Movie Review: औरतों के खिलाफ हिंसा आपके लिए हानिकारक है-डार्लिंग्स

सबसे बड़ी बात फिल्म ने सभी पुरुष जाति को विलेन नहीं बनाया है बल्कि एक हमजा के किरदार को विलेन के रुप में दिखाया है। ये ही फिल्म की खास बात है कि वह हमजा और बदरु के घरेलू हिंसा वाले एंगल से भटकी नहीं।

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बैनर: रेड चिल्ली एंटरटेनमेंट
निर्माता : आलिया भट्ट, गौरी खान
निर्देशक : जसमीत के रीन
लेखक: परवेज शेख, जसमीत
जोनर : हिंसा, कॉमेडी
संगीतकार : विशाल भारद्वाज
स्टारकास्ट : आलिया भट्ट, शेफाली शाह, रोशन मैथ्यू, विजय वर्मा, राजेश शर्मा
रेटिंग : चार स्टार

औरतों के खिलाफ हिंसा आपके लिए हानिकारक है।

फिल्म की कहानी-
इस फिल्म की कहानी घरेलू हिंसा पर आधारित है। आलिया भट्ट यानि बदरुनिसा उर्फ बदरू पर उसका पति विजय वर्मा यानि हमजा अत्याचार करता है। वो सहती है, आलिया की मां शेफाली शाह यानि शमशूनिस उसे ये करने से रोकती है, लेकिन फिर एक दिन कुछ ऐसा होता है कि आलिया बदरू अपने पति के साथ घरेलू हिंसा करने लगती है। फिर क्या होता है, यही फिल्म में दिखाया गया है।

फिल्म का सार-
एक लाइन में डार्लिग का रिव्यू करना होतो ऊपर लिखी लाइन ही काफी है। लेकिन फिर भी हम बता देते हैं फिल्म घरेलू हिंसा जैसे गंभीर मुद्दे पर बनीं है। ऐसी फिल्में आप पहले भी देख चुकें होंगे लेकिन फिर भी आपको देखने में मजा आएगा। गंभीर मुद्दे को कॉमेडी, फनी जोक्स, टूटी फूटी इग्लिंश, अजीब सपने, दमदार डॉयलॉग्स के साथ प्रस्तुत किया है। कहानी का सस्पेंस हम आपको नहीं बताएंगे लेकिन इतना जरुर बताएं कि फिल्म आपको बोर बिल्कुल नहीं होने देगी। आप जितना सोचेंगे कि अब ये होगा वैसे होगा लेकिन फिल्म आपको एक नए एक्शन मोड में ले जाएगी।

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फिल्म का डायरेक्शन और एक्टिंग
फिल्म विजय वर्मा और आलिया भट्ट की एक्टिंग से जितनी जानदार बनी है उतनी ही जसमीत के डायरेक्शन से शानदार। फिल्म में परवेज के डॉयलॉग्स जैसे जब बदरू की मां पुलिस वाले से कहती है: मरद लोग दारू पीकर जल्लाद क्यों बन जाते हैं? पुलिस वाला जवाब देता है: क्योंकि औरत उसे बनने देती है। एक दम आपके दिल को लगता है। आलिया भट्ट के बहुत से इमोशनल सीन है जहां आप खुद को उनके दर्द से जुड़ा महसूस करेंगे। इससे पता चलता है कि आलिया एक्टिंग नहीं करती बल्कि अपने किरदार को जी रही है।

सबसे बड़ी बात फिल्म ने सभी पुरुष जाति को विलेन नहीं बनाया है बल्कि एक हमजा के किरदार को विलेन के रुप में दिखाया है। ये ही फिल्म की खास बात है कि वह हमजा और बदरु के घरेलू हिंसा वाले एंगल से भटकी नहीं। रोशन मैथ्यू ने ज़ुल्फ़ी का नॉर्मल से रोल को केवल नॉर्मल ही रहने दिया ये बहुत अच्छी बात है। कसाई के रोल में राजेश शर्मा के छोटे रोल में काफी प्रभावित किया। किरदारों ने फिल्म के कुंठा, फ्रस्ट्रेशन, क्रूरता, मजाक,संगीत आदि को बढ़िया ढ़ग से दर्शकों के सामने परोसा है। जैसे कि न सब्जी में नमक ज्यादा है न ही कम बिल्कुल परफेक्ट। फिल्म में सभी कलाकारों ने दर्शकों को अपने-अपने रोल से बाधें रखा ये फिल्म की सबसे बड़ी सफलता है।

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संगीत और अन्य
फिल्म में गाने शानदार है हालांकि कोई भी गीत चार्टबस्टर किस्म का नहीं है। टाइटल ट्रैक फंकी है। ‘दिल लाइलाज’ अरजीत सिंह की आवाज में बढ़िया है। वहीं एक गाना भसड़ बिल्कुल सीन पर फिट बैठा है। अनिल मेहता की सिनेमैटोग्राफी साफ-सुथरी है। गरिमा माथुर का प्रोडक्शन डिजाइन कमाल का है। वीरा कपूर ने कपड़े डिजाइन किए हैं। सुनील रॉड्रिक्स का एक्शन है। नितिन बैद की एडिटिंग है।

तो अंत में जाते-जाते हम उन लोगों के बारें में कहना चाहेंगे कि जो फिल्म को सोशल मीडिया पर बॉयकॉट करने में लगे थे उनको फिल्म निराश नहीं करेगी।

देखें ट्रेलर-

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