सुभाषचंद्र बोस127वीं जयंती: नेता जी की मौत पर 10 से ज्यादा इन्वेस्टिगेशन्स, जानें क्या-क्या हुआ खुलासा

2017 में RTI के तहत पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए गृह मंत्रालय ने बताया गया कि नेताजी की मृत्यु 1945 में विमान हादसे में हुई थी। दो कमीशन और एक कमेटी की रिपोर्टों पर विचार करने के बाद सरकार इस निष्कर्ष पर पहुंची है।

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आज नेता जी के नाम से मशहूर भारतीय हीरोज में से एक सुभाष चंद्र बोस की 127वीं जयंती है। क्या आपको पता है। भारत से लेकर विदेश तक नेता जी (subhash chandra bose) की मौत मिस्ट्री को सुलझाने के लिए कई इन्वेस्टिगेशन्स की गई है लेकिन आज तक नेता जी मौत एक मिस्ट्री बनी हुई है। चलिए जानते हैं इस आर्टिकल में कि कैसे हमने 23 अगस्त 1945 को हमेशा के लिए सुभाष चंद्र बोस को खो दिया था।

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इतिहास के पन्नों में दर्ज तारिख 18 अगस्त 1945 के बारें में बताया जाता है कि इस दिन नेताजी ने मंचूरिया के लिए उड़ान भरी थी। 5 दिन बाद 23 अगस्त 1945 को टोक्यो रेडियो ने जानकारी दी कि एक Ki-21 बॉम्बर प्लेन ताइहोकू एयरपोर्ट के पास क्रैश हो गया। इसमें सवार सुभाष चंद्र बोस बुरी तरह जल गए और अस्पताल में इलाज के दौरान उनका निधन हो गया।

सुभाष चंद्र बोस के निधन पर दुनियाभर की 10 से ज्यादा कमेटियों ने जांच की है। आजाद भारत की सरकार ने तीन बार इस घटना की जांच के आदेश दिए। पहले दोनों बार प्लेन क्रैश को हादसे का कारण बताया गया। तीसरी जांच में कहा गया कि 1945 में कोई प्लेन क्रैश की घटना ही नहीं हुई।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत से जुड़ी कॉन्सपिरेसी थ्योरीज

1. नेताजी रूस पहुंच गए: सेवानिवृत्त मेजर जनरल बख्शी अपनी किताब Bose: The Indian Samurai – Netaji and the INA Military Assessment में जिक्र करते हैं कि नेताजी ताइपेई विमान दुर्घटना में सुरक्षित बच गए थे। फिर नेताजी रूस पहुंचे और उन्होंने आजाद हिंद गवर्नमेंट एम्बेसी की स्थापना की। उन्होंने अपनी किताब में नेताजी को टॉर्चर किए जाने की भी बात लिखी है। ये खबरें भी आती रहीं कि उन्‍हें रूस के सैनिकों ने गिरफ्तार कर लिया और वहीं की जेल में उन्‍होंने अंतिम सांस ली थी।

2. शौलमारी साधू: 1959 में कूच बिहार, पश्चिम बंगाल के शौलमारी में एक साधू श्रीमत शारदानंदजी आए, उन्हें शौलमारी साधू भी कहा जाता था। लोग यह कहने लगे कि ये नेताजी हैं। आश्रम के साधू की 1977 में मौत हुई और मरते दम तक उन्होंने यही कहा- मैं सुभाष नहीं हूं।

3. श्योपुर कलां का साधू: स्वतंत्रता संग्राम के दिनों में मध्य प्रदेश के श्योपुर कलां के पंडोला गांव में एक विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ, जीवित बचे लोगों में एक साधू ज्योतिर्देव भी था। बाद में जांच के दौरान कुछ लोगों ने बताया कि वो साधू कोई और नहीं नेताजी ही थे।

