फिर गर्माया गुर्जर आरक्षण का मुद्दा, इस गांव से शुरू होगी सरकार को घेरने की कवायद

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जयपुर: प्रदेश में एक दशक से चल रहा गुर्जर आरक्षण का मुद्दा दोबारा गर्मा गया है। गुर्जरों ने एक बार फिर बयाना के कारवाड़ी गांव को आरक्षण आंदोलन के लिए चुना है। ये वो जगह है जहां पर गुर्जर तीन बार आरक्षण आंदोलन की शुरुआत कर चुके है और हर बार आरक्षण मिला है।

हालांकि 50 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण पार होने पर ये कोर्ट में भी फंसा । इस वजह से चौथी बार इसी गांव से आरक्षण आंदोलन की शुरुआत 21 मई से करने की तैयारी है। इस संबंध में 6 मई को बयाना, कारवाड़ी गांव में ही बैठक होगी । जिसमें ओबीसी आरक्षण विभाजन की मांग पर आंदोलन की रूपरेखा पर बात होगी।

अब तक 72 मरे, चार बार सरकार ने दिया आरक्षण, तीन बार कोर्ट ने किया खत्म
प्रदेश में गुर्जर आरक्षण आंदोलन में अब तक 72 लोग अब तक मारे गए है। राज्य सरकारों ने इन्हें चार बार आरक्षण दिया और तीन बार गुर्जर आरक्षण पर न्यायालय द्वारा रोक लगाई गई है। चूंकि सुप्रीमकोर्ट राज्य सरकार को दिशा-निर्देश दे चुका है कि ओबीसी आरक्षण की व्यवस्था 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो, इसलिए गुर्जर अब ओबीसी विभाजन की मांग पर अड़े है।

बयाना के कारवाड़ी गांव, पीलुकापुरा में 23 मई को गुर्जरों की श्रद्धांजलि सभा है। यहां पर 18 लोग वर्ष 2008 में पुलिस फायरिंग में मरे थे। उधर दौसा, सिकंदरा में 24 मई काे श्रद्धांजलि सभा है। यहां पर भी 20 से ज्यादा मौतें हुई थी। दौसा में ही 29 मई को पाटोली पीपलखेड़ा में श्रद्धांजलि सभा है। 30 मई को सवाई माधोपुर, कुशालीदर्रा में गुर्जरों की श्रद्धांजलि सभाएं है। गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति का मकसद है कि 21 मई के बाद इन जगहों पर श्रद्धांजलि देने के लिए गुर्जर जुटे और आंदोलन भड़के। इसलिए 21 मई से आंदोलन शुरु किया जा रहा है।

क्या चाहते हैं गुर्जर और समझिए इस आंदोलन के मायने क्या
गुर्जर चाहते है कि राजस्थान में भी ओबीसी आरक्षण का विभाजन हो । यूपी में इस दिशा में काम शुरु हो चुका है और केंद्र ने भी इस मामले में एक कमेटी बनाई है। सात राज्यों में ओबीसी विभाजित है। चूंकि राजस्थान सरकार ओबीसी विभाजन नहीं करना चाहती है। इसलिए गुर्जर इस बार राज्य सरकार के साथ- साथ केंद्र पर भी दबाव बनाना चाहते है ताकि ओबीसी विभाजन पर काम शुरु हो सके। उधर इस आंदोलन के पॉलिटिकल मायने ये है कि अब जो आंदोलन होगा, उससे गुर्जर समाज के कई नए चेहरे विधानसभा चुनाव के लिए बतौर दावेदार भी बनेंगे।

गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के सभी सदस्य कारवाड़ी को आरक्षण आंदोलन की शुरुआत के लिए सबसे उपयुक्त मानते है। ये इत्तफाक है कि यहां से जब – जब आंदोलन की शुरुआत हुई तब – तब आरक्षण मिला । इस वजह से इस बार भी आंदोलन की शुरुआत बयाना, कारवाड़ी गांव से होगी। – हिम्मत सिंह, गुर्जर नेता

रीकॉल
1. वर्ष 2008- 23 मई से 17 जून – यहां 18 लोग मरे। वार्ता के लिए सरकारी बुलावा मिला। गुर्जरों को एसबीसी आरक्षण मिला। पांच प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान था। हालांकि हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी।
2. 20 दिसंबर 2010 से 5 जनवरी 2011 तक गहलोत सरकार के कार्यकाल में कारवाड़ी में रेल रोकी गई और आंदोलन हुआ। गहलोत सरकार ने ओबीसी कमीशन बनाया। साथ ही गुर्जरों को 1 प्रतिशत आरक्षण भी दिया।
3. 2015 में 21 से 28 मई तक रेल रोकी गई । वसुंधरा सरकार ने पांच प्रतिशत आरक्षण का वादा किया और विधेयक लेकर आई । ये आरक्षण भी कानूनी पेचीदगियों में फंस गया।

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