चाचा भारत का उपराष्ट्रपति फिर भतीजा मुख्तार अंसारी देश का सबसे खतरनाक माफिया कैसे बना?

2005 में भरत मिलाप के दौरान दंगा भड़क गया था। ये करीब एक महीने चला। तब प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी। मुख्तार को दंगे के मामलों में आरोपी बनाया गया।

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यूपी के बांदा जेल में बरसो से कैद में रहा माफिया और पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी (mukhtar ansari) की हार्ट अटैक से बीते रात निधन हो गया है। इससे पहले कई बार अंसारी को मेडिकल जांच के लिए भेजा गया था और उनके परिवार की तरफ से आरोप भी लगाया कि उन्हें खाने में धीमा जहर दिया जा रहा है।

मुख्तार अंसारी 2005 से सजा काट रहा था। अलग-अलग मामलों में उसे 2 बार उम्रकैद हुई है। वहीं, मऊ और गाजीपुर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। यहां धारा 144 लागू कर दी गई है। साथ ही बांदा में भी सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए हैं। क्या आप जानते हैं? मुख्तार अंसारी का परिवार पूर्वांचल की राजनीति में हमेशा से ताकतवर रहा है। मुख्तार के चाचा हामिद अंसारी उपराष्ट्रपति रह चुके हैं ये ही नहीं नाना मोहम्मद उस्मान आर्मी में ब्रिगेडियर और महावीर चक्र विजेता थे। पिता सुभानउल्ला अंसारी पॉलिटिशियन थे। मुख्तार के दादा मुख्तार अहमद अंसारी आजादी की लड़ाई में गांधी जी के सहयोगी रहे।

फिर मुख्तार अंसारी उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े माफिया डॉन कैसे बनें? मुख्तार पर 61 केस दर्ज थे। इनमें हत्या के 8 केस तो जेल में रहने के दौरान दर्ज हुए। मुख्तार जिस भी जेल में रहा, उसका रुतबा हमेशा बना रहा। चाहे गाजीपुर जेल हो, बांदा जेल या पंजाब की रोपड़ जेल। जेलर कोई भी हो, चली मुख्तार की ही। रिटायर्ड पुलिस अफसर और जेलर भी ये बात मानते हैं। मुख्तार जेल से ही गैंग चलाता रहा। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मार्च 2023 में एक शूटर की जमानत पर सुनवाई करते हुए मुख्तार गैंग को देश का सबसे खतरनाक गिरोह कहा था।

कैसा था राजनीति सफर
मुख्तार अंसारी का सियासी सफर 26 बरस का था। मुख्तार अंसारी ने बीएसपी के टिकट पर साल 1996 में पहली बार मऊ के सदर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीता था। इसके बाद 2002 और 2007 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और जीतकर लखनऊ पहुंच गया। साल 2012 में कौमी एकता दल का गठन किया और चुनाव लड़कर जीत हासिल की. मुख्तार ने 2007, 2012 और 2017 का चुनाव जेल में बंद रहकर लड़ा और जीता।

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किस केस में पहुंचा मुख्तार अंसारी जेल में
बात साल 2005 की है। मऊ में मुगल काल से रामायण के प्रसंग भरत मिलाप की परंपरा चली आ रही है। इसकी शुरुआत बादशाह औरंगजेब की बेटी जहांआरा ने कराई थी। 2005 में भरत मिलाप के दौरान दंगा भड़क गया था। ये करीब एक महीने चला। तब प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी। मुख्तार को दंगे के मामलों में आरोपी बनाया गया। 25 अक्टूबर 2005 को उसने गाजीपुर में सरेंडर कर दिया। तभी से वह जेल में था।

