क्या आप भी खेलते हैं कैंडी क्रश और लूडो जैसे गेम, तो हो जाओ सावधान…

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फेसबुक के डेटा चोरी विवाद में घिरने के बाद दुनियाभर में इंटरनेट सिक्युरिटी को लेकर बहस तेज हो गई है। लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ये डेटा होता क्या है? डेटा में चोरी कैसे होती है। ज्यादातर सोशल यूजर्स इस पूरे मामले में ये ही समझ रहे हैं कि उनकी चैटिंग, फोटोज, वीडियो आदि को चुराया जा रहा है लेकिन ऐसा नहीं। डेटा जासूस आपकी बस इस जानकारी का ही फायदा नहीं उठा रहे बल्कि इससे ज्यादा आपकी इंफॉर्मेशन्स निकाल रहे हैं। क्या आपने सोचा है, आपके इर्द-गिर्द मौजूद हर सूचना डेटा हो सकती है। चाहे वह पेपर पर लिखी कोई चीज हो या सीसीटीवी फुटेज। यानी यूजर्स से संबंधित कोई भी जानकारी डेटा हो सकती है। इसे यूं समझिए…

क्या होता है डेटा ब्रीच?
फेसबुक स्कैंडल के दौरान डेटा ब्रीच काफी ज्यादा इस्तेमाल किया गया। दरअसल, इंटरनेट सर्विसेज को दी जानकारी अगर कोई धोखे से हासिल करे तो उसे डेटा ब्रीच कहते हैं। फेसबुक के हालिया विवाद में यूजर्स का डेटा थर्ड पार्टी को दिया गया है जो कि यूजर्स से धोखा है। इसी वजह से दुनियाभर में फेसबुक की आलोचना हो रही है और कई देशों की सरकारें फेसबुक के खिलाफ जांच तक करवा रही हैं।

कैसे चुराया डाटा-
क्रिस्टोफर वाइली के मुताबिक, कैम्ब्रिज एनालिटिका ने एक क्विज बनवाया जिसके सवालों का जवाब देने के लिए 1-2 डॉलर दिए जाते थे। शर्त ये थी कि लोग क्विज खेलने के साथ-साथ उससे अपना फेसबुक प्रोफाइल भी लिंक करें। वाइली के मुताबिक, तकरीबन ढाई लाख लोगों ने ये क्विज खेला, जिससे उनका डेटा तो कंपनी के पास पहुंचा ही, साथ ही कंपनी ने चोरी से उनके दोस्तों का डेटा भी डाउनलोड कर लिया। इसी तरह ये आंकड़ा 5 करोड़ के पार पहुंच गया। यानी आपके प्रोफाइल से आपके दोस्तों की आईडी को एक्सेस किया जा सकता था। इसे एक चेन ही समझिए। फेसबुक ने बताया ये सुविधा मई  2015 में बंद कर दी गई है।

डाटा चुराने के बाद फिर क्या-
डाटा चुराने के बाद थर्ड पार्टी आपके डाटा के अनुसार, आपकी सोशियोलॉजिकल प्रोफाइल बनाती है, जिसमें आपकी पसंद-नापसंद, लाइक्स, वीडियो, कमेंट्स, गूगल सर्च के आधार पर आपके स्वभाव की प्रोफाइल तैयार की जाती है। इसके बाद आपको उसी तरह की चीजें आपके सोशल अकाउंट्स, डिजिटल विज्ञापन, पोस्ट आदि के रूप में दिखाई जाती है। जिससे देखकर या तो आप खुश होते हैं या दुखी।

