आइए जानते हैं कि आखिर नए संसद भवन की जरूरत क्यों पड़ी? क्या होगा पुराने भवन का

जब नया संसद भवन बन गया है तो सवाल उठता है कि पुराने संसद भवन का आखिर क्या होगा। सूत्रों से पता चला है कि पुराने संसद भवन को एक स्थायी संग्रहालय में स्थानांतरित कर दिया जाएगा।

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Parliament New Building: संसद का विशेष सत्र 18 से 22 सितंबर तक चलेगा। इस सत्र में पहले दिन को छोड़कर बाकी दिन की कार्रवाई नए संसद भवन में होगी। गणेश चतुर्थी के दिन यानी 19 सितंबर को नए भवन में कार्यवाही की शुरुआत होगी। अब बदलती जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 दिसंबर, 2020 को नए संसद भवन की आधारशिला रखी।

जनवरी 2021 में बनना शुरू हुई और 28 महीने के रिकॉर्ड टाइम में नई इमारत बन कर तैयार है चलिए जानते हैं क्यों पड़ी भारत को नई संसद की जरुरत और कैसी देखती है नई संसद…

‘पार्लियामेंट हाउस स्टेट’ में क्या लिखा है?
लोकसभा सचिवालय द्वारा प्रकाशित ‘पार्लियामेंट हाउस स्टेट’ नाम का एक दस्तावेज बताता है कि आजादी के बाद जैसे-जैसे संसद की गतिविधियां बढ़ीं, अधिक जगह की जरूरत पड़ी।  इस जरूरत को पूरा करने के लिए संसद भवन एनेक्सी बनाया गया। 3 अगस्त, 1970 को तत्कालीन राष्ट्रपति वी वी गिरी ने इसकी आधारशिला रखी और उद्घाटन हुआ 24 अक्टूबर 1975 को। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा यानी शिलान्यास राष्ट्रपति ने किया और उद्घाटन प्रधानमंत्री ने।

इसी तरह पार्लियामेंट लाइब्रेरी की आधारशिला 15 अगस्त, 1987 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने रखी थी। भूमि पूजन तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष शिवराज वी पाटिल द्वारा 17 अप्रैल, 1994 को किया गया था और इसका उद्घाटन मई 2002 में तत्कालीन राष्ट्रपति के आर नारायणन ने किया था।

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नए संसद भवन को बननाने कई प्रमुख वजहें हैं, जैसे-

कब-कब हुई इसकी मांग?
लोकसभा अध्यक्षों- मीरा कुमार ने दिनांक 13.07.2012, सुमित्रा महाजन ने दिनांक 09.12.2015 और ओम बिरला ने दिनांक 02.08.2019 के अपने पत्र में सरकार से संसद के लिए नए भवन के निर्माण का अनुरोध किया था।

सुरक्षा और नई तकनीकी का अभाव
93 साल पुरानी इस इमारत में अपनी संरचनात्मक मजबूती स्थापित करने के लिए समुचित दस्तावेजीकरण और मानचित्रण का अभाव है। बीते वर्षों के दौरान, पानी की आपूर्ति लाइनों, सीवर लाइनों, एयर कंडीशनिंग, अग्निशमन, सीसीटीवी, ऑडियो वीडियो सिस्टम जैसी सेवाओं को जोड़ा गया, जो मूल रूप से नियोजित नहीं थी।

हालांकि, इन सुविधाओं को उपलब्ध करवाए जाने से भवन में सीलन आ गई है और इससे भवन का समग्र सौंदर्य बिगड़ गया है। अग्नि सुरक्षा एक प्रमुख चिंता का विषय है, क्योंकि भवन को वर्तमान अग्नि मानदंडों के अनुसार डिजाइन नहीं किया गया है। कई नए विद्युत केबल लगाए गए हैं जो संभावित आग के लिए खतरा थे। इस भवन की विद्युत, यांत्रिक, वातानुकूलन, प्रकाश व्यवस्था, दृश्य-श्रव्य, ध्वनिक, सार्वजनिक उद्घोषणा प्रणाली और सुरक्षा अवसंरचना बिल्कुल पुरानी है और इसे आधुनिक बनाने की आवश्यकता थी।

