Income tax के इन 10 नियमों की भूलकर भी अनदेखी ना करें

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नई दिल्ली:  1 अप्रैल 2017 से इनकम टैक्स कानूनों से जुड़े कुछ नियम बदल गए हैं। क्या आप इनके बारे में जानते हैं? अगर नहीं तो जान लीजिए क्योंकि ITR के वक्त आपको इनकी अनदेखी भारी पड़ सकती है।

  1. बजट 2017 में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इनकम टैक्स में कुछ बदलावों की घोषणा की थी। इसके अलावा वित्त विधेयक में भी कुछ बदलावों को लोकसभा ने अपनी मंजूरी दी है। इनमें से एक बेहद जरूरी यह है कि अब पैन कार्ड (PAN) के लिए अप्लाई करते समय ही नहीं बल्कि इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते वक्त भी आधार नंबर अनिवार्य होगा।

2. सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (CBDT) ने शुक्रवार को आकलन वर्ष 2017-18 के लिए सातों आईटीआर फॉर्म्स पेश किए. ढाई लाख से 5 लाख रुपये के बीच की आय वालों का टैक्स 10 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया गया है हालांकि, सेक्शन 87ए के तहत मिलने वाली 5000 रुपये की छूट को घटाकर 2500 रुपये कर दी गई है.।जिन आयकरदाताओं की आय 3.5 लाख रुपये से ऊपर है उनके लिए कोई छूट नहीं है. इसका अर्थ यह हुआ कि 3 से 5 लाख रुपये की करयोग्य आय वालों को 7,700 रुपये की बचत होगी, जबकि 5 लाख रुपये से 50 लाख रुपये करयोग्य आय वालों को 12,900 रुपये की बचत होगी।

3. यदि आपकी सालाना आय 50 लाख रुपये से लेकर एक करोड़ रुपये के बीच आती है तो आपको 10 प्रतिशत सरचार्ज देना होगा। वहीं एक करोड़ रुपये सालाना आय वालों को पहले की ही तरह 15 प्रतिशत सरचार्ज देना होगा.

4. सीबीडीटी ने वेतनभोगी तबके के लिए आयकर रिटर्न भरने के लिए एक छोटा नया फॉर्म (सहज Sahaj)  पेश किया है। यह एक अप्रैल से मिलना शुरू हो चुका है। दरअसल आईटी विभाग ने इस फॉर्म में से कुछ खानों (sections/boxes) को हटा दिया है जिससे यह छोटा और अधिक सरल बन गया है. आकलन वर्ष 2017-18 के रिटर्न फॉर्म में आयकर के अध्याय 6-ए के तहत किए जाने वाले विभिन्न कटौती के दावों की जानकारी से जुड़े खाने हटा दिया गए हैं और केवल उन्हीं बिंदुओं को इसमें रखा गया है जिन्हें आमतौर पर इस्तेमाल में लाया जाता है. अधिकारी ने कहा, “फॉर्म अधिसूचित कर दिए गए हैं और आयकर विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं. आईटीआर-1 से लेकर आईटीआर 6 तक फॉर्म उपलब्ध हैं.”

5. राजीव गांधी इक्विटी सेविंग स्‍कीम में निवेश पर आकलन वर्ष 2018-19 के लिए अब से कोई टैक्स लाभ नहीं मिलेगा. वित्त वर्ष 2012-13 में इस टैक्‍स सेविंग स्‍कीम की घोषणा की गई थी. यह योजना प्रतिभूति बाजार में पहली बार निवेश करने वाले निवेशकों को प्रोत्‍साहित करने के लिए शुरू की गई थी. ऐसे निवेशकों को जिनकी आय एक निश्चित सीमा से कम कम थी.

6. यदि सर्च में 50 लाख रुपये से अधिक की अघोषित आय व संपत्ति पाई गई तो इनकम टैक्स अधिकारी पिछले 10 साल के मामले खंगाल सकते हैं. पहले वे छह साल तक के बहीखाते खंगाल सकते थे. यदि आप समय पर आईटीआर फाइनल नहीं करते हैं तो आपको आकलन वर्ष 2018-19 पर 10 हजार रुपये तक की पेनल्टी देनी पड़ सकती है.

7. हालांकि यदि कुल इनकम 5 लाख रुपये से अधिक नहीं होती है तो इसके लिए 1 हजार रुपये से ज्यादा नहीं होगी. दीर्घकालिक लाभ के लिए किसी संपत्ति का होल्डिंग पीरियड 3 साल से घटाकर 2 साल कर दिया गया है. यदि कोई व्‍यक्ति संपत्ति खरीदकर उसे 2 साल के भीतर ही बेच देता है तो उसे इस पर होने वाला लाभ शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा और इसी के अनुसार उसे इस पर टैक्‍स देना होगा.

8. केंद्र सरकार के नए नियम के मुताबिक दूसरे घर पर लिए गए होम लोन पर अधिकतम 2 लाख रुपए तक टैक्स में छूट पा सकेंगे. यानी सरकार उन लोगों को ढील नहीं देना चाहती है जो एक से ज्यादा प्रॉपर्टी खरीदकर होम लोन उठा लेते हैं और उसके जरिए टैक्स में छूट पाते हैं. नए नियम में पहली बार घर खरीदने वालों को टैक्स छूट में प्राथमिकता दी जा रही है. इसमें उन लोगों को छूट नहीं दी गई है जो अपने घर में रहते हैं और दूसरी प्रॉपर्टी खरीदकर उससे किराया कमा रहे हैं. पहले मकान मालिक किराए पर दी गई प्रॉपर्टी के ब्याज पर पूरी छूट का दावा कर सकता था, जबकि अपने मकान में खुद रहने वाले 2  लाख रुपये तक ही क्लेम करने का हकदार होते थे.

9. यदि सर्च में 50 लाख रुपये से अधिक की अघोषित आय व संपत्ति पाई गई तो इनकम टैक्स अधिकारी पिछले 10 साल के मामले खंगाल सकते हैं. पहले वे छह साल तक के बहीखाते खंगाल सकते थे. यदि आप समय पर आईटीआर फाइनल नहीं करते हैं तो आपको आकलन वर्ष 2018-19 पर 10 हजार रुपये तक की पेनल्टी देनी पड़ सकती है. हालांकि यदि कुल इनकम 5 लाख रुपये से अधिक नहीं होती है तो इसके लिए 1 हजार रुपये से ज्यादा नहीं होगी.

10.दीर्घकालिक लाभ के लिए किसी संपत्ति का होल्डिंग पीरियड 3 साल से घटाकर 2 साल कर दिया गया है. यदि कोई व्‍यक्ति संपत्ति खरीदकर उसे 2 साल के भीतर ही बेच देता है तो उसे इस पर होने वाला लाभ शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा और इसी के अनुसार उसे इस पर टैक्‍स देना होगा.यदि आपको रेंटल प्रॉपर्टी से हर माह 50,000 रुपये से अधिक की आय हो रही है तो इस पर 5 प्रतिशत टीडीएस (tax deducted at source) कटेगा. टैक्स एक्सपर्ट्स कहते हैं कि ऐसे व्‍यक्ति जिनकी रेंटल इनकम बहुत अधिक है, अब वे भी टैक्स नेट में आ जाएंगे. वैसे बता दें कि यह नियम एक जून 2017 से लागू होगा.

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