क्या है फेसबुक क्विज-
देखना चाहते हैं कि हॉलीवुड स्टार के तौर पर आप कैसे लगेंगे? यहां क्लिक करें। आपके नाम का मतलब क्या है, आप बुढ़ापे में किस किस नेता/ अभिनेता की तरह नजर आएंगे, आपका चरित्र रामायण के किस पात्र से मिलता है? हम सभी ने इस तरह के क्विज फेसबुक पर अक्सर देखें हैं और एक-आधी बार इस्तेमाल भी किया है। इसमें आपके आईक्यू को टेस्ट करने की बात कही जाती है, आपके अंदरूनी व्यक्तित्व को बताने की बात कही जाती है। कहने को ये एक फेसबुक क्विज है पर असल मायनों में ये आपकी डिजिटल जिंदगी है। इसी तरह के फेसबुक क्विजों से कैम्ब्रिज एनालिटिका ने करोड़ों लोगों के डेटा हासिल कर लिए। यहां कुछ एक ही क्विज की चर्चा की गई, ऐसे कई क्विज में आपको ये भरोसा दिलाया जाता है कि आपका डेटा सुरक्षित है। ऐसे गेम और क्विज फेसबुक यूजर्स को लुभाने के लिए डिजाइन किए जाते हैं, लेकिन इसका असल मकसद डेटा इकठ्ठा करना होता है। ये सभी गेम और क्विज फेसबुक के नियम और शर्तों के मुताबिक काम करते हैं।

कभी सोचा है लोडिंग में क्यों लगता समय-
फेसबुक क्विज का हिस्सा बनते हैं, तो अक्सर प्रोफाइल को खुलने में समय लगता है। स्क्रीन पर नीले कलर का चक्कर सा घूमता नजर आता है। आप इसे नेटवर्क की कमी मानते है लेकिन ये आपकी प्रोफाइल पोस्ट, लाइक, डिसलाइक, मैसेज, कमेंट्स आदि को अपने सर्वर पर स्टोर करने का काम करता है। अब समझे..आपका डाटा चोरी कैसे होता है। ये सिर्फ कुछ उदाहरणों द्वारा आपको समझाया गया है लेकिन मत भूलिए..डिजिटल वर्ल्ड इससे भी बड़ा है।

कैंडी क्रश और लूडो जैसे गेम भी चुराते हैं डाटा-
फेसबुक से डाटा चोरी होने बाद साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट ने का कहना है कि फेसबुक जैसे मोबाइल ऐप ही नहीं, लूडो, कैंडी क्रश और चेस गेमिंग एप से भी यूजर्स का डाटा आसानी से चुराया सकता है। डाटा चोरी का मामला सामने आने के बाद एक्सपर्ट्स ने यह चिंता जताई है। इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन (आईटीयू) के मुताबिक भारत में सबसे ज्यादा सक्रिय स्मार्टफोन यूजर्स हैं। ये लोग रोजाना करीब 4 घंटे मोबाइल एप का इस्तेमाल करते हैं। 2016 में यूजर्स ने 600 करोड़ से ज्यादा ऐप डाउनलोड किए। जबकि 2015 में यह आंकड़ा 300 करोड़ ही था। इस दौरान उन्होंने 145 अरब घंटे मोबाइल पर बिताए। इससे पता चलता है कि देश में एप्स और गेमिंग साइट का क्षेत्र कितना व्यापक हो गया है।

भारत समेत 104 देशों के 80% युवा ऑनलाइन
आईटीयू के मुताबिक जून 2017 तक दुनियाभर में 83 करोड़ युवा ऑनलाइन हो चुके थे। ये यूजर 104 देशों की 80% युवा आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं। इनमें से 32 करोड़ तो चीन और भारत में ही हैं।

फेसबुक लाइक से बचे-
ईस्ट एंग्लिया स्कूल ऑफ लॉ विश्वविद्यालय में सूचना प्रौद्योगिकी, बौद्धिक संपदा और मीडिया कानून पढ़ाने वाले लेक्चरर पॉल बरनल कहते हैं, “कभी भी किसी उत्पाद के सर्विस पेज के ‘लाइक’ बटन पर क्लिक नहीं करें और अगर आप किसी गेम या क्विज़ को खेलना चाहते हैं तो फेसबुक से लॉगइन करने के बजाए सीधे उसकी साइट पर जाएं।” बरनल कहते हैं, “फेसबुक से लॉगइन कर ये सब करना आसान होता है, लेकिन ऐसा करके आप ऐप डेवलपर को आपकी फेसबुक प्रोफाइल पर मौजूद जानकारी का एक्सेस दे देते हैं।”

