राजकुमारी मृदुल कुमारी की अंत्येष्ठि आस पास के राजपरिवारों के सदस्य रहे मौजूद

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जिला संवाददाता भीलवाड़ा। शाहपुरा की राजकुमारी मृदुल कुमारी (शीलू बाईसा) की अंत्येष्ठि मंगलवार को रामद्वारा शमशन में की गई। सोमवार को उनके पेतृक निवास रेतिया पैलेस में निधन हो गया था। वो पिछले तीन माह से बीमार थी।  वो 82 वर्ष की थी। अंत्येष्ठि में आस पास के राजपरिवारों के सदस्यों व शाहपुरा के विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने पहुंच कर श्रृद्वांजलि दी। मुखाग्नि शाहपुरा राजपरिवार के मुखिया जयसिंह ने दी। उनके साथ भाणेज शत्रुजीतसिंह भी मौजूद रहे।
पूर्व राजाधिराज स्व. सुदर्शन देव की सुपुत्री मृदुल कुमारी का शाहपुरा स्थित रेतिया बाग पैलेस में सोमवार को निधन हो गया था। उनका जन्म 18 अगस्त 1941 को हुआ था। उनका अंतिम संस्कार कोविड गाइडलाइन की पालना के अनुसार राजपरिवार के शमशान रामद्वारा में मंगलवार को किया गया।  रैतिया बाग पैलेस से अंतिम यात्रा प्रांरभ हुई जो कुंडगेट त्रिमूर्ति स्मारक होते हुए रामद्वारा पहुंची। रास्ते में जगह जगह संगठनों के प्रतिनिधियों ने श्रृद्वाजंलि दी। राजकुमारी मृदुल कुमारी सौम्य स्वभाव की होकर शाहपुरा के विकास के लिए सदैव चिन्तित रही। उन्होंने पूर्व राजाधिराज स्व. सुदर्शन देव के समय ही यहां के विकास में भागीदारी निभाना प्रांरभ कर दिया था। अंत्येष्ठि आर्य समाज के पदाधिकारियों की मौजूदगी में वैदिक रीति रिवाज से की गई।
अंत्येष्ठि में बनेड़ा राजपरिवार के मुखिया गोपालचरण सिसोदिया के अलावा देवगढ़, जयपुर सहित आस पास के राजपरिवारों व जमीदारों ने पहुंच कर अपनी ओर से श्रृद्वांजलि दी। नगर पालिका अध्यक्ष रघुनंदन सोनी ने विधायक कैलाश मेघवाल के प्रतिनिधि के रूप् में पुष्पचक्र अर्पित किया।  अंत्येष्ठि में शाहपुरा के पूर्व उप प्रधान गजराजसिंह राणावत, पालिका अध्यक्ष रघुनंदन सोनी, अरवड़ के नरेंद्र सिंह, राजस्थान राज्य भारत स्काउट संघ के प्रधान ललित कुमार चैहान, भोपालसिंह राणावत सांगरिया, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजकुमार बैरवा,कच्ची बस्ती प्रकोष्ठ के इमरान खांन पठान, राजस्थान आयुर्वेद प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष डा. जलदीप पथिक सहित कई जनप्रतिनिधि व आर्य समाज के पदाधिकारी मौजूद थे।
घुड़सवारी करना व आमजन के प्रति उनका अपनापन रहेगा यादगार  शाहपुरा की राजकुमारी मृदुल कुमारी जिन्हें आमजन में शीलू बाईसा के नाम से जाना जाता था उन्हें घुड़सवारी का काफी शौक था। इसके साथ ही आमजन के साथ उनका आत्मीयता पूर्ण व्यवहार सदैव यादगार रहेगा। जानकारी अनुसार युवावस्था में प्रायः घुड़सवारी करते हुए वे क्षेत्र का दौरा किया करती थी इसी दौरान खेतों में काम करते किसानों के साथ घुल मिलकर उनके समस्याओं व फसल के बारे में जानकारी भी ले लिया करती थी। उनके इस सहज भाव से आमजन में उनके प्रति काफी प्रेम था।

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