अगर आप भी हैं वाइल्ड लाइफ के शौकिन, तो इन 14 जगहों पर जाना ना भूलें..

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    लाइफस्टाइल डेस्क: अक्सर घूमने-फिरने वाले लोग नई-नई जगहों को तलाशते रहते हैं। इनमें ऐसे लोग भी होते हैं जिन्हें जगंलों और जानवरों से बेहद प्यार होता है। तो अभयारण्य आपके लिए अच्छा विकल्प साबित हो सकते हैं। जहां आप अपनी आगामी छुट्टियों को फैमिली के साथ प्लान कर सकते हैं।   बता दें भारत में अभयारण्यों की संख्या 100-50 नहीं बल्कि 500 से ज्यादा है। जिनमें से कई जगहों को राष्ट्रीय दर्जा भी मिल चुका है। अब सोचने में देरी मत कीजिए जल्दी बैग पैक कीजिए।

    दुधवा राष्ट्रीय उद्यान
    यह राष्ट्रीय भारत सहित पूरे एशिया में प्रसिद्ध है। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में स्थित यह उद्यान पर्यटन की दृष्टि से खास महत्व रखता है। इस पार्क की सीमाएं नेपाल से लगी हुई हैं। इस उद्यान की स्थापना 1977 में की गई थी। उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े इस उद्यान में बाघों और बारहसिंगा के झुण्ड पाए जाते हैं। यहां पर हिरणों की पांच प्रजातीय पाईं जाती हैं, जिसमें बारहसिंगा मुख्य है। इसके अलावा यहां बाघ, तेंदुए, गैण्डा, हाथी, चीतल, पांडा, कांकड़, कृष्ण मृग, चौसिंगा, सांभर, नीलगाय, वाइल्ड डॉग, भेड़िया, लकड़बग्घा, सियार, लोमड़ी आदि जानवर पाए जाते हैं।

    जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय पार्क
    जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय पार्क उत्तरांचल राज्य के नैनीताल जिले में स्थित है। कहा जाता है कि इस पार्क की खोज अंग्रेजों ने 1920 में की थी। देश की आजादी के बाद इस पार्क का नाम रामगंगा नेशनल पार्क रखा गया, लेकिन कुछ सालों बाद ही इसको जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान का नाम दे दिया गया था। इस पार्क में हाथियों के झुण्ड लोगों को रोमांचित करता है। इस राष्ट्रीय पार्क में हाथी और हिरन के अलावा शेर, बाघ, गुलदार, सांभर, चीतल, काकड़, जंगली सूअर, भालू, बन्दर, सियार, नीलगाय जैसे कई अन्य पशु-पक्षी देखने को मिलते हैं।

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    बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान
    बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान कर्नाटक के चामराजनगर जिले में स्थित है। यह उद्यान दक्षिण भारत के सबसे प्रसिद्ध उद्यानों में एक माना जाता है। यह उद्यान एक समय मैसूर रियासत का शिकारगाह हुआ करता था।1973 में इस उद्यान को टाइगर प्रोजेक्ट के तहत शामिल किया गया था। इस उद्यान में बाघ, तेंदुआ, हाथी, गौर, भालू, ढोल, सांब आदि जीव-जंतु पाए जाते हैं। इसके अलावा यहां पक्षियों की लगभग 200 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं।

    चंबल अभयारण्य
    1979 में स्थापित राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य को राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल वन्यजीव अभयारण्य के नाम से भी जाना जाता है। यह एक ईको-रिजर्व है, जिसकी सीमा उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान से मिलती है। चंबल नदी घुमावदार घाटी, पहाड़ी और रेतीले किनारों से होकर गुजरती है। इस नदी में बड़ी संख्या में घड़ियाल, दुर्लभ डॉल्फिन और ऐलगेटर पाए जाते हैं।

    केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान
    केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान भारत का सबसे बड़ा पक्षी अभ्यारण्य है। यह उद्यान राजस्थान में स्थित है। 21 वर्ग किलोमीटर में फैले इस उद्यान को 1982 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया था। यह विदेशी पक्षियों के लिए भी काफी प्रसिद्ध माना जाता है। यहां अफगानिस्तान, चीन, मंगोलिया जैसे कई अन्य देशों के पक्षी बड़ी संख्या में हर वर्ष आते हैं, जो पर्यटकों के मुख्य आकर्षण का केन्द्र बनते हैं। इस उद्यान को यूनेस्को विश्व धरोहर घोषित कर चुका है।

