मोसुल में 39 भारतीयों मजदूरों को ISIS ने मार डाला-सुषमा स्वराज ने किया खुलासा

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इंटरनेशनल डेस्क: इराक के मोसुल में 39 भारतीयों मजदूरों के मारे जाने की खबरें 2014 में ही उड़ीं थीं लेकिन तब विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इन अफवाहों को बिना सबूत के मानने से इंकार कर दिया था। उस वक्त सभी भारतीयों के जिंदा होने का भरोसा जताया था। अब खबर है कि सरकार ने इसकी आधिकारिक पुष्ठि कर दी है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मंगलवार को संसद में बताया कि इराक के मोसुल से अगवा हुए 39 भारतीय नागरिकों को आतंकी संगठन आईएसआईएस ने मार दिया। मृतकों का शव भारत लाने के लिए प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और जल्द ही वापस लाया जाएगा।

2014 में मौत की खबरों पर क्या कहा था विदेश मंत्री नेः
26 जुलाई 2017 को लोकसभा में सुषमा स्वराज ने मोसुल में लापता भारतीय मजदूरों को लेकर बयान दिया था। अभी सरकार को ऐसा कोई सुबूत नहीं मिला है। न ही शव मिले हैं, न ही डीएनए या खून के नमूने से मजदूरों की मौत की पुष्टि हुई है। सुषमा ने कहा, उनके लिए यह कहना बेहद आसान है कि सभी मजदूर मारे गए, तब कोई सवाल नहीं करेगा यहां तक कि परिवार के लोग भी नहीं बोलेंगे, मगर बिना किसी सुबूत के किसी को मरा करार देना अपराध है और वे यह अपराध नहीं करेंगी।” सुषमा स्वराज ने कहा था कि इराक सरकार ने भी मजदूरों के मारे जाने की कोई पुष्टि नहीं की है।

कैसे हुआ था खुलासाः
दरअसल इराक में निर्माण परियोजना के लिए भारत और बांग्लादेश से मजदूर गए थे। जून 2014 के दूसरे सप्ताह में उनका आतंकियों ने अपहरण कर लिया था। कुछ समय बाद उन्होंने 55 बांग्लादेशी मजदूरों को रिहा किया। इस दौरान एक भारतीय मजदूर हरजीत मसीह भी खुद को बांग्लादेशी बताकर आतंकियों के चंगुल से बच निकला। उसने भारत पहुंचकर 39 अन्य भारतीयों के मारे जाने की पुष्टि की। हालांकि भारत सरकार ने उसके दावे पर भरोसा नहीं किया। क्योंकि न तो सरकारी खुफिया एजेंसियां और न ही इराक की सरकार इस बात की पुष्टि करती थी। सुषमा स्वराज ने लोकसभा में कहा था कि 24 नवंबर 2014 में उन्हें छह भरोसेमंद सूत्रों ने बताया कि भारतीय जिंदा हैं।

अब कैसे हुई मौत की पुष्टिः
तीन साल की लंबी कोशिश के बाद मोसुल में 39 भारतीयों की मौत का खुलासा हुआ है। खुदाई के दौरान निकले शवों डीएनए टेस्ट कराने के बाद भारतीय मजदूरों की मौत की पुष्टि हुई। सबसे पहले संदीप नामक मजदूर का डीएनए मैच हुआ। सुषमा के मुताबिक डीप पेनिट्रेशन रडार के जरिए शवों को देखकर निकाला गया। 39 में से 38 भारतीय मजदूरों का डीएनए मैच हुआ। 39 वें मजदूर के डीएनए की जांच चल रही है। विदेश मंत्री के मुताबिक शवों को लेने के लिए विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह इराक जाएंगे और फिर हवाई जहाज से शव भारत लाया जाएगा। अमृतसर, पटना और अमृतसर में जहाज भेजकर शवों को घर पहुंचाया जाएगा।

कैसे लापता हुए थे 39 भारतीय?
इराक में लापता हुए भारतीयों में ज्यादातर पंजाब के रहने वाले थे। ये सभी मोसुल और इसके करीबी शहरों में मजदूरी के लिए गए थे। 2015 में इन्हें आईएस ने किडनैप किया था। आरोप है कि इन्हें मोसुल के किसी गांव की जेल में रखा गया और वहां उनसे मजदूरी कराई गई। इसके बाद से इन भारतीयों के बारे में कभी कुछ पुख्ता तौर पर सामने नहीं आया।

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