधन को तीन साल तक की जेल हो सकेगी। एचआरडी मंत्री, उच्चतर शिक्षा सचिव और स्टेट हायर एजुकेशन काउंसिल के प्रमुखों की एडवाइजरी काउंसिल हर छह माह में विभिन्न मुद्दों पर नए आयोग को राय भी देगी।

एचईसीआई के बारे में वह सब कुछ जो आप जानना चाहते हैं 


एचईसीआई ऐसा क्या खास करेगा? 
यूजीसी संस्थानों को ग्रांट्स जारी करने में ही उलझा रहता है। संस्थानों की मेंटरिंग, रिसर्च पर फोकस और गुणवत्ता के मानकों पर ध्यान नहीं दे पाता। एचईसीआई सिर्फ एकेडमिक मामलों पर फोकस करेगा। आर्थिक अनुदान के मामले मंत्रालय देखेगा।

नया आयोग कौन-कौन से काम करेगा? 
उच्चतर शिक्षा कोर्सों का लर्निंग आउटकम तय करेगा। टीचिंग, असेसमेंट, रिसर्च व इनसे जुड़े पहलुओं, अधिक लचीलेपन एवं स्वायत्तता के साथ संस्थान खोलने-बंद करने और अहम पदों पर नियुक्तियों के मानक तय करेगा। फैकल्टी को इंसेंटिव देने, फीस व दाखिलों के नियम बनाने, हर साल उच्चतर शिक्षा संस्थानों की परफॉर्मेंस का मूल्यांकन करने, मानकों पर खरे नहीं उतरने वाले संस्थानों की मेंटरिंग करने, संस्थानों को बंद करने का आदेश भी देगा।

नए आयोग के आदेश यूजीसी से कैसे अलग होंगे? 
एकेडमिक गुणवत्ता लागू करवाने की शक्तियां दी गई हैं। दाेयम दर्जे के और फर्जी संस्थान बंद करने का आदेश दिया जाएगा। आदेश नहीं मानने पर इनके चीफ एग्जीक्यूटिव और प्रबंधन के अन्य सदस्यों के खिलाफ सीआरपीसी के तहत केस चलेगा। तीन साल तक की जेल और जुर्माने का प्रावधान है। यूजीसी के पास ये शक्तियां नहीं हैं। लोगों को जागरूक करने वह सिर्फ फर्जी संस्थानों की सूची जारी करता है।

एअाईसीटीई और एनसीटीई जैसे रेगुलेटर्स का क्या होगा? 
सरकार पहले एआईसीटीई, एनसीटीई और यूजीसी को मिलाकर एक रेगुलेटर बनाना चाहती थी, लेकिन मई में एचआरडी मंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में योजना खारिज कर दी गई। कैडर मर्जर और अन्य तकनीकी बिंदुओं पर पेच फंसते देख तय हुआ कि अभी उच्चतर शिक्षा की क्वालिटी सुधारने पर जोर दिया जाए। एचईसीआई की तर्ज पर एआईसीटीई और एनसीटीई के कानून भी बदल दिए जाएंगे।

नया आयोग कब से काम शुरू कर देगा? 
ड्राफ्ट के कानून में बदलने के बाद ही आयोग अस्तित्व में आएगा। सरकार ने 7 जुलाई तक ड्राफ्ट पर टिप्पणियां आैर सुझाव मांगे हैं। मोदी सरकार का कार्यकाल एक साल से भी कम बचा है। ऐसे में बिल जल्दी पारित करवाने के प्रयास होंगे। इसे मानसून सत्र में पेश किया जा सकता है। हालांकि, राज्यसभा में पास करवाना सरकार के लिए चुनौती रहेगी।

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