ब्रह्मलीन महंत स्वामी दुर्लभराम जी महाराज की 18 वी पुण्यतिथि मनाई

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राम नाम रटने से मिलती है पापों से मुक्ति- संत निर्मल राम

संवाददाता भीलवाड़ा। राम नाम रटने से मिलती है पापों से मुक्ति,यह बात लुलास,ओदी ब्रह्मलीन महंत स्वामी जी श्री दुर्लभ राम जी महाराज की तपोस्थली ओदी आश्रम में मकर सक्रांति पर्व पर आयोजित धर्मसभा में कही।
साथ ही बताया कि महाराज ने बताया कि क्रोध अहंकार लालच शांति के शत्रु है क्रोध रूपी आग को खत्म करने के क्षमा का जल चाहिए क्रोध मानव का मूल स्वभाव नहीं है मनुष्य का मूल स्वभाव शांति और आनंद है क्रोध से हमेशा मनुष्य को नुकसान ही उठाना पड़ता है श्री संत श्री ने कहा कि अपमान होने पर हमें बहुत दुख होता है इसलिए हमें भी किसी का अपमान नहीं करना चाहिए क्रोध के स्थान पर यदि करुणा हो तो दुश्मन भी मित्र बन जाता है अभिमान हमें झुकने नहीं देता है जिसके कारण हम अपनों से भी दूर हो जाते हैं अहंकार छोड़ें बिना मनुष्य अपने गुरु और परमात्मा का नहीं हो सकता बेर जितनी जल्दी हो खत्म कर देना चाहिए जीवन में मनुष्य को अपने विचारों को निर्मल बनाना चाहिए विचार मनुष्य के दुश्मन भी है और दोस्त भी है अच्छे विचार मनुष्य को स्वर्ग की ओर ले जाते हैं जबकि बुरे विचार मनुष्य को नर्क की ओर ले जाते हैं विचारों को निर्मल पवित्र और सुंदर बना लेना ही ईश्वर की सबसे बड़ी पूजा है अच्छी विचारधारा बेहतरीन रिश्तो का आधार है साथ ही यह महान व्यक्तित्व के नियम मानसिक शांति और आनंद पाने का पहला सुत्र भी है।
इस दौरान सिरोही रामद्वारा सन्त भजना राम महाराज, संत राम विशवास रामस्नेही,जैन संत रविंद्र मुनि, संत नानकराम संत सहज राम मौजूद रहे तथा जनसभा को संबोधित किया। सन्त श्री ने आश्रम के गायों को को इस अवसर पर लापसी खिलाई गई। कार्यक्रम के दौरान इंदर मल गुर्जर समाजसेवी महावीर पारीक, मोहन सराधना, पत्रकार महावीर मीणा, आशीष जोशी, आनंद तिवाडी सहित कई भक्तजन मौजूद रहे।

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