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    रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान
    रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान उत्तर भारत के बड़े और प्रसिद्ध उद्यानों में गिना जाता है। यह बाघों के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। इस उद्यान को भारत सरकार ने 1955 में सवाई माधोपुर खेल अभयारण्य के रूप में स्थापित किया था, लेकिन उसके बाद से समूचे देश में बाघों की कम होती संख्या को देखते हुए सरकार ने ‘प्रोजेक्ट टाइगर के तहत चिन्हित किया। इस अभ्यारण्य की एक दिलचस्प बात यह है कि जब बाघिनें बच्चों को जन्म देती हैं तो अभ्यारण्य में मौजूद कर्मचारी बड़ी धूम धाम से उसका स्वागत करते हैं। यूं तो इस अभ्यारण्य को बाघों के लिए जाना जाता है लेकिन इसके अलावा यहां तेंदुआ, नील गाय, जंगली सूअर, सांभर, हिरण, भालू और चीतल आदि भी बड़ी संख्या में पाए जाते हैं।

    बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान
    बाघों के लिए प्रसिद्ध बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान भारत के प्रमुख उद्यानों में से एक है। यह मध्य प्रदेश में विंध्य पहाड़ी के पूर्व में स्थित है। जानकारों की मानें तो बांधवगढ़ में बाघों की संख्‍या सबसे ज्यादा पाईं जाती है और इस अभ्यारण में लगभग 22 प्रकार के जीव जंतु की प्रजातियां और 250 के करीब पक्षियों की प्रजातीय पाईं जाती हैं। उद्यान में पाए जाने वाले प्रमुख जानवर एशियाई भेडिया, बंगली लोमड़ी, स्‍लॉथ बीयर, रेटल, भूरे मंगूस, पट्टी दार लकड़बग्गा, जंगली बिल्‍ली, चीते और आदि जंगली जीव हैं।

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    ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क
    हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में स्थित यह पार्क लगभग 754.4 वर्ग किलोमीटर तक फैला हुआ है। यह पार्क हिमाचल प्रदेश के कालका शिमला रेलवे लाइन के बाद दूसरी धरोहर है। जिसे विश्व धरोहर का दर्जा मिला है। इस उद्यान में अनेक प्रकार के वन्य प्राणी जैसे-काला भालू, कस्तूरी मृग, तेंदुआ और मुर्ग प्रजाति के अति दुर्लभ पक्षी पाए जाते हैं। बता दें कि इस उद्यान में तेंदुआ सबसे ज्यादा संख्या में पाए जाते हैं।

    सुंदरवन राष्ट्रीय अभयारण्य
    सुन्दरवन राष्ट्रीय अभयारण्य अपनी खूबसुरती के लिए काफी प्रसिद्ध है। यह अभ्यारण देश में रॉयल बंगाल टाइगर (बाघों की प्रजाति) का सबसे बड़ा ठिकाना है। पश्चिम बंगाल के दक्षिणी भाग में गंगा नदी के किनारे स्थित इस अभयारण्य में पक्षियों सहित कई प्राणियों की प्रजातियाँ पाईं जाती हैं। 4 मई 1984 को इस उद्यान को राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया तथा इस अभयारण्य को विश्व धरोहर घोषित किया जा चुका है।

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    गिर वन्यजीव अभयारण्य
    गिर का नाम आते ही शेरों की याद आ जाती है। गुजरात में स्थित यह अभयारण्य पूरे देश में शेरों के लिए बहुत प्रसिद्ध है। 1424 वर्ग किलोमीटर में फैले इस अभयारण्य में शेर, सांभर, तेंदुआ और जंगली सूअर बहुत अधिक संख्या में पाए जाते हैं। बता दें कि दक्षिण अफ्रीका के अलावा यह विश्व का अकेला ऐसा जंगल है, जहां शेरों को खुला घूमते आप देख सकते हैं। इसके अलावा इस अभ्यारण्य में बड़े हिरन, चीतल, नील गाय, चिंकारा, बारहसिंगा आदि को भी देखा जा सकता है। इस पार्क की स्थापना 1961 में की गई थी. नदी के किनारे बसे इस अभयारण्य में हरे भरे पेड़ के आलावा सूखे पत्ते वाले वृक्ष, कांटेदार झाड़िया भी पाईं जाती हैं। इस अभ्यारण्य में हमेशा ही पर्यटकों का जमवाड़ा लगा रहता है।