कृष्णानंद राय हत्याकांड
मुख़्तार के बड़े भाई अफजाल अंसारी ने गाजीपुर की मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट से 1985 से 1996 तक लगातार 5 बार चुनाव जीता था। 2002 के चुनाव में BJP के कृष्णानंद राय ने अफजाल अंसारी को हरा दिया। तीन साल बाद 29 नवंबर 2005 को कृष्णानंद राय की हत्या कर दी गई। कृष्णानंद एक क्रिकेट टूर्नामेंट का उद्घाटन करने गए थे। लौटते वक्त शूटर्स ने कृष्णानंद राय की कार को घेरकर एके-47 से 400 से ज्यादा गोलियां चलाई थीं। कृष्णानंद और उनके साथ मौजूद 6 लोग मारे गए। मुख्तार उस वक्त जेल में था, इसके बावजूद उसे इस हत्याकांड में नामजद किया गया।

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नंदकिशोर रूंगटा हत्याकांड
बनारस के भेलूपुर में 1997 में कोयला कारोबारी नंद किशोर रूंगटा की अपहरण के बाद हत्या कर दी गई थी। नंद किशोर के भाई महावीर प्रसाद रूंगटा ने दिसंबर 1997 में भेलूपुर थाने में केस दर्ज कराया था। उनका आरोप था कि 5 नवंबर 1997 को शाम 5 बजे मुख्तार अंसारी ने टेलीफोन पर धमकी दी थी। उनसे 5 करोड़ की रंगदारी मांगी गई थी। इसमें से डेढ़ करोड़ रुपए वे दे चुके थे।

महावीर प्रसाद ने मुख्तार अंसारी और अताउर रहमान उर्फ बाबू के खिलाफ केस दर्ज करवाया था। आरोप था कि नंद किशोर की हत्या मुख्तार के सबसे भरोसेमंद शूटर अताउर रहमान ने की थी। रहमान ने कोयला कारोबारी बनकर नंद किशोर को डील के बहाने बुलाया और उनकी हत्या कर शव प्रयागराज में ठिकाने लगा दिया।

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उमेश पाल हत्याकांड
BSP विधायक राजू पाल की हत्या के मुख्य गवाह उमेश पाल की 24 फरवरी 2023 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस केस में अतीक अहमद और उसके बेटे समेत 9 लोग आरोपी बनाए गए। पुलिस का दावा है कि प्रयागराज में हुए उमेश हत्याकांड की साजिश अतीक अहमद और अशरफ ने जेल से रची थी। अतीक अहमद ने साबरमती जेल और अशरफ ने बरेली जेल से वॉट्सऐप के जरिए शूटर्स से बात की। बाहर अतीक के बेटे असद ने शूटर्स के साथ उमेश की हत्या की।

मुख्तार अंसारी को किस-किस केस में मिली कितनी सजा

  • 23 सितंबर 2022 को लखनऊ के हजरतगंज में दर्ज गैंगस्टर एक्ट में 2 साल की कैद और 10 हजार रुपए का जुर्माना लगा था।
  • 21 सितंबर 2022 को लखनऊ में सरकारी कर्मचारी को काम से रोकने और धमकाने के मामले में 2 साल की कैद और 10 हजार जुर्माना।
  • 15 दिसंबर 2022 को 1996 में दर्ज गैंगस्टर एक्ट के मामले में गाजीपुर के MP-MLA कोर्ट ने 10 साल की सजा 5 लाख रुपए जुर्माना लगाया।
  • 29 अप्रैल 2023 को कृष्णा नंद राय हत्याकांड और नंदकिशोर रूंगटा अपहरण कांड में लगाए गए गैंगस्टर एक्ट में 10 साल की जेल और 5 लाख जुर्माना।
  • 5 जून 2023 को अवधेश राय हत्याकांड में उम्रकैद हुई थी।
  • 28 अक्टूबर 2023 को कपिल देव सिंह की हत्या मामले में 10 साल की कैद और पांच लाख रुपए जुर्माना लगाया था।
  • 15 दिसंबर 2023 को मुख्तार को रूंगटा धमकी केस में वाराणसी की MP-MLA कोर्ट ने 10 साल की सजा सुनाई थी।

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