2700 करोड़ से बना भारत मंडपम क्यों है G20 Summit के लिए इतना खास? देखें सबकुछ इस VIDEO में

भारत मंडपम के निर्माण पर 750 करोड़ रुपए खर्च किया गया है। यह करीब 123 एकड़ में फैला हुआ है। देश के सबसे बड़े कन्‍वेंशन सेंटर में 10,000 लोगों के बैठ सकने की क्षमता है। भारत मंडपम का कुल एरिया फुटबॉल स्‍टेडियम से करीब 26 गुना बड़ा है।

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जी-20 समिट 9 और 10 सितंबर को दिल्‍ली में होने जा रही है और इसके लिए प्रगति मैदान में इंटरनेशनल एग्जिबिशन कम कन्‍वेंशन सेंटर बनाया गया है। जिसे भारत मंडपम (Bharat Mandapam) नाम दिया गया है। भारत मंडपम तीन फ्लोर में बना हुआ है और यहीं जी-20 समिट होने जा रहा है। भारत मंडपम की खासियत बताने से पहले बता दें कि जी-20 के बाद इसे आम नागरिकों के लिए खोल दिया जाएगा।

इसके हर फ्लोर पर भारतीय संस्‍कृति की छाप देखी जा सकती है। इसे बहुत सुंदर ढंग से सजाया गया है। इसके हर कमरे और हर जगह पर भारतीय पारंपरिक विविधता, कला और बहुसंस्‍कृति की विरासत देखी जा सकती है। प्रगति मैदान को रीडेवलप करने की शुरुआत 2017 से हुई और इसके लिए नेशनल प्रोजेक्‍ट के तहत काम किया गया।

इस पर 2,700 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। अकेले भारत मंडपम के निर्माण पर 750 करोड़ रुपए खर्च किया गया है। यह करीब 123 एकड़ में फैला हुआ है। देश के सबसे बड़े कन्‍वेंशन सेंटर में 10,000 लोगों के बैठ सकने की क्षमता है। भारत मंडपम का कुल एरिया फुटबॉल स्‍टेडियम से करीब 26 गुना बड़ा है।

कन्‍वेंशन सेंटर को ‘भारत मंडपम’ नाम देने की वजह
भारत मंडपम नाम देने के पीछे बड़ी वजह है जिसे खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया था कि भगवान बसवेश्‍वर के ‘अनुभव मंडपम’ से इसकी प्रेरणा मिली जिसका अर्थ है वाद और संवाद की लोकतांत्रिक पद्धति। भारत मंडपम के आर्किटेक्‍ट संजय सिंह हैं। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि भारत मंडपम, देश का सबसे बड़ा कन्‍वेंशन सेंटर है। इसके लिए पीएम मोदी के इच्‍छा जाहिर की थी कि यह भारतीय मूल्‍यों, परंपराओं और संस्‍कृति से जुड़ी मॉर्डन बिल्डिंग होनी चाहिए।

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‘भारत मंडपम’ के पांच फ्लोर्स पर अलग-अलग खूबियां

1. फर्स्‍ट फ्लोर पर कॉन्‍फ्रेंस के लिए व्‍यवस्थित और आधुनिक सुविधाओं वाले रूम्‍स हैं जिनका इस्‍तेमाल कई तरीकों से होगा. इस फ्लोर पर ऐसे 18 बड़े कमरे हैं तो वीआईपी लॉन्‍ज भी है। पहली मंजिल को भारतीय संस्कृति को ध्यान में रखकर तैयार किया गया हैं। एमपी, राजस्थान, यूपी और दक्षिण भारत की कला को दर्शाने वाली वस्तुएं रखी गई हैं। इसके अलावा राजस्थान की बांधनी साड़ी, दक्षिण के तंजौर सिल्क समेत अलग-अलग राज्य के कपड़ों को मिलाकर एक कोलाज बनाया है।

2. दूसरा फ्लोर भी भव्‍य और आकर्षक बना हुआ है। इसमें दो मॉडर्न हॉल हैं। यहां एक बड़ा लॉन्‍ज एरिया भी बनाया गया है। यह इतना बड़ा है कि इसे समिट रूम के तौर पर भी इस्‍तेमाल कर सकते हैं। बिहार की मधुबनी, मुरादाबाद की ब्रास आर्ट और आगरा के स्टोन वर्क को मिलाकर एक फ्यूजन बनाया गया है। समिट हॉल की दीवारें रेड सैंड स्टोन से बनाई हैं। यहां यूपी के भदोही से मंगाए कालीन बिछी हैं। बीच में कश्मीर के कालीन लगाई गई है। राजस्थान और गुजरात में तैयार होने वाली पेंटिंग को कपड़े पर बनाकर छत पर लगाया गया है। यहां बनी वीवीआईपी लॉबी को ‘पंच महाभूत’ के थीम पर बनाया गया है।

3. तीसरा फ्लोर सात हजार लोगों को एक साथ बैठने की क्षमता वाला है। इसमें एक बड़ा हॉल है जिसमें 4 हजार लोग एक साथ बैठ सकते हैं तो तीसरे फ्लोर पर ही एक एम्‍फीथिएटर बना हुआ है जिसमें 3 हजार लोग बैठे सकते हैं। ये दुनिया के सबसे बड़े हॉल में से एक है और सिडनी (ऑस्‍ट्रेलिया) के ओपेरा हाउस से कहीं अधिक बड़ा है। लॉबी वसुधैव कुटुंबकम की थीम पर बनी है। दीवार पर 7 घोड़ों की आकृति भारत की सोलर पावर को दिखाती है।

