Movie Review: ‘मिर्जिया’ की कहानी भी पुरानी और प्रेम भी, बस किरदार नए

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राजस्थान: जिस फिल्म का दर्शक काफी समय इंतजार कर रहे थे। आखिरकार वो फिल्म आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई। फिल्म की कहानी जानने से पहले आपको बता दें ये फिल्म भाग मिल्खा भाग के निर्देशक ओम प्रकाश मेहरा ने बनाई है। मिर्जा-साहिबा की लोक कथा इस फिल्म को काफी दिलचस्प बना सकती थी लेकिन कही कमी रह गई। फिल्म की कहानी पुरानी फिल्मों की प्रेम कहानी जैसी है। किसी तरह का कोई नयापन अगर दिखा तो, दो नए कलाकार हर्षवर्धन कपूर और सैयामी खेर की एक्टिंग में।

कहानी-

मुनीश (हर्षवर्धन) और सूची (सैयामी) दोनों स्कूल में साथ पढ़ते हैं। दोनों की पक्की दोस्ती है। एक दिन जब किसी बात पर स्कूल टीचर सूची की पिटाई कर देता है तो मुनीश अगले दिन उस टीचर को गोली मार देता है। मुनीश को सजा मिलती है और उसे बाल सुधार गृह भेज दिया जाता है।

उधर सूची के पिता राठौर साहब (आर्ट मलिक) उसको विदेश पढ़ने के लिए भेज देता है, दोनों अलग हो जाते हैं। एक दिन मौका पाकर मुनीश जेल से भाग जाता है और लाहौर की एक बस्ती में चला जाता है। उसकी परवरिश यहीं होती है, वो बड़ा होकर घुड़सवारी सीखने लगता है। बड़ी होने पर सूची भी वापस आ जाती है। उसके पिता अब पुलिस कमिश्नर बन गए हैं और सूची की शादी राजस्थान घराने के एक प्रिंस (अनुज चौधरी) से कराना चाहते हैं।

ये बात जब मुनीश को पता चलती है तो वो सूची को अपनी असलियत नहीं बताता। लेकिन एक दिन सूची को मुनीश के बारे में सब पता चल जाता है, कि वो वही उसके बचपन का दोस्त है। करण, मुनीश को कहता है कि वो सूची को घुड़सवारी सिखाए। इस तरह वो दोनों एक दूजे के करीब आने लगते हैं। लेकिन एक दिन जब मुनीश, राठौर से सूची का हाथ मांगता है तो सारी बात बिगड़ जाती है। सूची की करण से शादी तय हो जाती है और मुनीश कुछ नहीं कर पाता, क्योंकि करण ने उसको गोली मार दी। इसके बाद आपको कहानी में अलग- अलग तरह के टि्वस्ट आते है।

निर्देशन-संवाद: 

फिल्म की कहानी नई नहीं है, ऐसी स्टोरी से मिलती-जुलती आपको कई फिल्म मिल जाएगी। गुलजार द्वारा लिखी गई ये कहानी असर नहीं जगाती। पटकथा और संवाद भी साधारण हैं, जो रिझाते नहीं है। हालांकि फिल्म का कैनवस बहुत बड़ा है और सीन्स बहुत अच्छे लगते हैं। फिल्म की कहानी के मुकाबले फिल्म का म्यूजिक बहुत अच्छा है और फिल्म पर पूरे टाइम भारी पड़ता है। शंकर अहसान लॉय का संगीत इस फिल्म को देखने की वजह हो सकती है।

अभिनय :

हर्षवर्धन कपूर और सयामी खेर दोनों ने ही बॉलीवुड में अपनी पहली फिल्म से कदम रखा है। हर्षवर्धन जहां खुद को साबित करने के लिहाज से अपने हर रोल कुछ अलग करते दिखाई दिए, वहीं सयामी ने भी अपने किरदार को शत-प्रतिशत देने का पूरा प्रयास किया है। अनुज चौधरी व कला मलिक की बात की जाए तो उन्होंने ने भी जरूरत के हिसाब से अच्छा प्रदर्शन किया है। केके रैना, ओम पुरी, अंजलि पाटिल ने अपने-अपने किरदारों को बखूबी निभाया है

बैनर : सिनेस्तान फिल्म कंपनी, राकेश ओमप्रकाश मेहरा पिक्चर्स
निर्माता : रोहित खत्तर, राकेश ओमप्रकाश मेहरा, पीएस. भारती, राजीव टंडन
निर्देशक : राकेश ओमप्रकाश मेहरा
जोनर : ड्रामा
संगीतकार : शंकर एहसान लॉय
गीतकार : दिलेर मेंहदी
स्टारकास्ट : हर्षवर्धन कपूर, सयामी खेर, अनुज चौधरी, कला मलिक, केके रैना, ओम पुरी, अंजलि पाटिल
रेटिंग : डेढ़ स्टार

 

 

 

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