4. गुमनामी बाबाः कुछ लोगों का मानना है कि जोसेफ स्टैलिन की मौत के बाद 1950 के दशक के अंत में भारत चले आए। और पूर्वी उत्तर प्रदेश में गुमनामी बाबा के रूप में रहने लगे। इसके बाद तंत्र साधना कर शक्तियां प्राप्त की। अपने सफर के दौरान बाबा ने दलाई लामा की मदद की और एशियाई देशों में कई गुप्त मिशन पूरे किए। 16 दिसंबर, 1985 को उनका निधन होने की बात कही जाती है। सरकार ने 28 जून, 2016 को न्यायमूर्ति विष्णु सहाय की अध्यक्षता में एक जांच आयोग का गठन किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि गुमनामी बाबा नेताजी के अनुयायी थे, लेकिन नेताजी नहीं थे।
हालांकि इन चारों थ्योरीज के कोई पुख्ता प्रमाण नहीं मिलते हैं। सुभाष चंद्र बोस की मौत की जांच को लेकर ब्रिटेन और अमेरिका समेत कई देशों ने जांच की है। उनकी जांच में ये बातें सामने आईं…

भारत सरकार की ओर से की गई जांच में क्या पता चला?

1. शाहनवाज कमेटी 1956: कमेटी में शाहनवाज खान (INA के पूर्व मेजर जनरल और तत्कालीन संसदीय सचिव), नेताजी के बड़े भाई सुरेश चंद्र बोस और भारतीय सिविल सेवा के एसएन मैत्रा शामिल थे। कमेटी ने 11 चश्मदीदों सहित 67 गवाहों की जांच की, जिन्होंने जलने की चोटों के परिणामस्वरूप नेताजी की मृत्यु की पुष्टि की। रिपोर्ट के मुताबिक…

i) 18 अगस्त, 1945 को ताइहोकू में एक हवाई दुर्घटना हुई थी, जिसमें नेताजी की मृत्यु हो गई।

ii) उनका अंतिम संस्कार वहीं किया गया था।

iii) टोक्यो के रेनकोजी मंदिर में अस्थियों का कलश नेताजी का ही है।

सुरेश बोस ने अंतिम रिपोर्ट पर हस्ताक्षर नहीं किए। 1960 में अफवाह फैली की सोवियत की जेल में नेताजी बंद है। एक दशक बाद, फरवरी 1966 में सुरेश बोस ने प्रेस को घोषणा की कि उनके भाई सुभाष मार्च में वापस आएंगे। जाहिर है ऐसा नहीं हुआ, लेकिन उनकी असंतुष्ट रिपोर्ट से कुछ लोगों को अंदेशा हुआ कि नेताजी जीवित थे।

2. खोसला कमीशन 1970: 1970 में भारत सरकार ने 1945 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के लापता होने से संबंधित सभी तथ्यों और परिस्थितियों की जांच के लिए न्यायमूर्ति खोसला आयोग का गठन किया। हालांकि कुछ नया नहीं निकला। नेताजी के चार सह-यात्रियों और दुर्घटना के पांच चश्मदीदों का इंटरव्यू लिया। उन्होंने शाहनवाज खान, सुरेश बोस और 224 अन्य गवाहों से भी पूछताछ की। उन्होंने भी यही निष्कर्ष निकाला कि नेताजी ताइहोकू में विमान दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए थे और उसी रात उनकी मृत्यु हो गई।

हालांकि, उन्होंने अपनी रिपोर्ट में बताया कि इस दौरान उन्होंने कई अजीबोगरीब थ्योरी भी सुनी। 1946 में मार्सिले एयरपोर्ट पर एक सांसद की उनके साथ आकस्मिक मुलाकात की। अमेरिकी इतिहासकार लियोनार्ड गॉर्डन ने उन्हें बताया कि 24 दिसंबर 1956 को सार्वजनिक रूप से एक अच्छे कपड़े पहने बोस को उच्च गणमान्य व्यक्तियों के साथ मास्को के क्रेमलिन में जाते हुए देखा।

एक व्यक्ति ने दावा किया कि बोस साइबेरिया की एक जेल का 45 सेल नंबर में सड़ रहे थे। फिर भी अन्य लोगों ने फोटोज दिखाई, जिनमें कथित तौर पर बोस को 1952 में मंगोलियाई ट्रेड यूनियन प्रतिनिधिमंडल के साथ पेकिंग का दौरा करते हुए दिखाया गया था, और उसी साल सोशलिस्ट पार्टी के एक सदस्य ने रंगून के एना झील में बर्मी भिक्षु के वेश में नेताजी से मुलाकात की थी।

