घरों के अंदर फैले प्रदूषण ने ली सवा लाख लोगों की जानें- रिपोर्ट

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नई दिल्ली: हाल में मेडिकल मैग्जीन लैन्सेट ने अपनी एक खबर में दावा किया है कि भारत में घरों के भीतर वायु प्रदूषण से करीब सवा लाख लोगों की बड़ी संख्या में मौतें होती हैं। रिपोर्ट के अनुसार, साल 2015 में कोयला बिजली संयंत्रों की वजह से फैले प्रदूषण से 80 हजार से ज्यादा लोग मारे गए, जबकि अन्य उद्योगों की वजह से करीब 96 हजार लोगों की जान गई।

पर्यावरण में आ रहे बदलावों को लेकर सभी देशों के बीच छह नवंबर से जर्मनी में दूसरे दौर की बातचीत होने वाली है। इस कार्यक्रम से पहले लैन्सेट ने इन बदलावों से लोगों पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर यह रिपोर्ट प्रकाशित की है। रिपोर्ट में तापमान में आ रहे बदलाव से होने वाली बीमारियों और खराब होती जा रही हवा पर चर्चा की गई है। साथ ही बार-बार होने वाली प्राकृतिक आपदाओं और बीमारियों के पैटर्न में होने वाले बदलावों पर भी बात की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जनों की वजह से भी हवा की गुणवत्ता प्रभावित होती है इसलिए इस दिशा में नीतियां बनानी होंगी। रिपोर्ट के मुताबिक स्वच्छ ईंधन और स्वच्छ ऊर्जा तकनीकों के दोहरे फायदे होंगे। इससे घरों के वायु प्रदषण में कमी आएगी और पुराने ईंधनों के हटने से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन घटेगा।

भारत के घरों में होने वाले प्रदूषण का कारण है लकड़ी, कोयले और उपलों का ईंधन के रूप में इस्तेमाल करना है। इससे हर साल 43 लाख लोग बीमारियों की चपेट में आते हैं। इनमें निमोनिया, फेफड़ों का कैंसर और दिल से जुड़ीं बीमारियां शामिल हैं। ज्यादातर महिलाएं ही इन बीमारियों का शिकार होती हैं क्योंकि घर के अधिकतर काम वही करती हैं।

शहरी इलाकों की अपेक्षा ग्रामीण भारत के लोग इनका शिकार ज्यादा बनते हैं। हाल में आई एक खबर के मुताबिक साल 2015 में ही भारत में हवा, पानी और प्रदूषण के दूसरे रूपों के कारण 25 लाख से भी ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। बताया गया कि दुनियाभर में प्रदूषण से होने वाली मौतों में 28 प्रतिशत मौतें अकेले भारत में होती हैं। यह रिपोर्ट भी लैन्सेट में प्रकाशित हुई थी।

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