    कान्हा राष्ट्रीय उद्यान
    दुनिया के प्रसिद्ध उद्यानों में शुमार यह उद्यान मध्य प्रदेश में स्थित है। बाघों के लिए प्रसिद्ध इस अभयारण्य में शुरू से ही सबसे ज्‍यादा संख्‍या में बाघ पाए जाते रहे हैं, इसलिए सन् 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत इस उद्यान का 917.43 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र बाघ संरक्षित क्षेत्र घोषित किया जा चुका है। 2051.74 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ यह अभयारण्य भारत का सबसे पुराना अभयारण्य माना जाता है, इसकी स्थापना 1932 में हुई थी। इस अभयारण्य में दुर्लभ बारह सिंगा भी पाया जाता है, जो पूरी दुनिया में और कहीं नहीं पाया जाता है। इसके साथ ही इस अभयारण्य में पक्षियों की 300 से भी अधिक प्रजातियां पाई भी जाती हैं।

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    कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान
    यह उद्यान पूर्वोत्तर भारत का सबसे प्रसिद्ध उद्यान माना जाता है। यह सिक्किम में स्थित है। इस उद्यान का नाम दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची पर्वत कंचनजंगा के नाम पर रखा गया है। इस राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्रफल 1784 वर्ग किलो मीटर है। इस उद्यान में कस्तूरी मृग, हिम तेंदुए और अन्य वन्यजीव पाये जाते हैं। इसके अलावा हिम तेंदुआ, हिमालयी काला भालू, तिब्बती एंटीलोप, जंगली गधा, काकड़, कस्तूरी मृग, फ्लाइंग गिलहरी और लाल पांडा भी पाए जाते हैं।

    काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान
    असम में स्थित काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की गिनती भारत के प्रमुख उद्यानों में होती है। यह उद्यान भारत ही नहीं पूरे विश्‍व में एक सींग वाले गैंडे के लिए प्रसिद्ध है। 430 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैले इस उद्यान में गैंडा, हाथी, भारतीय भैंसा, हिरण, सांभर, भालू, बाघ, चीते, सुअर, जंगली बिल्‍ली, हॉग बैजर, लंगूर, हुलॉक गिब्‍बन, भेडिया, साही, अजगर के साथ अनेक प्रकार की चिडियां, पेलीकन बत्तख, कलहंस, हॉर्नबिल अगरेट, बगुला, काली गर्दन वाले स्‍टॉर्क, लेसर एडजुलेंट, रिंगटेल फिशिंग ईगल आदि बड़ी संख्‍या में पाए जाते हैं। यह उद्यान यूनेस्को द्वारा विश्‍व धरोहर घोषित हो चुका है।

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    इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान
    यह उद्यान छत्तीसगढ़ में स्थित है। दंतेवाड़ा जिले में स्थित यह उद्यान इंद्रावती नदी के किनारे बसा है। इसी कारण इनका नाम इन्द्रावती राष्ट्रीय उद्यान रखा गया। यह उद्यान छत्तीसगढ़ राज्य का अकेला टाइगर रिजर्व उद्यान है। 2799 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला यह उद्यान बेहद घना है। इस उद्यान में प्रमुख रूप से जंगली भैंसे, बारहसिंगा, बाघ, चीते, नील गाय, सांभर, चार सींग वाला एंटीलॉप, स्‍लॉथ बीयर, जंगली कुत्ते, पट्टीदार हाइना, मुंटजेक, जंगली सुअर, उड़ने वाली गिलहरियाँ आदि जीव जंतु पाये जाते हैं। इस उद्यान में पक्षियों की संख्या भी बहुतायत में है, जिसमे पहाड़ी मैना सबसे अहम है।

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