कांग्रेस पार्टी से क्या चाहते हैं गुलाम नबी आजाद, क्यों दिया अचानक इस्तीफा

पीएम मोदी और नबी आजाद दोस्त है ये सब जानते हैं लेकिन वह धारा 370 के हटाए जानें के भी विरोधी है। ऐसे में अगर आजाद बीजेपी में शामिल होते हैं तो इनसे उनके ही प्रभावशाली क्षेत्रों को नुकसान पहुंचेगा है।

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श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस कैंपेन कमेटी का अध्यक्ष बनाए जाने के दो घंटे के भीतर ही गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद लगातार कयास लगाए जा रहे है कि क्या नबी आजाद बीजेपी में जा रहे हैं।

क्या वह अलग पार्टी बनाएंगे। हालांकि, आजाद के एक करीबी ने साफ किया है कि वे फिलहाल कांग्रेस नहीं छोड़ेंगे। वहीं केंद्रीय नेतृत्व ने उनकी बजाय 47 साल के विकार रसूल वानी को ये जिम्मेदारी दे दी। कांग्रेस का कहना है कि आजाद के खराब सेहत की वजह से उनको प्रदेश कांग्रेस की कमान नहीं दी गई।

क्या आपको मामूल है, गुलाम नबी आजाद और कांग्रेस हाईकमान के बीच पिछले डेढ़ साल से टकराव चल रहा है। सुलह की बजाय यह टकराव लगातार बढ़ रहा है। बताया जाता है कि कांग्रेस नेतृत्व जम्मू-कश्मीर में गुलाम नबी आजाद के सियासी प्रभाव को कम करना चाह रहा है। गुलाम नबी आजाद भी लीडरशिप को समय-समय पर चुनौती दे रहे हैं। आजाद की नाराजगी कांग्रेस को 2022 के विधानसभा चुनाव में महंगी पड़ सकती है, क्योंकि जम्मू कश्मीर कांग्रेस में गुलाम नबी आजाद ही सबसे प्रभावशाली नेता हैं।

आजाद को मिला झटका-
आजाद ने पार्टी को उस वक्त झटका दिया, जब उनके 20 करीबियों ने प्रदेश कांग्रेस पार्टी में अपनी जिम्मेदारियों से इस्तीफा दे दिया था। इससे आजाद जम्मू-कश्मीर कांग्रेस कमेटी में अपनी पैठ मजबूत करना चाह रहे थे, लेकिन आलाकमान ने झुकने की बजाय इस्तीफा मंजूर कर लिया। जम्मू क्षेत्र के रामबन, डोडा, किश्तवाड़, रियासी और उधमपुर जिले में आजाद का ज्यादा प्रभाव हैं। इन 5 जिलों में विधानसभा की 12 सीटें हैं। 8 महीने पहले इन जिलों पर ध्यान लगाकर आजाद किंगमेकर बनने की कोशिश कर रहे थे।

क्या बीजेपी में शामिल होंगे नबी आजाद-
पीएम मोदी और नबी आजाद दोस्त है ये सब जानते हैं लेकिन वह धारा 370 के हटाए जानें के भी विरोधी है। ऐसे में अगर आजाद बीजेपी में शामिल होते हैं तो इनसे उनके ही प्रभावशाली क्षेत्रों को नुकसान पहुंचेगा है। 2014 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को महज 12 सीटें ही मिली थीं। यहां कांग्रेस चौथे नंबर की पार्टी थी। वैसे राजनीति संभावनाओं का खेल है। कब क्या हो जाए। यह कहना मुश्किल है, लेकिन अभी जो स्थितियां है। उससे तो आजाद का बीजेपी में शामिल होना मुश्किल है।

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