इन 5 शहरों में बढ़ रहे हैं ऑनलाइन गेम खेलने वाले बच्चे, कैसे जानें लत है या मनोरंजन

ऑनलाइन गेम की लत में पड़ने वाले बच्चों में तनाव और डिप्रेशन की शिकायत बढ़ रही है क्योंकि वो गेम में इतना उलझ जाते हैं कि उससे उबर ही नहीं पाते। एक रिपोर्ट के अनुसार 87 प्रतिशत लोग ये मान रहे हैं कि ऑनलाइन गेम के माध्यम से वो डिप्रेशन के शिकार हुए हैं।

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राजस्थान: पिछले दिनों राजस्थान की एक खबर थी कि 13 साल के बच्चे को ऑनलाइन गेम (Online Gaming Addiction) की ऐसी लत लगी कि उसने अपने ही घर पर साइबर हमला कर दिया। बच्चा दिनभर वीडियो गेम खेलता था, जिसकी लत में उसने माता-पिता के फोन में हैकिंग एप इंस्टॉल करके सारा डेटा डिलीट कर दिया। इतना ही नहीं, घर में भय का माहौल पैदा करने के लिए मोबाइल की पुरानी डिवाइस काट-काट कर कुछ दीवारों और टेबल के नीचे भी चिपकाई।

जब साइबर सेल ने छान-बीन की तो पता चला कि सारी करतूत बच्चे की है। गेम की लत में हैकिंग का यह पहला बड़ा मामला है, लेकिन इससे पहले भी वीडियो गेम्स की लत के काफ़ी बुरे परिणाम सामने आए हैं। कुछ ने माता-पिता के हजारों-लाखों में पैसे उड़ा दिए, कुछ ने परिवार को ही खत्म कर दिया, तो कुछ ने खुद को।

कौन-से शहर ज्यादा प्रभावित?
भारत के प्रमुख गेमिंग प्लेटफॉर्म में से एक मोबाइल प्रीमियर लीग ने 2021 में एक रिपोर्ट जारी की जिसमें ये बताया गया कि राजधानी दिल्ली में सबसे ज्यादा ऑनलाइन गेम खेलने वाले बच्चे हैं। वहीं दूसरे नंबर पर जयपुर, तीसरे पर पुणे, चौथे पर लखनऊ और पांचवें नंबर पर पटना शहर है। इसमें हैरान करने वाली बात ये थी कि शीर्ष 5 शहरों में मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता, चेन्नई जैसे कई बड़े महानगर नहीं थे।

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तनाव और डिप्रेशन की शिकायत बढ़ रही है
ऑनलाइन गेम की लत में पड़ने वाले बच्चों में तनाव और डिप्रेशन की शिकायत बढ़ रही है क्योंकि वो गेम में इतना उलझ जाते हैं कि उससे उबर ही नहीं पाते। एक रिपोर्ट के अनुसार 87 प्रतिशत लोग ये मान रहे हैं कि ऑनलाइन गेम के माध्यम से वो डिप्रेशन के शिकार हुए हैं।

वहीं मारधाड़ और शूटिंग वाले गेम ज़्यादा लोकप्रिय हैं जिसके कारण बच्चों में बहुत मानसिक तनाव बना रहता है। यहां तक कि वो खाना-पीना भी भूल जाते हैं, उनका सारा ध्यान बस वहीं लगा रहता है। कई विशेषज्ञ यह भी बताते हैं कि बच्चों, किशोरों और वयस्कों में गेम की लत से हिंसक प्रवृत्ति बढ़ रही है। कुछ मामलों में मोबाइल वापस ले लिए जाने से बच्चे गहरे अवसाद में चले जाते हैं।

कैसे जानें लत है या मनोरंजन
बच्चा मोबाइल और कंप्यूटर पर ज़्यादा समय गुजारने लगेगा।
उसकी नियमित गतिविधियों में बदलाव आएगा।
परिवार और दोस्तों से ख़ुद को अलग कर लेगा। सिर्फ़ ऑनलाइन दोस्तों तक सीमित रहेगा।
पढ़ाई और काम प्रभावित होंगे।
नींद प्रभावित होगी। यदि सोता है तो ऑनलाइन गेम्स या एप्लीकेशन के सपने देखेगा।
गेम खेलने से मना करने पर ग़ुस्सा करेगा। बहस करने के बावजूद खेलना बंद नहीं करेगा।
बच्चा उल्टे जवाब भी देगा। हाथापाई भी कर सकता है।

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बच्चों को समय दें और बाहर घुमाने ले जाएं
कुछ अध्ययनों के मुताबिक यदि कोई भी व्यक्ति एक ही जगह घंटों समय बिताता है तो यह डीप वेन थ्रोम्बोसिस के खतरे को बढ़ा देता है। यदि बच्चा एक ही स्थान पर लगातार बैठकर पढ़ाई कर रहा है या टीवी भी देख रहा है तो उसे किसी न किसी बहाने से हर घंटे जगह से उठाएं। उसे सैर पर ले जाएं या घर के किसी काम में मदद लें। इस बहाने वह लगातार बैठे रहने से बचेगा और मोटापे जैसी स्वास्थ्य समस्या भी नहीं होगी। मोबाइल व लेपटॉप से भी ऐसे ही दूर करें।

इन छोटी से छोटी बात का रखें ख्याल
1 बच्चों के समय और हर ज़रूरत का ख्याल रखें। कोशिश करें कि बच्चे को मोबाइल की ज़रूरत ही न पड़े और अगर पड़ भी रही है तो ब्राउज़र और मोबाइल की हिस्ट्री में जाकर ये ज़रूर जांच लें कि बच्चा क्या-क्या सर्च कर रहा है। यदि वो गेम खेल रहा है तो उसे अचानक से डांटने के बजाय समझाने का प्रयास करें।

2 बच्चों के साथ प्रेमपूर्वक व्यवहार करें और कोशिश करें कि उनके साथ दोस्त वाले संबंध स्थापित कर पाएं जिससे बच्चों को समझा-बुझाकर गेम की लत से दूर रखा जा सके।

3 अभिभावक भी मोबाइल का ज़्यादा इस्तेमाल न करें क्योंकि बच्चा भी वही सीखता है जो वह अपने आस-पास देखता है।

4 अगर अपना मोबाइल बच्चे को दे रहे हैं तो सारे गेम डिलीट करके प्ले स्टोर में चाइल्ड लॉक लगाएं। इससे कोई भी एप डाउनलोड नहीं कर पाएगा। इसमें आप जो भी पासवर्ड सेट कर रहे हैं, बच्चे से साझा न करें।

5 मोबाइल में सोशल मीडिया एप्स न रखें। अगर रखते हैं तो हर एप में फिंगरप्रिंट लॉक रखें। अपना एटीएम और उसका पिन कोड भी उनसे साझा न करें। पढ़ाई के लिए अलग से मोबाइल दें।

6 कुछ गेम्स देश में बैन हो चुके हैं, लेकिन उन्हें वीपीएन के माध्यम से खेल सकते हैं। इसलिए सतर्क रहें।

7 बच्चे ऑनलाइन कई तरह के लोगों से जुड़े होते हैं जिनसे उन्हें तरह-तरह की जानकारियां मिलती रहती हैं। वे किससे बात कर रहे हैं और क्या बात कर रहे हैं, इसका ध्यान भी आपको रखना है।

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