 

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अन्य खास चीजें-
भारत मंडपम के गलियारे में भारत का हिमालय पर्वत, गंगा नदी-गोमुख से गंगासागर तक, मेघालय का लिविंग रूट पुल, हिंद महासागर और रॉयल बंगाल टाइगर को प्राकृतिक धरोहर कैटेगरी में चयन समिति ने चुना है। गलियारे में लोकतंत्र के महत्व को रेखांकित करती भारत के चारों वेदों में से सबसे प्राचीन ऋग्वेद के दसवें मंडल की एक ऋचा भी लगाई गई है। भारत अपनी धरोहर के रूप में पाणिनी की अष्टाध्यायी की मूल पांडुलिपि, योग, कुंभ मेला, वैदिक मंत्रोच्चार, चोल शासन काल की मूर्तियां, गुजरात की पाटन पटोला वस्त्र कला का प्रदर्शन को पेश कर रहा है। वैदिक काल के साथ ही सम्राट अशोक, फाह्यान, मेगास्थनीज की कहीं गई बातें और उत्तरमेरुर के मंदिर पर अंकित 10वीं शताब्दी के लोकतंत्र की कहानी के अलावा कृष्णदेव राय, छत्रपति शिवाजी, भारत के संविधान बनाने की प्रक्रिया और उसकी खासियत का जिक्र भी होगा। यही नहीं इसमें सिंधु घाटी सभ्यता का वर्णन भी शामिल किया गया है।

नटराज मूर्ति ने लगाए भारत मंडपम में चार चांद
भारत मंडपम में अष्टधातु से बनी नटराज की मूर्ति स्थापित की गई है। 27 फीट ऊंची, 18 टन वजनी यह मूर्ति अष्टधातु से बनी सबसे ऊंची मूर्ति है और इसे तमिलनाडु के स्वामी मलाई के प्रसिद्ध मूर्तिकार राधाकृष्णन ने बनाया है। उनकी टीम ने रिकॉर्ड 7 महीने में इसे तैयार किया है।

भारत मंडपम में विंडो टू दिल्ली है खास
भारत मंडपम की चौथी मंजिल को विंडो टू दिल्ली कहा जाता है। इस फ्लोर से कर्तव्य पथ के साथ इंडिया गेट और राष्ट्रपति भवन के सभी गुंबद नजर आते हैं। इसके अलावा समिट हॉल में जो झूमर लगाया है, इसमें 3500 क्रिस्टल बॉल हैं। इसे चेक रिपब्लिक की राजधानी प्राग से मंगवाया है। इसका हर क्रिस्टल हैंडक्राफ्टेड है।

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AI एंकर करेगी स्वागत
जी20 के लिए भारत मंडपम में 26 पैनल की डिजिटल दीवार बनाई जाएगी। कार्यक्रम में आने वाले मेहमानों का एआई एंकर स्वागत करेगी। एआई एंकर कॉरिडोर की थीम के बारे में भी जानकारी देगी। साथ ही इस पैनल पर भारतीय लोकतंत्र की कहानी को दिखाया जाएगा। वैदिक काल से शुरू होकर 2019 के चुनावों तक की झलक पेश की जाएगी, पैनल में टच स्क्रीन होगा, जहां पर 16 भाषाओं में ऑडियो, वीडियो और टेक्स्ट होगा। यहां पर 7000 साल पुरानी डांसिंग गर्ल की मूर्ति भी दिखाई जाएगी, जो लोकतंत्र के प्रतीक के तौर पर है।

6 हजार मजदूर, 7 साल की मेहनत, तब तैयार हुआ भारत मंडपम
आर्किटेक्ट संजय सिंह बताते हैं, ‘भारत सरकार ने हमें ये प्रोजेक्ट अक्टूबर 2016 में दिया था। हमने कई डिजाइन तैयार किए। बिल्डिंग को मॉडर्न बनाने की कोशिश की। साथ ही भारत के हर कोने को दिखाया। सरकार से अप्रूव होने के बाद इस पर काम शुरू हुआ।’

‘दोनों कंपनियों के 200 आर्किटेक्ट, कंसल्टेंट, इंजीनियर, टेक्नीशियन और डिजाइनर्स ने काम किया। करीब 6 हजार मजदूर लगे। कंस्ट्रक्शन का काम शापूरजी पालोनजी ग्रुप को मिला। कोविड के वक्त भी काम नहीं रुका। हम लोग ऑनलाइन मीटिंग करते थे। जुलाई 2023 में भारत मंडपम तैयार हो गया।

सुरक्षा व्‍यवस्था से लेकर पार्किंग सब नम्बर वन
भारत मंडपम में सुरक्षा व्‍यवस्था से लेकर पार्किंग तक का ध्‍यान रखा गया है। यहां अंडरग्राउंड पार्किंग में 4 हजार बड़े वाहन आराम से पार्क हो सकते हैं तो वहीं ग्राउंड पार्किंग में एक हजार वाहन आसानी से पार्क हो सकते हैं।

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