सुप्रीम कोर्ट ने दिया यूपी के पूर्व मुख्यमंत्रियों को बड़ा झटका, बेघर होने आई नौबत

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लखनऊ: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को साल 2004 में लगी एनजीओ लोक प्रहरी की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने आदेश दिए है कि उत्तर प्रदेश के अब तक बन चुके मुख्यमंत्रियों को अपना निवास स्थान यानी सरकारी बंगलों को खाली करना होगा। जिसके लिए कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को महज 2 महीने का समय दिया है।

कोर्ट ने 2014 में इस पर सुनवाई पूरी कर ली थी, लेकिन अपना आदेश सुरक्षित रखा था। अब कोर्ट के आदेश के बाद करीब 7 पूर्व मुख्यमंत्रियों या उनके परिवारों को दो महीने में सरकारी बंगले खाली करने होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2016 में भी उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को बंगले खाली करने का आदेश दिया था।

इस पर अखिलेश सरकार ने पुराने कानून में संशोधन कर यूपी मिनिस्टर सैलरी अलॉटमेंट एंड फैसेलिटी अमेंडमेंट एक्ट 2016 विधानसभा से पास करा लिया था। इसमें सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सरकारी बंगला आवंटित करने का प्रावधान किया गया था।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब अखिलेश यादव, मायावती, राजनाथ सिंह, कल्याण सिंह को प्रदेश में मिला सरकारी बंगला खाली करना होगा।

पद छोड़ने के बाद उसमें और आम नागरिक में कोई अंतर नहीं
न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि कानून में संशोधन संवैधानिक अधिकार क्षेत्र से बाहर की बात है क्योंकि यह संविधान के तहत प्रदत्त समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है। पीठ ने कहा कि यह संशोधन ‘मनमाना, भेदभाव करने वाला’ और समानता के सिद्धांत का उल्लंघन करने वाला है। न्यायालय ने कहा कि एक बार कोई व्यक्ति सार्वजनिक पद छोड़ देता है तो उसमें और आम नागरिक में कोई अंतर नहीं रह जाता।

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