11 भाषाओं में फिल्म बनाकर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में बनाई जगह

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23 साल में पांच कॉलेज की डिग्री हासिल करने वाले विनोद ने 24 साल की उम्र में अपना नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराने का कीर्तिमान हासिल कर लिया। उन्हें 11 भाषाओं में डॉक्यूमेंट्री और शॉर्ट फिल्में बनाने के लिए यह सम्मान दिया गया। विनोद को गिनीज बुक की ओर से ‘ऑफिश‍ियली अमेजिंग’ का सर्टिफिकेट दिया गया। यह सम्मान उन्हें साल 2015 में मिला था।

राजेंद्र विनोद आंध्र प्रदेश के एक छोटे से गांव हिंदपुर के रहने वाले हैं, जहां उनकी बहन की महज 13 साल में ही शादी कर दी गई थी। विनोद कहते हैं कि अक्सर छोटे गांव से जब लड़का शहर पढ़ने के लिए जाता है तो गांव के लोग यही उम्मीद करते हैं कि वह इंजीनियर या डॉक्टर बन कर आएगा। पर मैं जब फिल्म मेकर बनकर गांव पहुंचा तो लोगों को यह समझ ही नहीं आया कि फिल्म मेकिंग होती क्या है।

राजेंद्र विनोद भले ही एक छोटे गांव से हो लेकिन उनकी सोच बेहद ऊंची। उनका मानना है कि किसी का जन्म छोटे शहर में हुआ है तो यह जरूरी नहीं कि उसकी किस्मत में सिर्फ सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनना ही लिखा है। इसका मतलब यह भी कतई नहीं होना चाहिए कि वह उसी शहर की किसी कंपनी में किसी कनिष्ठ पद पर ही काम करने के लायक है। मैं लोगों की पारंपरिक सोच को बदलना चाहता था, इसलिए अपने करियर को एक नई दिशा देने के लिए अपने गांव से बाहर कदम रखा।

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प्रोडक्शन हाउस
राजेंद्र विनोद अपने प्रोडक्शन हाउस ‘आर्वी फिल्म्स’ के बैनर तले लघु फिल्म, विज्ञापन और डोक्यूमेंट्री तैयार करते हैं। इनकी फिल्में विभिन्न अवधारणाओं पर आधारित होती हैं। भाई-बहन के रिश्ते से लेकर डरावनी फिल्मों तक, हर विषय पर काम होता है यहां. यही नहीं ‘आर्वी फिल्म्स’ के बैनर तले महिला सशक्त‍िकरण और सत्ता को केंद्र में रख कर भी कई डॉक्यूमेंट्री तैयार की गई है.

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