विदेशी मीडिया: तलाक की शिकार मुस्लिम महिलाओं की जीत पर छाए PM मोदी

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नई दिल्ली: तीन तलाक का मुद्दा कल दुनियाभर के मीडिया में छाया रहा। कई प्रमुख अखबारों ने कुछ इस तरह इस खबर को प्रमुखता दी, तो कई अखबारों में पीएम मोदी भी छाए रहे। विदेशी मीडिया ने कहा कि दक्षिणपंथी पार्टी के नेता और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार खुल कर तीन तलाक का विरोध किया।

उन्होंने मुस्लिम महिलाओं को इस दर्द से आजादी दिलाने का संकल्प लिया और उनकी सरकार ने उस दिशा में काम किया और आज उसका परिणाम सामने है। ब्रिटिश अखबार द गार्जियन ने इसे महिलाओं के अधिकारों के लिए बड़ी सफलता बताया। वहीं, ब्रिटेन के ही द टेलीग्राफ ने लिखा है कि पहली बार सर्वोच्च अदालत ने माना कि ये प्रथा गैरकानूनी है।

पाकिस्तान के द डॉन ने लिखा कि इस फैसले से पीएम मोदी को समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए बल मिला है। अखबार ने लिखा कि इस फैसले से शादी खत्म होने के बाद की समस्याओं को हल करने में भी करोड़ों मुसलमानों को मदद मिलेगी।

अमेरिका के वॉशिंगटन पोस्ट ने लिखा है कि भारत में मुस्लिमों के बीच इंस्टैंट तलाक खत्म हो गया है। यूएई के द नेशनल ने लिखा है कि भारत की महिलाओं की ये कानूनी जीत है। भारत में कई महिलाओं को फोन और व्हाट्सएप से भी इंस्टैंट तलाक दिया गया।

वहीं, वॉशिंगटन पोस्ट ने ही अपने एक लेख में इस पर भी सवाल उठाया है कि क्यों भारत को इंस्टैंट तलाक को खत्म करने में इतना लंबा वक्त लग गया? बीबीसी ने लिखा कि भारत की सर्वोच्च अदालत ने ट्रिपल तलाक को गैर-इस्लामिक भी करार दिया है।

विदेशी मीडिया में पीएम मोदी तो छाए रहे लेकिन तीन तलाक की शिकार हुई महिलाओं के लिए आगे क्या कानून बननेगा इसपर सबकी नजरें हैं।

आपको बता दें कि मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक को करार दिया। कोर्ट ने केंद्र सरकार को इसको लेकर 6 महीने के अंदर कानून बनाने को भी कहा। ये पांच बातें थी प्रमुख…

– मुस्लिमों में तीन तलाक के जरिए तलाक देने की प्रथा गैरकानूनी और असंवैधानिक है.

– 5 में से 3 जजों ने कहा कि ट्रिपल तलाक जैसी कोई भी प्रथा मान्य नहीं है जो कुरान के मुताबिक न हो.

– 3 जजों का यह भी कहना था कि ट्रिपल तलाक के जरिए तलाक देना एक तरह से मनमानी है, यह संविधान का उल्लंघन है इसे खत्म किया जाना चाहिए.

– वहीं दो जजों ने कहा कि अगर केंद्र सरकार अगले 6 महीने में इसको लेकर कानून नहीं बनाया तो इस पर बैन जारी रहेगा।

– देश की सर्वोच्च अदालत ने सभी राजनीतिक पार्टियों को कहा कि कानून बनाने के लिए अपने मतभेदों को किनारे रखते हुए केंद्र सरकार की मदद करें।

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