COVID-19 के बीच आई अच्छी खबर, इस वजह से देश की बेरोजगारी दर में आई गिरावट

देश के वर्कफोर्स में एक बड़ा​ हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले रोजगार का है। 19 अप्रैल को 26.69 फीसदी की तुलना में यहां भी 26 अप्रैल तक बेरोजागरी दर 20.88 फीसदी रही।

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नई दिल्ली: देशभर में लॉकडाउन के बीच एक अच्छी खबर आई है। सेंटर फॉर मानिटरिंग ऑफ इंडियन इकोनॉमी (CMIE) की डेटा के मुताबिक, आंशिक छूट के बाद बेरोजगारी दर (Unemployment Rate) में गिरावट आई है। 26 अप्रैल को समाप्त हुए तिमाही में बेरोजगारी दर में यह कमी कुछ जगहों पर नियंत्रित कारोबार और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को फिर से शुरू किए जाने की वजह से आया है। CMIE की डेटा के मुताबिक, 26 अप्रैल को समाप्त तिमाही के दौरान भारत में बेरोजगारी दर गिरावट के साथ 21.05 फीसदी रही. इसके पहले 19 अप्रैल तक यह 26.19 फीसदी थी।

20 अप्रैल को मिली छूट से हुआ फायदा
CMIE के आंकड़े से पता चलता है कि 15 मार्च को बेरोजगारी दर 6.75 फीसदी था जो कि 19 अप्रैल तक बढ़कर 26.19 फीसदी तक पहुंच चुका था। हालांकि, इसके अगले सप्ताह में यह घटकर 21.05 फीसदी के स्तर पर पहुंचा। बता दें कि 20 अप्रैल के बाद सरकार ने कुछ सेक्टर्स को खोलने का फैसला लिया है। इसमें कृषि से लेकर नॉन-रेड जोन में आने वाली कुछ आर्थिक गतिविधियां हैं।

15 मार्च से बेरोजगारी दर में लगातार गिरावट
हालांकि, अर्थव्यवस्था के लिहाज से ये आंकड़े कुछ खास नहीं है लेकिन बढ़ते बेरोजगारी दर के इस दौर में इसे मामूली राहत के तौर पर देखा जा सकता है। कोरोना वायरस आउटब्रेक की वजह से 15 मार्च के बाद से लगातार बेरोजगारी दर में इजाफा हो रहा था। देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से हर सेक्टर में कारोबार पूरी तरह से ठप पड़ हुआ है।

ग्रामीण क्षेत्रों में भी सुधरे हालात
देश के वर्कफोर्स में एक बड़ा​ हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले रोजगार का है। 19 अप्रैल को 26.69 फीसदी की तुलना में यहां भी 26 अप्रैल तक बेरोजागरी दर 20.88 फीसदी रही। अप्रैल की शुरुआत के बाद यह पहला ऐसा सप्ताह रहा, जहां ग्रामीण रोजगार में गिरावट नहीं देखने को मिली।

शहरों में भी बेरोजगारी दर में आई गिरावट
शहरी क्षेत्रों के लिए भी बेरोजगारी दर में गिरावट देखने को मिली। 26 अप्रैल को समाप्त हुए तिमाही में यह यह गिरकर 21.45 फीसदी के स्तर पर आ गया जो कि 5 अप्रैल को 30.93 फीसदी था। 19 अप्रैल को खत्म हुए तिमाही में यह 25.05 फीसदी था। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि कुछ राज्य लाखों प्रवासी मजदूरों को वापस लाने का प्रयास कर रहे हैं। इसका असर जरूर देखने को मिलेगा।

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