JNU के गुस्साए छात्रों ने खोला गुरिल्‍ला ढाबा, लिखा ‘हम हैं उल्‍लू’

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नई दिल्ली: दिल्ली के जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में गोरिल्ला ढाबा खुला है। खास बात ये हैं कि इस ढ़ाबे का कोई मालिक नहीं यहां आने वाला किसी नियम कानून की पालना नहीं करता।

स्टूडेंट द्वारा इस ढ़ाबे को रातों रात का कारण अगर जान आप भी हैरान जरूर होंगे। दरअसल, सुरक्षा कारणों का हवाला देकर रात 11 बजे तक जेएनयू प्रशासन ने यूनिवर्सिटी परिसर की सारी कैंटीन बंद कर देने का फैसला किया था। इसके विरोध में छात्रों ने गुरिल्ला ढाबा शुरू किया है, जो रात 11 बजे के बाद भी खुला रहता है।

इसके नियम-कायदे अनोखे हैं। यहां आने वाले छात्रों को खुद ही चाय बनानी होती है और जाते वक्त उन्हें अपना गिलास खुद धोकर रखना होता है। ये ही नहीं खुद खरीदकर सामान भी लेकर आते हैं और फिर होती है चाय पर चर्चा। इसके साथ इस ढ़ाबे का नाम भी बड़ा यूनिक है। नाम रखा है गुरिल्ला ढाबा और साथ में लिखा है, ‘हम हैं उल्‍लू’।

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इस साल जून में परिसर विकास समिति ने रात में जेएनयू की कैंटीन को बंद करने का फैसला किया था। छात्रों ने बड़े पैमाने पर जेएनयू प्रशासन का विरोध किया था।

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इसके जवाब में छात्रों ने गुरिल्ला ढाबा शुरू किया है। अभी इस ढाबे को खुले हुए एक हफ्ता भी नहीं हुआ है, लेकिन यह छात्रों के बीच यह काफी लोकप्रिय हो गया है।

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छात्र एक तर्क ये भी दे रहे हैं कि इससे रात में लड़कियां जेएनयू की सड़कों पर सुरक्षित महसूस कर रही हैं क्‍योंकि देर रात तक छात्रों का यहां जमावड़ा लगा रहता है।

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