मुफ्त की चीज कर रही बर्बाद-
ये सच है कि आपको मुफ्त की चीजें पसंद है। आजकल कई कंपनियां अपने ऐप डाउनलोड करवाने के लिए आपको लुभावने ऑफर दे रही है। जैसे किसी एप को 10 लोगों को डाउनलोड करवाने पर 200 रूपये का कैशबैक देना, या आपके बैंक अकाउंट में पैसे भेजना आदि। आपको समझना बेहद जरूरी है कि दुनिया में कोई चीज मुफ्त नहीं होती। फ्री ऐप डाउनलोड की कीमत आपकी और आपके परिवार की निजता होती है जो वो ऐप आपसे वसूल करते हैं। ऐप डाउनलोड करते वक्त, या फिर ऐप में निजी जानकारियों फीड करके ओके का बटन दबाने से पहले हम शर्तों को पढ़ना जरूरी नहीं समझते। उदाहरण के तौर पर समझिए आपने कही ऑनलाइन नौकरी के लिए एप्लाई किया और उसके बाद उसके बाद अचानक आपके मोबाइल या सोशल मीडिया पेज पर नौकरी से जुड़ी चीजे दिखने लगी हों। कभी आपने सोचा है ऐसा क्यों होता है। जरूरी नहीं नामी-गिरामी कंपनियां ही आपका डाटा चुराती है और बेचती है। डिजिटल वर्ल्ड में आप जहां भी अपनी निजी जानकारियां दर्ज करवाएगें, वहां आपको ऐसी समस्या का सामना करना होगा। इसे बचने का एक समाधान है, कहीं भी अपनी जानकारी देने से पहले शर्ते पढ़ ले।

नमो एप पर भी उठे सवाल-
फ़्रांस के एक व्हिसल ब्लोअर इलियट ऑल्डरसन का आरोप है कि पीएम मोदी का आधिकारिक ऐप NaMo यूजर्स की इजाजत लिए बगैर उनका डेटा एक थर्ड पार्टी को भेज रहा है। हालांकि बीजेपी ने इस आरोप का खंडन कर चुकी है और गूगल प्ले स्टोर से इस ऐप डिलीट कर चुकी है। बताया जा रहा है कि विवाद सामने आने के बाद NaMo की निजता नीति में गुपचुप तरीके से एक डिस्क्लेमर जोड़ दिया गया है जो 23 मार्च तक नहीं था। नमो एप की चर्चा होना लाजमी कहने को ये पीएम मोदी का निजी एप है लेकिन जुड़ा राजनीति से ही है। नमो एप के विवादों में आने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष भी इससे बच नहीं पाए। सूत्रों के अनुसार, कुछ समय के लिए गूगल प्ले स्टोर से सभी पार्टियों ने अपने निजी एप हटा लिए।

साइबर सुरक्षा के लिए कड़ा कानून चाहिए-
साइबर सिक्योरिटी के जानकार के मुताबिक, ”सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि निजता का अधिकार बुनियादी अधिकारों में शामिल है लेकिन भारत में न कोई डेटा सुरक्षा क़ानून है, न ही निजता कानून। अब लोग अगर अपना फेसबुक प्रोफाइल डिलीट कर भी दें तो भी जो जानकारी वहां है, वो तो वहीं रहेगी।” इसके अलावा अगर किसी कंपनी ने आपका डेटा लीक किया है तो आईटी एक्ट की धारा 43 (ए) के तहत मुकदमा किया जा सकता है लेकिन आम आदमी सामान्य तौर पर ये साबित ही नहीं कर पाता सरकार को डेटा की सुरक्षा और निजता की हिफाजत के लिए कड़ा कानून बनाना जाना चाहिए।

अगर करनी हो शिकायत
अगर आपको शक है कि कोई ऐप आपकी प्राइवेसी भंग कर रहा है या आपके डेटा को गैरवाजिब ढंग से ऐक्सेस कर रहा है तो उसकी शिकायत या रिपोर्ट कर सकते हैं:

एंड्रॉयड के लिएः support.google.com/legal/troubleshooter/1114905

आईओएस के लिएः reportaproblem.apple.com/

गूगल प्ले स्टोर और आईओएस ऐप स्टोर पर इंस्टॉल किए गए हर ऐप के पेज पर अलग-से इस बात का इंतजाम होता है कि आप जरूरत पड़ने पर उसकी शिकायत कर सकें। जहां ऐप स्टोर पर ‘Report’ नामक बटन होता है, वहीं प्ले स्टोर पर ‘Flag Inappropriate’ नामक लिंक दिखाई देगा।

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