3. जस्टिस मुखर्जी कमीशन: नेताजी की मौत के 50 सालों बाद जांच के लिए तीसरा आयोग न्यायमूर्ति मुखर्जी जांच आयोग का गठन 1999 में किया गया। जस्टिस मनोज मुखर्जी को जिम्मेदारी दी गई जांच की। उन्होंने 2005 में निष्कर्ष निकाला कि 18 अगस्त 1945 को ताइहोकू हवाई अड्डे पर विमान दुर्घटना का कोई सबूत नहीं है। मुखर्जी ने यह भी निष्कर्ष निकाला कि नेताजी की विमान दुर्घटना में मृत्यु नहीं हुई और जापानी मंदिर में राख नेताजी की नहीं है। हालांकि उनकी इस रिपोर्ट को भारत सरकार ने नकार दिया।

नेताजी की मौत को लेकर मित्र देशों की जांच में क्या निकला?

  • 30 अगस्त, 1945 को जापान के आत्मसमर्पण के तुरंत बाद एडमिरल माउंटबेटन ने जनरल मैकआर्थर (जापान में मित्र देशों की शक्तियों के सर्वोच्च कमांडर) को नेताजी की मृत्यु के बारे में जांच के लिए एक आदेश दिया। रिपोर्ट में कहा गया कि बोस 18 अगस्त, 1945 को एक हवाई दुर्घटना में घायल हो गए और उसी शाम उनकी मृत्यु हो गई।
  • सिंतबर 1945 में ब्रिटिश सरकार ने जांच के लिए पुलिस अधिकारियों को बैंकॉक, साइगॉन और ताइहोकू भेजा। इन्होंने साइगॉन एयरपोर्ट के इनचार्ज, ताइहोकू हवाई अड्डे के सैन्य अधिकारियों और ताइपे के नानमोन सैन्य अस्पताल के चीफ मेडिकल ऑफिसर्स से पूछताछ की। इनकी रिपोर्ट में भी बताया गया कि नेताजी ताइहोकू में प्लेन क्रैश में मारे गए।
  • 1946 के मध्य में टोक्यो में तैनात एक सीनियर खुफिया अधिकारी कर्नल जॉन जी फिगेस ने एक बार फिर से जांच शुरू की। 1946 के मई और जुलाई के बीच फिगेस ने टोक्यो में छह जापानी अधिकारियों से पूछताछ की। फिगेस ने लिखा कि यह निश्चित रूप से पुष्टि की गई है कि बोस की मृत्यु 18 अगस्त 1945 को स्थानीय समय के अनुसार 19:00 बजे से 20:00 बजे के बीच ताइहोकू सैन्य अस्पताल में हुई थी।

नेता जी मौत पर हुई जांच का निष्कर्ष क्या निकला?
23 जनवरी 2016 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 100 सीक्रेट फाइलें सार्वजनिक कर दी गईं। फाइलों से ऐसा कोई नया सबूत नहीं मिलता है, जिससे पता चलता हो कि 18 अगस्त 1945 को ताइहोकू में विमान दुर्घटना में नेताजी जीवित बचे थे। हालांकि इससे पहले भी इंडियन नेशनल आर्मी, खोसला आयोग और न्यायमूर्ति मुखर्जी जांच आयोग से संबंधित कुल 1030 फाइलें गृह मंत्रालय से प्राप्त हुई थीं। ये सभी फाइलें सार्वजनिक रिकॉर्ड नियम, 1997 के तहत जनता के लिए पहले से ही उपलब्ध हैं।

2017 में RTI के तहत पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए गृह मंत्रालय ने बताया गया कि नेताजी की मृत्यु 1945 में विमान हादसे में हुई थी। दो कमीशन और एक कमेटी की रिपोर्टों पर विचार करने के बाद सरकार इस निष्कर्ष पर पहुंची है।

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