33 दिवसीय प्रवास बना अध्यात्मिक चेतना का अद्भुत केंद्र, सैकड़ों लोगों ने लिया लाभ

18

हनुमानगढ़। आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री सूरज प्रभा जी, साध्वी श्री डॉ. लावण्यशा जी एवं साध्वी श्री नैतिक प्रभा जी के 33 दिवसीय प्रवास के समापन पर ग्रामवासियों ने भावभरी विदाई दी। मिष्ट वाणी, सजल नयनों और श्रद्धा से परिपूर्ण वातावरण में साध्वी श्री जी का विहार तेरापंथ भवन से प्रारंभ होकर मुख्य बाजार होते हुए मांगीलाल गोदारा के निवास स्थान तक पहुंचा, जहा सियागों की ढाणी, मुंडों की ढाणी, सुथारों की ढाणी होते हुए मोर चक स्थित सरदार थाना सिंह की ढाणी तक का विहार संपन्न हुआ।इस दौरान जगह-जगह ढाणियों में शीतल जल व स्वागत की भावभीनी व्यवस्था रही। साध्वी श्री जी ने विहार मार्ग में 30 लोगों को गुरु धारण प्रदान कर उन्हें कर्मणा जैन बनाते हुए अध्यात्म से जोड़ा। साध्वी लावण्यशा जी की प्रवचन शैली इतनी आकर्षक रही कि केवल पांच जैन परिवारों वाले गांव में प्रतिदिन 125 से 150 की संख्या में श्रद्धालु एकत्र होते रहे।

वहीं साध्वी सूरज प्रभा जी व नैतिक प्रभा जी के प्रेरणादायक गीतों ने श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया।विदाई समारोह में लगभग 200 लोग उपस्थित रहे। आंचलिक समिति के महामंत्री ऋषभ चौरडिया ने ग्रामवासियों की भक्ति को सराहते हुए राजकुमार जी बांठिया के विशेष योगदान को रेखांकित किया। महिला मंडल, ज्ञानशाला के बच्चों, मोहन अरोड़ा व पवन अरोड़ा ने विदाई गीत प्रस्तुत कर वातावरण को भावनात्मक बना दिया। कार्यक्रम का संचालन ओजस्वी वक्ता राजकुमार बांठिया ने किया।धोलीपाल में इस 33 दिवसीय प्रवास को सफल बनाने हेतु सहयोग देने वाले बच्चों व बड़ों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में बाबूलाल बांठिया, अरविंद बांठिया, अशोक बांठिया, प्रवीण गोलछा व मदन नाहटा सहित अनेक गणमान्यजन उपस्थित रहे। साध्वी नैतिक प्रभा जी ने अपने अनुभव साझा किए, लावण्यशा जी ने “खाते-पीते मोक्ष” का सूत्र बताया और सूरज प्रभा जी ने गीत के माध्यम से उपस्थितजन को मंत्रमुग्ध कर दिया

ताजा अपडेट्स के लिए आप पञ्चदूत मोबाइल ऐप डाउनलोड कर सकते हैं, ऐप को इंस्टॉल करने के लिए यहां क्लिक करें.. इसके अलावा आप हमें फेसबुकट्विटरइंस्ट्राग्राम और यूट्यूब चैनल पर फॉलो कर सकते हैं।