Omg- दुनिया का पहला “तीन व्यक्ति” तकनीक से जन्मा शिशु

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विज्ञान की दुनिया में एक नया चमत्कार हुआ है। आपको बता कि अमेरिका के डॉक्टरों ने इस तरह का अपने आप में एक अनोखा प्रयोग किया है। पत्रिका न्यू साइंटिस्ट की खबर के अनुसार दुनिया का पहला बच्चा एक नई “तीन व्यक्ति” प्रजनन तकनीक के इस्तेमाल से पैदा हुआ है। पांच महीने के इस लड़के में सामान्य तौर पर अपने माता-पिता का डीएनए है और साथ में एक दानकर्ता का ज़रा सा आनुवांशिक कोड। अमरीका के डॉक्टरों ने ये सुनिश्चित किया कि बच्चा उस आनुवांशिक स्थिति से मुक्त होगा जो उसकी मां के जीन में है।

ऐसे प्रयोग की पहली शुरूवात 1990 में हुई थी-

अमरीकी डॉक्टरों की एक टीम मैक्सिको में महिला का इलाज कर रही थी क्योंकि अमरीका में इन प्रक्रियाओं की अनुमति नहीं है। हांलाकि ये पहली बार नहीं है कि वैज्ञानिकों ने तीन लोगों के डीएनए का इस्तेमाल कर बच्चे पैदा किए हैं। इसकी शुरुआत 1990 के दशक के आख़िरी वर्षों में हो गई थी। लेकिन यह पूरी तरह से नया और एकदम नया तरीका है।

दरअसल हर कोशिका में माइटोकॉन्ड्रिया होता है जिसका काम कोशिका को ऊर्जा प्रदान करना होता है. इसे कोशिका का पॉवर हाउस भी कहा जाता है.कुछ महिलाओं के माइटोकॉन्ड्रिया में आनुवांशिक दोष पाए जाते हैं जिससे उनके बच्चों में भी वही दोष हो सकता है.इस विकार को लेह सिंड्रोम कहा जाता है. ये पैदा होने वाले बच्चे के लिए जानलेवा साबित हो सकती थी.जॉर्डन के इस परिवार के मामले में ये परिवार पहले ही चार गर्भपात और दो बच्चों की मौत का सदमा झेल चुका है.

ऐसे किया प्रयोग-पहले चरण में उन्होंने खराब माइटोकॉन्ड्रिया वाली मां के अंडाणु से केंद्रक (न्यूकलियस) को निकाल कर सुरक्षित कर किया। दूसरे चरण में उन्होंने दाता मां की सेहतमंद माइटोकॉन्ड्रिया वाली कोशिका के केंद्रक (न्यूकलियस) को हटा दिया।

तीसरे चरण में उन्होंने दाता मां के अंडाणु में वास्तविक मां का केंद्रक (न्यूकलियस) स्थापित कर दिया। इस तरह से दो मां और एक पुरुष के जीन के मिलन से शिशु का जन्म हुआ। विशेषज्ञों का कहना है कि इस क़दम से चिकित्सा के क्षेत्र में एक नए युग का आग़ाज़ हुआ है और इससे दुर्लभ आनुवांशिक स्थिति वाले अन्य परिवारों को मदद मिलेगी।

लेकिन उन्होंने चेतावनी दी है कि माइटोकॉन्ड्रियल डोनेशन नाम के इस नए और विवादास्पद तकनीक की कड़े जांच की ज़रूरत है। ये नैतिक सवाल भी खड़े करता है. तीन लोगों के डीएऩए से पैदा होने वाले बच्चे कैसा महसूस करेंगे।

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