वैज्ञानिक भी हुए हैरान, इस भारतीय ने बनाया दिमाग पढ़ने वाला डिवाइस, देखें Video

कान पर लगाया जाता है यह डिवाइस, बता देगा कि हम क्या कहना चाहते हैं , ये ही नहीं शतरंज में बता देता है विरोधी कौन-सी चाल सोच रहा है

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वॉशिंगटन: हमारे सामने वाले के दिमाग में क्या चल रहा है यह जान लेने वाली कहानियां हमने अब तक सिर्फ साइंस फिक्शन या जादुई कथाओं में ही पढ़ी होंगी। लेकिन मैसाचुसैट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी(एमआईटी) में भारतीय मूल के अर्नव कपूर ने इसे हकीकत में बदल दिया है। उनकी टीम ने एक ऐसा डिवाइस बनाया है जो दिमाग में चल रही बातों को पढ़-सुन लेता है और कंप्यूटर और मोबाइल उपकरणों के जरिए बता देता है कि वो बातें क्या हैं। जैसे हम पढ़ाई के वक्त शांत होकर धीमे-धीमे पढ़कर याद करने का अभ्यास करते हैं या बुदबुदाते हैं।

इसे सबवॉकलाइजेशन कहा जाता है। यह डिवाइस इन सब बातों को सामने लाकर रख देता है। इसे चेहरे पर पहना जाता है, जो हमारी नसों, शरीर और हडि्डयों के कंपन यानी न्यूरोमस्क्यूलर संकेतों को माप सकता है। इसके जरिए वह दिमाग में चल रही बातों का पता लगा लेता है। इसके जरिए एक कंप्यूटर सिस्टम को सिग्नल भेजे जाते हैं जो तंत्रिका नेटवर्क के जरिए शब्दों का पता लगा लेता है। फिलहाल इस डिवाइस का इस्तेमाल शतरंज में विरोधी के दिमाग में चल रही चालों का पता लगाने और अन्य गेम्स की जानकारी लेने जैसे मजेदार कामों के लिए किया जा रहा है।

क्या कहना है कपूर का-
प्रोजेक्ट के प्रमुख अर्नव कपूर बताते हैं, ‘हमें बुध्दिमत्ता बढ़ाने वाले डिवाइस को तैयार करने का आइडिया आया था। हम ऐसा डिवाइस चाहते थे, जो मशीन और इंसान को मिलाकर इंसानी अनुभूति काे बयां कर सके। एक तरह से यह हमारी आंतरिक अनुभूति के विस्तार जैसा है।’

टेस्ला प्रमुख ने जताई चिंता-
टेस्ला के प्रमुख इलोन मस्क ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर गंभीर चेतावनी दी है। उन्होंने कहा,’एआई एक ऐसा अमर तानाशाह बन सकता है, जिससे कोई भी बच नहीं सकेगा। हमें उसके अधीन काम करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।’ मस्क ने ये बात एक डॉक्यूमेंट्री में कही है। उन्होंने एआई को शैतान को निमंत्रण देने जैसा बताया है। क्रिस पेन की ‘डू यू ट्रस्ट कंप्यूटर?’ नाम की इस डॉक्यूमेंट्री का प्रीमियर गुरुवार को लॉस एंजिलिस में किया गया। मस्क ने कहा, ‘अगर हम रोबोट्स के साथ लड़ाई करें, तो हमारी जीत की संभावना सिर्फ 5-10% ही हैं। एआई को अभी से रैग्यूलेट करने की जरूरत है।’

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