परिवार के 51 सदस्य एक ही छत के नीचे संयुक्त रूप से रह रहे

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हनुमानगढ़। वर्तमान में एकल परिवारों का चलन बढ़ रहा है वहीं आज भी जिले के गांव भांभूवाली ढाणी में बुगालिया परिवार के 51 सदस्य एक ही छत के नीचे संयुक्त रूप से रह रहे है और प्रतिदिन 100 सदस्य एक साथ भोजन करते है। मंगलवार को जिला जाट समाज समिति द्वारा गांव भांभूवाली ढाणी में बुगालिया परिवार के प्रागंण में अभिनंदन समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जिला कलक्टर नथमल डिडेल, पूर्व सांसद कामरेड श्योपत सिंह मक्कासर की धर्मपत्नी प्रमिला देवी, जिला जाट समाज समिति के अध्यक्ष जोतराम नोजल थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता जाट भवन के अध्यक्ष इन्द्रपाल रिणवां ने की। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जिला जाट समाज समिति के अध्यक्ष जोतराम नोजल ने कहा कि बुगालिया परिवार वर्तमान समय में प्रत्येक व्यक्ति के लिए मिसाल बन चुका है। उन्होने कहा कि इनता भरा पूरा परिवार एक छत के नीचे एक साथ रहना सराहनीय है। आज के समय में जहां युवा पीढ़ी काम कारोबार के लिए शहर की और बढ़ रही है और गांवों को छोड़ रही है उस कारण एकल परिवारों की संख्या बढ़ रही है। उन्होने कहा कि गांव को छोड़कर अगर शहर की और प्रस्थान करना है तो अपने माता पिता भाई बंधु सहित समस्त लोग एक साथ रहे इसकी व्यवस्था करनी भी हमारी जिम्मेवारी है। जाट भवन के अध्यक्ष इन्द्रपाल रणवां ने कहा कि इनके परिवार मे आज भी वही प्रथा है जो आज के समय में कही ंनही देखी जाती। उन्होने कहा कि घर का प्रत्येक पुरूष अलग अलग व्यवसाय से जुड़ा है साथ ही अनेकों शिक्षित बहुए भी काम कारोबार से जुड़ी है और अपनी सम्पूर्ण आमदनी परिवार के मुखिया महेन्द्र बुगालिया को सौपते है और हर खर्च महेन्द्र बुगालिया के द्वारा ही दिये जाते है। उन्होने कहा कि इस परम्परा से हर में बरकत तो होती है। जिला कलक्टर नथमल डिडेल ने कहा कि जब समाचार पत्र में बुगालिया परिवार का समाचार पढ़ा तो तभी से इच्छा थी कि बुगालिया परिवार से मिलुगा और जिला जाट समाज समिति द्वारा यह सौभाग्य प्राप्त हुआ। उन्होने कहा कि परिवार को संयुक्त रखने में पुरूषों से ज्यादा महिलाओं का योगदान होता है। उन्होने कहा कि महिला ही परिवार को एक माला में पिरोकर रखती है और यह बुगालिया परिवार के संस्कार ही है जो आज 51 सदस्यों का भरा पूरा परिवार एक साथ एक छत के नीचे रह रहा है। उन्होने कहा कि बिना परिवार के समाज की रचना के बारे में सोच पाना असंभव है। बच्चों के समुचित विकास के लिए दादा दादी, ताया ताई सहित परिवार के सभी सदस्यों का विशेष योगदान होता है। परिवार में रहते हुए परिजनों के कार्यों का वितरण आसान हो जाता है .साथ ही भावी पीढ़ी को सुरक्षित वातावरण एवं स्वास्थ्य पालन पोषण द्वारा मानव का भविष्य भी सुरक्षित होता है उसके विकास का मार्ग प्रशस्त होता है। संयुक्त परिवार को ही सम्पूर्ण परिवार माना जाता है जिसकी मिसाल बुगालिया परिवार ने दी है। जिला कलक्टर नथमल डिडेल, जिला जाट समाज समिति व जाट भवन हनुमानगढ़ द्वारा संयुक्त रूप से बुगलिया परिवार के मुखिया महेन्द्र बुगालिया को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया व साथ ही अतिथियों द्वारा महिलाओं का पुष्प वर्षा कर अभिनंदन किया। ज्ञात रहे कि गांव भांभूवाली ढाणी में बुगालिया परिवार के 51 सदस्य एक ही छत के नीचे संयुक्त रूप से रह रहे हैं और प्रतिदिन 100 सदस्यों का भोजन तैयार होता है। परिवार के मुखिया महेंद्र कुमार बुगालिया ने सभी भाइयों भूप सिंह, ओमप्रकाश, रामकुमार, पूर्णचंद, हरिराम को एक सूत्र में पिरोकर रखा है। महेंद्र बुगालिया 6 भाइयों में सबसे बड़े हैं। 6 भाइयों के 20 बेटे-बेटियां है। सभी भाईयों की पत्नी, बेटे-बहू, पौत्र-पौत्रियां सहित 51 सदस्यों के इस परिवार की संयुक्त रूप से रहने की क्षेत्र में मिसाल दी जाती है। महेंद्र के दो भाई पेस्टी साइड्स कंपनी में कार्यरत हैं। तीन भाई खेती का काम संभाल रहे हैं। सभी भाइयों के बेटे स्वयं का बिजनेस कर रहे हैं। सबसे खास बात यह है कि घर की महिलाओं की खाना बनाने कपड़े धोने, प्रेस करने, पशुओं की सार संभाल सहित घरेलू कार्य के लिए अलग-अलग ड्यूटी लगाई गई है। कुछ दिनों के अंतराल से महिलाओं की ड्यूटी में भी परिवर्तन कर दिया जाता है। ऐसे में कोई भी महिला कार्य को लेकर शिकायत नहीं करती। प्रतिदिन 20 किलो आटा की रोटियां बनती है। 2 महिलाओं की ड्यूटी सुबह खाना बनाने की होती है, उसी तरह 2 महिलाएं शाम का भोजन तैयार करती है। हरी सब्जियां अपने खेत में ही उगाते हैं। प्याज, आलू सहित सूखी सब्जियां थोक में एक साथ खरीदकर लाते हैं। इस परिवार की सबसे खास बात यह कि कोई भी सदस्य एक-दूसरे में भेदभाव नहीं करता। महेंद्र कुमार बुगालिया परिवार के युवाओं का रिश्ता भी तय करते हैं तो पहले यही शर्त रखते हैं कि रहना संयुक्त रूप से ही पड़ेगा। इस संयुक्त परिवार में सबसे बड़े सदस्य की आयु 68 वर्ष है, वहीं सबसे छोटा सदस्य 4 महीने का है। इस मौके पर बृजलाल सिहाग, प्रेम ढाका, जयपाल झोरड़, देवदत्त भीड़ासरा, बलराम भांभू, रामकुमार कस्वां ,दयाराम डोटासरा, मोहनलाल पूनिया, अरुण खिलेरी, सुभाष गोदारा सहित अन्य समाज के लोग मौजूद थे।

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