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बैठने की व्यवस्था तंग और बोझिल है, दूसरी पंक्ति से परे कोई डेस्क नहीं है। सेंट्रल हॉल में केवल 440 व्यक्तियों के बैठने की क्षमता है। जब संयुक्त सत्र होते हैं तो सीमित सीटों की समस्या और बढ़ जाती है। आवाजाही के लिए सीमित स्थान होने के कारण यह सुरक्षा के लिए भी एक बड़ा जोखिम है।

पुराने संसद भवन का क्या करेगी सरकार
जब नया संसद भवन बन गया है तो सवाल उठता है कि पुराने संसद भवन का आखिर क्या होगा। सूत्रों से पता चला है कि पुराने संसद भवन को एक स्थायी संग्रहालय में स्थानांतरित कर दिया जाएगा।

नई संसद भवन में क्या-क्या है खास

डिजाइन: वर्तमान संसद भवन एक औपनिवेशिक युग की इमारत है और इसे ब्रिटिश वास्तुकार सर एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर द्वारा डिजाइन किया गया था। वहीं, नई इमारत को अहमदाबाद स्थित एचसीपी डिजाइन और वास्तुकार बिमल पटेल के नेतृत्व में डिजाइन की गई है।

लागत: अकेले नए संसद भवन की लागत 971 करोड़ रुपए है। पुराने संसद भवन के निर्माण की लागत उस समय 83 लाख रुपये थी।

पार्किंग क्षमता: अभी 212 गाड़ियों की पार्किंग क्षमता है। नई व्यवस्था में 900 गाड़ियां की पार्किंग का स्थान है।

संविधान हॉल: पुराने संसद भवन में संविधान हॉल मौजूद नहीं था। वहीं, नए संसद भवन में यह मौजूद है जो इसका प्रमुख आकर्षण है। कांस्टीट्यूशन हॉल के शीर्ष पर एक अशोक स्तंभ है, जो भारतीय विरासत के एक महत्वपूर्ण प्रतीक का प्रतीक है।

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आधुनिक तकनीक: नई इमारत में अत्याधुनिक तकनीक है, जिसमें मतदान में आसानी के लिए बायोमेट्रिक्स, डिजिटल भाषा व्याख्या या अनुवाद प्रणाली और माइक्रोफोन शामिल हैं। हॉल के अंदरूनी हिस्सों को आभासी ध्वनि सिमुलेशन फिट किया जाएगा, ताकि गूंज को सीमित किया जा सके।

क्षेत्रफल: नया संसद भवन लगभग 64,500 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैला होगा। वहीं पुराने वाले की बात करें तो यह एक गोलाकार भवन है जिसका व्यास 170.69 मीटर और परिधि 536.33 मीटर है। यह लगभग छह एकड़ (24,281 वर्ग मीटर) का क्षेत्रफल कवर करता है।

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सेंट्रल हॉल: नए भवन में मौजूदा संसद भवन की तरह सेंट्रल हॉल नहीं है। सेंट्रल हॉल में केवल 440 व्यक्तियों के बैठने की क्षमता है। जब संयुक्त सत्र होते हैं तो सीमित सीटों की समस्या और बढ़ जाती है। अब संयुक्त सत्र के लिए लोकसभा कक्ष का उपयोग किया जाएगा।

बैठक व्यवस्था: पुरानी इमारत में लोकसभा और राज्यसभा में क्रमशः 550 और 250 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है। इसकी तुलना में नए भवन में लोकसभा में 888 सांसदों और राज्यसभा में 384 सदस्यों को समायोजित करने की क्षमता होगी।

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